एक मछली में नर गर्भधारण करता है

नाम है सीहॉर्स यानी समुद्री घोड़ा लेकिन है मछली। अन्य विशेषताओं के अलावा यह स्तनधारियों का एकमात्र समूह है जिसमें नर गर्भधारण करता है और बच्चों को जन्म भी देता है। ताज़ा अनुसंधान से पता चला है कि नर समुद्री घोड़े में जो संतान थैली होती है वह दरअसल गर्भनाल (आंवल) का काम करती है। इस संतान थैली में एक समय पर 100 शिशु समुद्री घोड़े पाए जा सकते हैं।

इस अनुसंधान का नेतृत्व सिडनी विश्वविद्यालय की वैकासिक जीव विज्ञानी कैमिला विटिंगटन ने किया। उनका शोध दल यह समझना चाहता था कि जब शिशु इस संतान थैली में होते हैं तो उन्हें पोषण कहां से और कैसे प्राप्त होता है। इस बात की संभावना तो काफी समय पहले जताई गई थी कि यह संतान थैली आंवल के समान काम करती है। प्रमाण अब मिला है।

नर समुद्री घोड़ा पितृत्व की ओर अपना पहला कदम मादा के आसपास नृत्य से शुरू करता है जिसमें नर और मादा अपनी पूंछों को जोड़ते हैं, रंग बदलते हैं और एक सहारे को पकड़कर चक्कर लगाते हैं। इसके बाद मादा का अंडोत्सर्ग अंग नर की थैली के सुराख की सीध में आ जाता है और मादा अपने अंडे नर की थैली में जमा कर देती है। इतना हो जाने के बाद नर थोड़ा हिल-डुलकर अंडों को व्यवस्थित कर लेता है। लगभग 6 सप्ताह बाद नर प्रसव पीड़ा से गुज़रता है और सैकड़ों शिशुओं को पानी में धकेल देता है। बड़े होने पर वे अपने रास्ते चले जाते हैं और नर चंद घंटों में फिर से गर्भधारण के लिए तैयार हो जाता है।

लेकिन सवाल तो यह था कि इन विकसित होते शिशुओं को पोषण और ऑक्सीजन कहां से मिलती है। इसे समझने के लिए विटिंगटन के दल ने सीहॉर्स हिप्पोकैम्पस एब्डोम्नेलिस की संतान थैली का अध्ययन 34 दिन की गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर किया। उन्होंने देखा कि जैसे-जैसे भ्रूण बड़े होते जाते हैं, संतान थैली की दीवार पतली होती जाती है और उसमें असंख्य रक्त वाहिनियां निकलने लगती हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसा स्तनधारियों की आंवल में होता है। गर्भावस्था के अंतिम दौर में तो संतान थैली अत्यंत पतली हो गई थी और उसकी अंदरुनी सतह पर खूब सिलवटें बन गई थीं। इसकी वजह से अंदरुनी सतह का क्षेत्रफल खूब बढ़ गया। प्रसव के 24 घंटे के अंदर यह थैली अपनी पूर्व अवस्था में आ गई।

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्तनधारियों की आंवल और यह संतान थैली एक-सी भूमिका अदा करते हैं लेकिन ये रचनाएं सर्वथा अलग-अलग ऊतकों से निर्मित होती हैं। इस मायने में यह अभिसारी विकास का एक उम्दा उदाहरण है – एक ही समस्या के लिए एकदम अलग-अलग ढंग से एक ही समाधान तक पहुंचना। जैसे चमगादड़ों और पक्षियों में उड़ने से सम्बंधित रचनाएं बिलकुल अलग-अलग ऊतकों से बनी होती हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acx9180/full/_20210917_on_maleseahorsesgrowaplacentatoincubatetheiryoung.jpg

प्रातिक्रिया दे