विज्ञान: 2023 के टॉप टेन व्यक्ति – चक्रेश जैन

विज्ञान जगत की प्रतिष्ठित शोध पत्रिका नेचर ने साल 2023 के टॉप टेन व्यक्तियों की सूची जारी की है। इस सूची में वे लोग हैं जिन्होंने विदा हो चुके साल में अदभुत अनुसंधान किया है या अहम वैज्ञानिक मुद्दों की ओर ध्यान खींचा है। गौरतलब है कि टॉप टेन व्यक्तियों का चयन पुरस्कार देने के लिए नहीं किया गया है वरन इसका उद्देश्य बीते साल में विज्ञान से जुड़े उन चुनिंदा व्यक्तियों के विलक्षण योगदान को रेखांकित करना है, जिनका समाज के हितों से सरोकार रहा है या जिनका सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

इस साल नेचर ने पहली बार टॉप टेन लोगों के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का भी चयन किया है। तो मिलिए साल 2023 के टॉप टेन व्यक्तियों से।

कल्पना कलाहस्ती

टॉप टेन की सूची में भारतीय महिला वैज्ञानिक कल्पना कलाहस्ती प्रथम स्थान पर हैं। उन्होंने पिछले साल चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सफलतापूर्वक अवतरण में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने चंद्रयान-3 में एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया। कलाहस्ती के सामने दो बड़ी चुनौतियां थीं। पहली, चंद्रयान-3 का कुल वज़न कम करना और दूसरी, उपलब्ध बजट में चंद्रयान-3 का निर्माण करना। चंद्रयान-2 की असफलता से सबक लेते हुए उन्होंने अपनी टीम के साथ पूरी लगन से चंद्रयान-3 का निर्माण किया। इसके बाद चंद्रयान-3 के कई परीक्षण एवं इसरो के एक दर्जन केंद्रों के साथ उसके परिणामों का समन्वय किया। यह काम ऐसा था मानो पांच-छह उपग्रहों का एक साथ निर्माण!

कलाहस्ती को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एवं सिस्टम्स इंजीनियर का व्यापक तर्जुबा है। उन्होंने इसके पहले कई पृथ्वी-प्रेक्षण उपग्रहों के विकास में नेतृत्व की भूमिका निभाई है।

मरीना सिल्वा: अमेज़ॉन संरक्षक

ब्राज़ील की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री मरीना सिल्वा ने अमेज़ॉन वनों के विनाश को रोकने में अहम और पुरज़ोर भूमिका निभाई है। उन्होंने 3 अगस्त को अपने संबोधन में बताया था कि वन विनाश सम्बंधी चेतावनियों में 43 फीसदी कमी आई है। ये चेतावनियां उपग्रह चित्रों के आधार पर चेतावनी जारी की जाती है।

कात्सुहिको हयाशी: दो पिता की संतान का जनन

कात्सुहिको हयाशी ओसाका युनिवर्सिटी में डेवलपमेंट बायोलॉजिस्ट हैं, जिन्हें पहली बार बिना मादा के दो नर चूहों से एक चुहिया पैदा करने में कामयाबी मिली है। आम तौर पर किसी भी जीव में प्रजनन के लिए नर और मादा दोनों की ज़रूरत होती है।

इस कामयाबी से भविष्य में विलुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना संभव हो सकेगा। हालांकि कात्सुहिको हयाशी की इस अभिनव सफलता से यह सवाल भी उठा है कि क्या लैंगिक प्रजनन विज्ञान के नियमों को फिर से परिभाषित करना पड़ेगा।

