2600 वर्षों तक सुरक्षित मस्तिष्क

शोधकर्ताओं को एक ऐसे व्यक्ति की खोपड़ी और दिमाग मिले हैं जिसका लगभग 2600 वर्ष पहले सिरकलम किया गया था। यह घटना जिस जगह हुई थी वह आजकल के यॉर्क (यू.के.) में है। वर्ष 2008 में शोधकर्ताओं को जब खोपड़ी मिली थी, तो उसमें से मस्तिष्क का ऊतक प्राप्त हुआ जो आम तौर पर मृत्यु के तुरंत बाद सड़ने लगता है। इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि यह ढाई हज़ार वर्षों तक संरक्षित रहा। और तो और, मस्तिष्क की सिलवटों और खांचों में भी कोई परिवर्तन नहीं आया था। ऐसा लगता है कि धड़ से अलग होकर वह सिर तुरंत ही कीचड़ वाली मिट्टी में दब गया था।

शोधकर्ताओं ने मामले को समझने के लिए विभिन्न आणविक तकनीकों का उपयोग करके बचे हुए ऊतकों का परीक्षण किया। शोधकर्ताओं ने इस प्राचीन मस्तिष्क में दो संरचनात्मक प्रोटीन पाए जो न्यूरॉन्स और ताराकृति ग्लियल कोशिकाओं दोनों के लिए एक किस्म के कंकाल या ढांचे का काम करते हैं। लगभग एक वर्ष तक चले इस अध्ययन में पाया गया कि उक्त प्राचीन मस्तिष्क में यह प्रोटीन-पुंज ज़्यादा सघन रूप से भरा हुआ था और आधुनिक मस्तिष्क की तुलना में अधिक स्थिर भी था। जर्नल ऑफ रॉयल सोसाइटी इंटरफेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस प्राचीन प्रोटीन-पुंज ने ही मस्तिष्क के नरम ऊतक की संरचना को दो सहस्राब्दियों तक संरक्षित रखने में मदद की होगी। 

पुंजबद्ध प्रोटीन उम्र के बढ़ने और मस्तिष्क की अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों की पहचान हैं। लेकिन शोधकर्ताओं को इनसे जुड़े कोई विशिष्ट पुंजबद्ध प्रोटीन नहीं मिले। वैज्ञानिकों को अभी भी मालूम नहीं है कि ऐसे पुंज बनने की वजह क्या है लेकिन उनका अनुमान है कि इसका सम्बंध दफनाने के तरीकों से है जो परंपरागत ढंग से हुआ होगा। ये नए निष्कर्ष शोधकर्ताओं को ऐसे अन्य प्राचीन ऊतकों के प्रोटीन से जानकारी इकट्ठा करने में मदद कर सकते हैं जिनसे आसानी से डीएनए बरामद नहीं किया जा सकता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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