स्वास्थ्य सम्बंधी अध्ययन प्रकाशित करने पर सज़ा

हाल ही में इस्तांबुल की एक अदालत ने एक तुर्की वैज्ञानिक बुलंद शेख को 15 महीने जेल में बिताने की सज़ा इसलिए सुनाई क्योंकि उन्होंने पर्यावरण व स्वास्थ्य सम्बंधी एक अध्ययन के नतीजे अखबार में प्रकाशित किए थे।

दरअसल बुलंद शेख ने अप्रैल 2018 में एक तुर्की अखबार जम्हूरियत में एक स्वास्थ्य सम्बंधी अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किए थे, जो वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा करवाया गया था। इस अध्ययन में वे यह देखना चाहते थे पश्चिमी तुर्की में बढ़ते कैंसर के मामलों और मिट्टी,पानी और खाद्य के विषैलेपन के बीच क्या सम्बंध है। अकदेनिज़ युनिवर्सिटी के खाद्य सुरक्षा और कृषि अनुसंधान केंद्र के पूर्व उप-निदेशक बुलंद शेख भी इस अध्ययन में शामिल थे। पांच साल चले इस अध्ययन में शेख और उनके साथियों ने पाया कि पश्चिमी तुर्की के कई इलाकों के पानी और खाद्य नमूनों में हानिकारक स्तर पर कीटनाशक, भारी धातुएं और पॉलीसायक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन मौजूद हैं। कुछ रिहायशी इलाकों का पानी एल्युमीनियम, सीसा, क्रोम और आर्सेनिक युक्त होने का कारण पीने लायक भी नहीं है।

2015 में अध्ययन पूरा होने के बाद शेख ने एक मीटिंग के दौरान सरकारी अफसरों से इन नतीजों पर ज़रूरी कार्रवाई करने की बात की। 3 साल बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने यह अध्ययन अखबार में चार लेखों की शृंखला के रूप में प्रकाशित किया।

इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय की आपत्ति इस बात पर नहीं थी कि प्रकाशित अध्ययन सही है या नहीं, बल्कि उनकी आपत्ति इस बात पर थी कि यह जानकारी गोपनीय है कि लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा है।

बुलंद शेख के वकील कैन अतले ने अपनी दलीलें पूरी करते हुए कहा था कि शेख ने एक नागरिक और एक वैज्ञानिक होने के नाते अपना फर्ज़ निभाया है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग किया है।

तुर्की नियम के मुताबिक शेख यदि किए गए अध्ययन के प्रकाशन पर खेद व्यक्त करते तो उन्हें जेल की सज़ा ना देकर पद से निलंबित भर किया जा सकता था, लेकिन शेख ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया।

शेख के मुताबिक शोध से प्राप्त डैटा छिपाने से समस्या के हल को लेकर हो सकने वाली एक अच्छी चर्चा बाधित होती है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि मेरे लेखों का उद्देश्य जनता को उनके स्वास्थ्य पर किए गए अध्ययन के नतीजों से वाकिफ कराना था, जिन्हें गुप्त रखा गया था और उन अधिकारियों को उकसाना था जिन्हें इस समस्या को हल करने के लिए कदम उठाने चाहिए। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/inline__699w__no_aspect/public/river_1280p.jpg?itok=YdP6mXsY

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