अपने अध्ययन के लिए हयाशी ने नर चूहे की पूंछ से कोशिकाएं निकालीं, जिनमें ‘एक्स’ और ‘वाय’ सेक्स गुणसूत्र मौजूद थे। फिर इन कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं में बदल दिया। इस प्रक्रिया में तीन फीसदी कोशिकाओं में स्वत: ही ‘वाय’ गुणसूत्र नष्ट हो गया। ‘वाय’ गुणसूत्र रहित कोशिकाओं को पृथक कर एक ऐसे रसायन से उपचारित किया, जो कोशिका विभाजन के दौरान त्रुटियां पैदा करता है। कुछ त्रुटियां ऐसी हुई थीं जिनके कारण ऐसी कोशिकाओं का निर्माण हुआ, जिनमें दो ‘एक्स’ गुणसूत्र थे यानी एक मायने में वे मादा कोशिकाएं बन चुकी थीं। अनुसंधान टीम ने इन कोशिकाओं को अंडों में परिवर्तित किया और अंडों को निषेचित करके भ्रूण को मादा चुहिया के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया। 630 प्रत्यारोपित भ्रूणों में से 7 ही विकसित होकर चूहे बने।

एनी क्रिचर: नाभिकीय संलयन

साल 2023 में नाभिकीय साइंस की अध्येता एनी क्रिचर ने नाभिकीय संलयन के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की। क्रिचर का अपने शोध दल के साथ पहली बार कैलिर्फोनिया स्थित लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में हाइड्रोजन के भारी आइसोटोप्स के नाभिकीय संलयन का प्रयोग सफल रहा। इसमें जितनी ऊर्जा दी गई थी उससे अधिक ऊर्जा पैदा की गई। उनका यह प्रयोग साफ-सुथरी ऊर्जा उत्पादन की दिशा में गेमचेंजर की तरह देखा जा रहा है।

एलेनी मायरिविली: ऊष्मा अधिकारी

एलेनी मायरिविली राष्ट्र संघ की प्रथम ऊष्मा अधिकारी हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों का सामना करने के लिए पुरज़ोर पहल करते हुए अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्हें जुलाई 2021 में एथेंस सरकार द्वारा मुख्य ग्रीष्म लहर अधिकारी नियुक्त किया गया था। उनका विचार है कि ग्रीष्म लहर या लू को गंभीरता से लेने के साथ ही लोगों को संवेदनशील और जागरूक बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने इस पद पर रहते हुए एक ऐसी कार्य योजना बनाई जिसमें स्वास्थ्य, बीमारी और मृत्यु दर के डैटा और मौसम सम्बंधी डैटा को एक साथ प्रस्तुत किया गया है। उनका मानना है कि लू से बचाव के लिए छायादार सार्वजनिक स्थानों के निर्माण की ज़रूरत है। उन्होंने भीषण गर्मी की चुनौतियों का सामना करने के लिए डिजिटल समाधान अपनाने का सुझाव भी दिया है।

मायरिविली ने अपने करियर की शुरुआत सांस्कृतिक मानव विज्ञानी के रूप में की थी। उन्होंने अपना पूरा ध्यान ग्रीष्म लहर के अध्ययन पर केंद्रित किया। साल 2007 में उनके जीवन में नया मोड़ आया। उन्होंने ग्रीष्म लहरों के बारे में सूचनाओं के अभाव से नाराज़ और असंतुष्ट होने के बाद राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया। उन्हें दिसंबर 2023 में दुबई में आयोजित कॉप-28 में भाग लेने के लिए न्यौता केवल इसलिए दिया गया था, क्योंकि उन्होंने वैश्विक तापमान बढ़ोतरी में एयर कंडीशनिंग को दोषी मानते हुए इस उपकरण का बहिष्कार किया।

इल्या सटस्केवर: चैट-जीपीटी के प्रथम अन्वेषक

वैज्ञानिक और ओपन एआई कंपनी के सह-संस्थापक इल्या सटस्केवर ने चैट-जीपीटी सहित संवाद करने वाली कृत्रिम बुद्धि प्रणालियों के विकास में मुख्य भूमिका निभाई है। वर्ष 2022 में इल्या सटस्केवर द्वारा सृजित चैट-जीपीटी एक साल के भीतर ही लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गया था। इल्या सटस्केवर डीप लर्निंग और लार्ज लैंग्वेज मॉडल अनुसंधान में अग्रणी रहे हैं।

