पेंग्विन के अंडों की कुल्फी क्यों नहीं बन जाती

एंपरर पेंग्विन एक मशहूर पक्षी है जो अंटार्कटिक के निहायत ठंडे परिवेश में पाया जाता है। और जैसे ठंडे वातावरण में रहने की सज़ा काफी न थी, एंपरर पेंग्विन को अपने अंडे जाड़े के मौसम में देने पड़ते हैं। ठंड इतनी कि अंडों की कुल्फी जम जाए। मगर जमती नहीं, और अब वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये पक्षी अपने अंडों को कड़ाके की ठंड से कैसे बचा पाते हैं।

पहले तो यह देख लें कि इतनी कड़ाके की ठंड में अंडे देने की क्या मजबूरी है जबकि अन्य पेंग्विन्स ऐसे मौसम में अंडे नहीं देते हैं। होता यह है कि जब ढेर सारे चूज़े अंडे फोड़कर निकलते हैं तो उन्हें ढेर सारे भोजन की भी ज़रूरत होती है। इतना भोजन तो वसंत में ही उपलब्ध होता है जब समुद्र पर जमा बर्फ तटों के आसपास पिघलने लगता है। यदि चूज़े वसंत में निकलना है तो अंडे जाड़ों में ही देने होंगे।

पेंग्विन हज़ारों की बस्ती में अंडे देते हैं। हरेक मादा एक अंडा देती है और फिर वह कई महीनों तक भोजन की तलाश में समुद्र की ओर निकल जाती हैं। अंडों की देखभाल का काम नर पेंग्विन्स करते हैं। ऋणात्मक तापमान में अंडों को संभालने के लिए नर पेंग्विन वास्तव में गर्मी के रुाोत में तबदील हो गए हैं। अन्य पक्षियों के समान पेंग्विन का शरीर भी पिच्छों से ढंका होता है। ये पिच्छ ऊष्मा के कुचालक होते हैं और उनके शरीर को वातावरण की ठंड/गर्मी से अलग रखते हैं। एंपरर पेंग्विन के पेट का एक हिस्सा होता है जो पिच्छों से ढंका नहीं होता। इसे शिशु थैली कहते हैं। पेंग्विन अंडे को अपने दोनों पंजों पर टिका कर इसी थैली से सटाकर रखते हैं और पेट के पिच्छों से उसे ढंक लेते हैं। इस प्रकार से अंडा वातावरण की अतियों से महफूज़ रहता है। और पिता के शरीर की गर्मी उसे मिलती रहती है।

पिता पेंग्विन एक काम और करते हैं। वे अपने शरीर की गर्मी को बचाने के लिए बर्फ से अपना संपर्क कम से कम कर देते हैं। इसके लिए वे अपने पंजों को ऊपर उठा लेते हैं और ऐड़ी के बल ज़मीन (यानी बर्फ) पर बैठते हैं तथा संतुलन बनाने के लिए अपनी पूंछ के सिरे की मदद लेते हैं। और इस पोज़ीशन में वे महीनों तक बैठे रहते हैं। इसके अलावा, ये नर पेंग्विन एक काम और करते हैं। वे बड़े-बड़े झुंड में सटकर बैठते हैं ताकि ऊष्मा की हानि कम से कम हो। जहां पेंग्विन के ऐसे जत्थे बैठते हैं वहां का तापमान आसपास के मुकाबले कई डिग्री अधिक होता है।

इन सब तरीकों के मिले-जुले इस्तेमाल की बदौलत ही पेंग्विन अपने अंडों को सुरक्षित रखते हुए सेते हैं और अगली पीढ़ी को दुनिया में आने का मौका देते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit :   https://ocean.si.edu/sites/default/files/styles/photo_full/public/12607487274_2a5e7a050a_o.jpg?itok=Dy6BAu80

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