जलवायु परिवर्तन के साथ फूलों के रंग बदल रहे हैं

लवायु परिवर्तन के साथ पेड़-पौधे और जीव-जंतु अपने इलाकों, प्रजनन के मौसम या अन्य तौर-तरीकों में बदलाव करके खुद को इस परिवर्तन के अनुकूल कर रहे हैं। अब ऐसा ही अनुकूलन फूलों में भी दिखा है। करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार पिछले 75 वर्षों में बढ़ते तापमान और ओज़ोन ह्रास के साथ फूलों की पंखुड़ियों के अल्ट्रावायलेट (यूवी) रंजकों में बदलाव आया है।

पंखुड़ियों पर यूवी किरणें सोखने वाले रंजक मौजूद होते हैं, जो हमें तो नज़र नहीं आते लेकिन परागणकर्ताओं को आकर्षित करते हैं और पौधों के लिए एक तरह से सनस्क्रीन का काम भी करते हैं। मनुष्यों की तरह यूवी विकिरण फूलों के पराग के लिए भी हानिकारक होते हैं। पंखुड़ियों पर जितने अधिक यूवी-अवशोषक रंजक होंगे, संवेदनशील कोशिकाओं तक यूवी किरणें उतनी कम पहुंचेंगी।

क्लेम्सन युनिवर्सिटी के पादप पारिस्थितिकीविद मैथ्यू कोस्की ने अपने पूर्व अध्ययन में पाया था कि जिन फूलों ने यूवी विकिरण का सामना अधिक किया, उनमें यूवी-रंजक भी अधिक थे। ऐसा प्राय: अधिक ऊंचाई या भूमध्य रेखा के निकट उगने वाले पौधों में होता है।

कोस्की जानना चाहते थे कि मानव गतिविधि की वजह से ओज़ोन परत में हुई क्षति और बढ़ता तापमान क्या फूलों के यूवी-रंजकों को प्रभावित करते हैं। यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका, युरोप और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली 42 अलग-अलग प्रजातियों के 1238 फूलों के वर्ष 1941 के संग्रह का अध्ययन किया। फिर विभिन्न समय पर एकत्रित किए गए इन्हीं प्रजातियों के फूलों की पंखुड़ियों की यूवी-संवेदी कैमरे से तस्वीरें खींची। इस तरह उन्होंने पंखुड़ियों में यूवी-रंजकों में आए बदलावों को देखा। इन बदलाव का मिलान स्थानीय ओज़ोन स्तर और तापमान में बदलाव के डैटा के साथ किया।

पाया गया कि सभी स्थानों पर 1941-2017 के बीच अल्ट्रावायलेट रंजकों में प्रति वर्ष औसतन 2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। लेकिन भिन्न-भिन्न बनावट के फूलों के यूवी-रंजकों में परिवर्तन में भिन्नता थी। मसलन, तश्तरी आकार के बटरकप जैसे फूलों (जिनका पराग उजागर रहता है) में,जिन इलाकों में ओज़ोन में कमी हुई थी वहां उनके यूवी-अवशोषक रंजकों में वृद्धि हुई और जिन स्थानों पर ओज़ोन में वृद्धि हुई थी वहां ऐसे रंजकों में कमी आई। दूसरी ओर, कॉमन ब्लेडरवर्ट जैसे फूलों (जिनका पराग उनकी पंखुड़ियों में छिपा होता है) में तापमान बढ़ने से यूवी-रंजकों में कमी आई, चाहे फिर उस स्थान का ओज़ोन स्तर बढ़ा हो या कम हुआ हो।

पंखुड़ियों के भीतर छिपा पराग नैसर्गिक रूप से यूवी विकिरण से सुरक्षित होता है। ऐसी स्थिति में पंखुड़ियों में मौजूद यूवी-रंजकों की अतिरिक्त सुरक्षा ग्रीनहाउस की तरह कार्य करती है और गर्मी बढ़ाती है। इसलिए जब फूल उच्च तापमान का सामना करते हैं तो पराग के झुलसने की संभावना होती है। यदि पंखुड़ियों में कम यूवी-रंजक हों तो कम विकिरण अवशोषित होगा और ताप भी कम रहेगा।

लेकिन यही यूवी-रंजक हमिंगबर्ड और मधुमक्खियों जैसे परागणकर्ताओं को आकर्षित भी करते हैं। अधिकांश परागणकर्ता उन फूलों पर बैठना पसंद करते हैं जिनकी पंखुड़ियों के किनारों पर यूवी-अवशोषक रंजक कम और बीच में अधिक हो। लेकिन यदि यूवी-अवशोषक रंजक बढ़े तो यह अंतर मिट जाएगा, नतीजतन परागणकर्ता ऐसे फूलों पर नहीं आएंगे। ये बदलाव पराग को तो सुरक्षित कर देंगे लेकिन परागणकर्ता दूर हो जाएंगे।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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