कितना सही है मायर्स-ब्रिग्स पर्सनैलिटी टेस्ट?

क्सर व्यक्तित्व परीक्षण के लिए मायर्स-ब्रिग्स पर्सनालिटी टेस्ट (एमबीटी) का उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण में लोगों को 16 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।

एमबीटी का आविष्कार 1942 में कैथरीन कुक ब्रिग्स और उनकी बेटी, इसाबेल ब्रिग्स मायर्स ने किया था। उनका मकसद ऐसे टाइप इंडिकेटर विकसित करना था, जिनसे लोगों को खुद की प्रवृत्ति को समझने और उचित रोज़गार चुनने में मदद मिले। परीक्षण में कुछ सवालों के आधार पर निम्नलिखित लक्षणों का आकलन किया जाता है: 

·         अंतर्मुखी (I) बनाम बहिर्मुखी (E)

·         सहजबोधी (N) बनाम संवेदना-आधारित (S)

·         विचारशील (T) बनाम जज़्बाती (P)

·         फैसले सुनाने वाला (J) बनाम समझने की कोशिश करने वाला (P)

इस परीक्षण के आधार पर लोगों को 16 लेबल प्रकार प्रदान दिए जाते हैं, जैसे  INTJP, ENPF

मायर्स ब्रिग्स परीक्षण का प्रबंधन करने वाली कंपनी के अनुसार हर साल लगभग 15 लाख लोग इसकी ऑनलाइन परीक्षा में शामिल होते हैं। कई बड़ी-बड़ी कंपनियों और विद्यालयों में इस परीक्षण का उपयोग में किया जाता है। और तो और, हैरी पॉटर जैसे काल्पनिक पात्र को भी एमबीटी लेबल दिया गया है।

लोकप्रियता के बावजूद कई मनोवैज्ञानिक इसकी आलोचना करते हैं। मीडिया में कई बार इसको अवैज्ञानिक, अर्थहीन या बोगस बताया गया है। लेकिन कई लोग परीक्षण के बारे में थोड़े उदार हैं। ब्रॉक विश्वविद्यालय, ओंटारियो के मनोविज्ञान के प्रोफेसर माइकल एश्टन एमबीटी को कुछ हद तक वैध मानते हैं लेकिन उसकी कुछ सीमाएं भी हैं। 

एमबीटी के साथ मनोवैज्ञानिकों की मुख्य समस्या इसके पीछे के विज्ञान से जुड़ी है। 1991 में, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ की समिति ने एमबीटी अनुसंधान के आंकड़ों की समीक्षा करते हुए कहा था कि इसके अनुसंधान परिणामों में काफी विसंगतियां हैं।

एमबीटी उस समय पैदा हुआ था जब मनोविज्ञान एक अनुभवजन्य विज्ञान था और इसे व्यावसायिक उत्पाद बनने से पहले उन विचारों का परीक्षण तक नहीं किया गया था। लेकिन आधुनिक मनोवैज्ञानिकों की मांग है कि किसी व्यक्तित्व परीक्षण को कुछ मानदंड पूरे करने चाहिए।

कुछ शोध एमबीटी को अविश्वसनीय बताते हैं क्योंकि एक ही व्यक्ति दोबारा टेस्ट ले तो परिणाम भिन्न हो सकते हैं। अन्य अध्ययनों ने एमबीटी की वैधता पर सवाल उठाया है कि इसके लेबल वास्तविक दुनिया से मेल नहीं खाते, जैसे यह पक्का नहीं है कि एक तरह से वर्गीकृत लोग किसी कार्य में कितना अच्छा प्रदर्शन करेंगे। मायर्स-ब्रिग्स कंपनी के अनुसार एमबीटी को बदनाम करने वाले ऐसे अध्ययन पुराने हैं।

हालांकि, परीक्षण की कुछ सीमाएं इसकी डिज़ाइन में ही निहित हैं। जैसे इसमें श्रेणियां सिर्फ हां या नहीं के रूप में हैं। किंतु हो सकता है कोई व्यक्ति इस तरह वर्गीकृत न किया जा सके। एमबीटी व्यक्तित्व के केवल चार पहलुओं का आकलन करके बारीकियों पर ध्यान नहीं दे रहा है। फिर भी, कई लोग मानते हैं कि एमबीटी पूरी तरह से बेकार भी नहीं है। उनका मानना है कि यह व्यक्तित्व के कुछ मोटे-मोटे रुझान तो बता ही सकता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit :  https://www.livescience.com/65513-does-myers-briggs-personality-test-work.html

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