यूएसए में बंदूक हिंसा और बंदूक नियंत्रण नीतियां

यूएसए में बंदूक सम्बंधी हिंसा का स्तर काफी अधिक है। वहां बंदूक नियंत्रण की नीतियों के कई अध्ययन भी हुए हैं। हाल ही में ऐसे 150 अध्ययनों के विश्लेषण का निष्कर्ष है कि बच्चों को बंदूक जैसे आग्नेयास्त्रों से दूर रखना बंदूकी हिंसा की रोकथाम में काफी कारगर है जबकि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए छिपाकर हथियार रखने की अनुमति देना हिंसा को बढ़ावा देता है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस में निजी मिल्कियत में बंदूकों की संख्या 26.5 करोड़ से 39.3 करोड़ के बीच है। और हर साल 45,000 से ज़्यादा अमरीकी लोग बंदूक द्वारा जानबूझकर या गैर-इरादतन हिंसा के कारण जान गंवाते हैं। इनमें से लगभग आधे मामले खुदकुशी के होते हैं। इस हिंसा के पैटर्न को समझने के लिए 18 अलग-अलग क्षेत्रों की बंदूक नियंत्रण नीति पर किए गए 152 अध्ययनों की समीक्षा की गई और विभिन्न नीतियों के परिणामों को देखा गया – जैसे घाव तथा मृत्यु, मास शूटिंग, और बंदूक का सुरक्षा के लिए उपयोग वगैरह।

यूएस के कुछ प्रांतों में नीति है – स्टैण्ड-योर-ग्राउण्ड। इसका मतलब होता है कि यदि किसी को पर्याप्त यकीन है कि उसे कतिपय अपराध के खिलाफ स्वयं की रक्षा करना ज़रूरी है, तो वह जानलेवा शक्ति का उपयोग कर सकता है। अध्ययन में पाया गया कि यह नीति बंदूकी हत्याओं की उच्च दर से मेल खाती है। छिपाकर आग्नेयास्त्र रखने की अनुमति देने वाले कानून भी बंदूक-सम्बंधी हिंसा में वृद्धि से जुड़े पाए गए।

ये निष्कर्ष 2020 की रैण्ड कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट से काफी अलग हैं जिसका निष्कर्ष था कि छिपाकर रखे जाने वाले हथियार सम्बंधी कानूनों और मौतों के बीच सम्बंध स्पष्ट नहीं है। रैण्ड के व्यवहार-वैज्ञानिक एण्ड्र्यू मोरेल का मत है कि यह निष्कर्ष कानून व नीति निर्माताओं के लिए चुनौती भी है क्योंकि जिन प्रांतों में प्रतिबंधात्मक कानूनों को अदालतों में असंवैधानिक करार दिया गया था वहां आग्नेयास्त्र से होने वाली हत्याओं और कुल हत्याओं में वृद्धि होने की आशंका है। या ये प्रांत हथियार लेकर घूमने सम्बंधी इन समस्याओं का कोई और उपाय निकालेंगे। जैसे ये प्रांत कुछ बंदूक-मुक्त क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि बच्चों की आग्नेयास्त्रों तक पहुंच रोकने वाले कानून – जिन्हें सेफ स्टोरेज कानून भी कहा जाता है – युवाओं में बंदूकों से होने वाली क्षति को कम करते हैं। इन कानूनों के तहत यह शर्त होती है कि बंदूकों को तालों में बंद करके, या गोलियां निकालकर, और गोलियों से अलग रखा जाए। ऐसे कानूनों से युवा लोगों में खुदकुशी व हत्याएं कम होती हैं।

यह निष्कर्ष खास तौर से युवाओं में खुदकुशी की घटनाएं रोकने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है क्योंकि खुदकुशी के अधिकांश मामलों में बंदूक का उपयोग देखा गया है। कारण यह बताया जाता है कि खुदकुशी करने का आवेग क्षणिक होता है और उस समय यदि बंदूक आसपास न हो तो बात टल सकती है। अन्यथा व्यक्ति को दूसरा मौका नहीं मिलता।

अलबत्ता, रिपोर्ट इस बारे में कोई निश्चयात्मक दावा नहीं करती कि मास शूटिंग और कानून का कोई सम्बंध है। लेकिन इस अध्ययन से एक बात साफ हुई है कि बंदूक की उपलब्धता और सुगमता का सम्बंध हिंसा से है। रैण्ड कॉर्पोरेशन इस हिंसा के अन्य पहलुओं पर भी अध्ययन करना चाहता है ताकि बंदूक संस्कृति पर लगाम लगाई जा सके। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adg6097/abs/_20230110_0n_rand_gun_study_gun_safety.jpg

प्रातिक्रिया दे