1986 में सोवियत संघ में पैदा हुए सटस्केवर ने इस्रायल में विश्वविद्यालय स्तर पर कोडिंग विषय पढ़ाया है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धि के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने इस प्रौद्योगिकी के खतरों और भविष्य को लेकर भी बड़ी चिंता जताई है। उन्होंने 2022 में यह घोषणा कर दी थी कि कृत्रिम बुद्धि में ‘मामूली चेतना’ आ चुकी है। सटस्केवर ने अल्फागो के विकास में भी मदद की है। उन्हें 2018 में जीपीटी के प्रथम अवतार के बाद जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर (जीपीटी) के विकास और संवारने में अत्यधिक योगदान का श्रेय जाता है।

जेम्स हेमलिन: अतिचालकता शोध में फर्ज़ीवाड़े का भंडाफोड़

भौतिक शास्त्री जेम्स हेमलिन ने साल 2023 में अतिचालकता सम्बंधी एक शोध पत्र में धोखाधड़ी का भंडाफोड़ करने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। जेम्स हेमलिन भौतिकी के प्राध्यापक हैं तथा उच्च दाब प्रयोग करते हैं और अतिचालकता के विशेषज्ञ हैं।

दरअसल, मार्च 2023 में नेचर में रोचेस्टर युनिवर्सिटी के शोधकर्ता रंगा डायस की रिपोर्ट छपी थी, जिसमें उन्होंने कमरे के तापमान पर अतिचालकता हासिल करने का दावा किया था। हेमलिन ने नेचर पत्रिका के संपादकीय विभाग से संपर्क किया और इस शोध पत्र में फर्ज़ीवाड़े की आशंका जताई। नवंबर में इस शोध पत्र को हटा दिया गया था।

स्वेतलाना मोजसोव: गुमनाम औषधि अन्वेषक

नेचर ने मधुमेह और वज़न घटाने वाली औषधियों की अनुसंधानकर्ता स्वेतलाना मोजसोव को टॉप टेन में शामिल किया है, जबकि साइंस ने वर्ष 2023 की उपलब्धियों में प्रथम स्थान पर रखा है। उन्होंने ग्लूकॉन-लाइक पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) हारमोन की खोज में योगदान दिया है। यह हारमोन भूख का दमन करता है। यही हारमोन ओज़ेम्पिक और वीगोवी जैसी वज़न घटाने वाली औषधियों का प्रमुख घटक है। दरअसल, स्वेतलाना मोजसोव उन गुमनाम व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन्हें नई औषधि खोजने के बावजूद लंबे समय तक यथोचित मान्यता और शोहरत नहीं मिली। 

स्वेतलाना मोजसोव ने दशकों तक रॉकफेलर युनिवर्सिटी में संश्लेषित पेप्टाइड्स और प्रोटीनों पर काम किया है। उन्होंने बोस्टन स्थित मेसाचूसेट्स जनरल हॉस्पिटल में संश्लेषित प्रोटीनों पर अनुसंधानकर्ताओं का मार्गदर्शन करने के साथ उन्हें रिसर्च टूल्स भी उपलब्ध करवाए थे। मोजसोव ने चूहों पर प्रयोग किए थे और जीएलपी-1 की जैविक सक्रियता को उजागर किया था।

मोजसोव ने लंबे अंतराल के बाद साल 2023 में अपनी उपेक्षा को देखते हुए मुखर होने का मार्ग चुना और जीएलपी-1 हारमोन पर अपना शोध पत्र सेल और नेचर पत्रिका को भेजा। ये शोध पत्र इन दोनों पत्रिकाओं के अलावा साइंस में भी प्रकाशित हुए।

