आंतों के बैक्टीरिया बताएंगे आपकी सच्ची उम्र

ह तो जानी-मानी बात है कि हमारी आंतों में अरबों बैक्टीरिया निवास करते हैं। दरअसल, अनुमान तो यही है कि किसी मनुष्य के शरीर में उसकी अपनी कोशिकाओं की तुलना में इन बैक्टीरिया की संख्या ज़्यादा होती है। और ये बैक्टीरिया आपकी पाचन शक्ति से लेकर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली तक को प्रभावित करते हैं। हमारे इन सूक्ष्मजीव साथियों को हमारा सूक्ष्मजीव संसार कहते हैं। लेकिन जो बात पता नहीं है, वह है कि यह सूक्ष्मजीव संसार उम्र के साथ कैसे बदलता जाता है या एक सामान्य सूक्ष्मजीव संसार किसे कहें। हाल ही में इनसिलिको मेडिसिन नामक कंपनी के शोधकर्ता एलेक्स ज़वोरोनकोव और उनके साथियों ने इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की है।

शोधकर्ताओं ने इसके लिए दुनिया भर के 1165 स्वस्थ व्यक्तियों के आंतों के बैक्टीरिया के नमूने लिए। इनमें से लगभग एक-तिहाई की उम्र 20 से 39 वर्ष, एक-तिहाई की 40 से 59 वर्ष और शेष की 60 से 90 वर्ष थी। इन नमूनों के आंकड़ों का विश्लेषण कंप्यूटर से मशीन लर्निंग तकनीक से किया गया। इसके लिए उन्होंने जिस एल्गोरिदम का उपयोग किया वह ठीक उस तरह काम करता है जैसे मस्तिष्क की तंत्रिकाएं काम करती हैं। उन्होंने 90 प्रतिशत नमूनों का विश्लेषण उनमें पाए गए बैक्टीरिया की 95 प्रजातियों के आधार पर किया था। इसके आधार पर कंप्यूटर ने यह सीख लिया कि उम्र के साथ इन बैक्टीरिया के अनुपात में किस तरह के परिवर्तन आते हैं।

इसके बाद ज़वोरोनकोव की टीम ने कंप्यूटर को बाकी 10 प्रतिशत लोगों के बारे में उनकी उम्र का अंदाज़ लगाने को कहा। देखा गया कि उनका एल्गोरिद्म व्यक्ति की उम्र का अंदाज़ 4 वर्ष की सीमा के अंदर सही लगा लेता है। यानी कंप्यूटर सूक्ष्मजीव संसार के आधार पर व्यक्ति की जो उम्र बताता है उसमें 2 वर्ष की कमी-बेशी हो सकती है। यह भी पता चला कि उम्र का अंदाज़ लगाने में बैक्टीरिया की 95 प्रजातियों में से 39 प्रजातियां सबसे महत्वपूर्ण हैं।

ज़वोरोनकोव की टीम को पता चला कि उम्र के साथ कुछ बैक्टीरिया का अनुपात बढ़ता है (जैसे यूबैक्टीरियम हैली, जो आंतों में चयापचय में महत्वपूर्ण माना जाता है)। दूसरी ओर कुछ बैक्टीरिया की संख्या घटती है (जैसे बैक्टीरॉइड्स वल्गेरिस, जो आंतों की एक किस्म की सूजन के लिए जवाबदेह माना जाता है)। यह भी लगता है कि भोजन, नींद की आदतें, शारीरिक व्यायाम वगैरह बैक्टीरिया की प्रजातियों की प्रचुरता में बदलाव लाते हैं।

यदि टीम के उपरोक्त निष्कर्ष की पुष्टि होती है, तो यह अन्य जैविक चिंहों के समान व्यक्ति की उम्र का एक और चिंह साबित होगा। इसके अलावा यह कई बीमारियों को समझने में भी मददगार होगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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