हलीदू टिन्टो: मलेरिया योद्धा

मलेरिया योद्धा के रूप में पहचान स्थापित कर चुके हलीदू टिन्टो ने लंबे शोध प्रयासों के बाद मलेरिया से लड़ने के लिए टीका बनाने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। अब मलेरिया रोग से लड़ने के लिए दो टीके उपलब्ध हैं। एक ‘आरटीएस,एस’ है, जिसे ग्लैैक्सोस्मिथक्लाइन ने विकसित किया है। दूसरा ‘आर-21’ बुर्किना फासो स्थित क्लीनिकल रिसर्च युनिट ऑफ नैनोरो ने विकसित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मलेरिया से लड़ने में दोनों ही टीके कारगर साबित हुए हैं। हलीदू टिन्टो ने टीके बनाकर अफ्रीका महाद्वीप में लाखों लोगों का जीवन बचाने में असाधारण भूमिका निभाई है। टिन्टो के अनुसार अफ्रीका के विकास में अनुसंधान की भूमिका को समझने का यह सबसे अच्छा उदाहरण है। इन दिनों टिन्टो आर-21 टीके पर और अधिक अनुसंधान कार्य में जुटे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह टीका 2024 के मध्य तक पूरे अफ्रीका महाद्वीप में उपलब्ध हो जाएगा।

थॉमस पॉवेल्स: कैंसर अध्येता

चिकित्सा वैज्ञानिक थॉमस पॉवेल्स ने घातक ब्लैडर कैंसर की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वस्तुत: उन्होंने आने वाले दिनों में इस रोग पर विजय पाने के लिए इम्युनोथैराप्युटिक ड्रग्ज़ का मार्ग प्रशस्त किया है।

प्रोफेसर थॉमस पॉवेल्स आरंभ में हृदय रोग चिकित्सक थे। उन्होंने बाद में ब्लैडर कैंसर की चपेट में आ चुके लोगों के क्लीनिकल परीक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने दो नई दवाओं के मिश्रण से एक नई दवा तैयार की और इसका क्लीनिकल परीक्षण किया। इस दवा के इस्तेमाल से पीड़ित व्यक्तियों का जीवनकाल सोलह माह से लेकर ढाई वर्ष तक बढ़ गया। इस परीक्षण को लगभग चार दशकों के बाद घातक ब्लैडर कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता के रूप देखा गया है।

थॉमस पॉवेल्स के अनुसंधान से प्रेरणा लेकर युवा अनुसंधानकर्ताओं ने आगे कदम बढ़ाए और एंटीबॉडी ड्रग कांजुगेट्स (एडीसी) उपचार विकसित कर लिया। दरअसल एडीसी में कैंसर-रोधी औषधि होती है, जिसे एंटीबॉडी से जोड़ा गया होता है। एंटीबॉडी औषधि को सही लक्ष्य पर पहुंचने में मदद करती है। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने साल 2023 के आरंभ में ही इस ड्रग को मंज़ूरी दे दी थी।

टॉप टेन में चैट-जीपीटी क्यों?

नेचर ने पहली बार टॉप टेन की लिस्ट में चैट-जीपीटी को भी शामिल किया है। बीते वर्ष 2023 में चैटजीपीटी का विज्ञान और समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। यह वैज्ञानिक शोध पत्र लिख सकता है, व्याख्यानों के प्रस्तुतीकरण की रूपरेखा बना सकता है, अनुदान हेतु प्रस्ताव तैयार कर सकता है। चैटजीपीटी एक विशाल भाषा मॉडल (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) है, जिसे जटिल जिज्ञासाओं का उत्तर देने में सक्षम बनाया गया है। इसके ज़रिए गणित के सूत्रों को समझा जा सकता है, राजनीतिक टीका-टिप्पणी की जा सकती है। यह मनोरंजन कर सकता है। चिकित्सा सम्बंधी अनुमान लगा सकता है। इसके उपयोगों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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