क्षुद्रग्रह रीयूगू पर विस्फोटक गिराया

पिछले वर्ष, अंतरिक्ष खोजी यान हयाबुसा-2 ने क्षुद्रग्रह रीयूगू पर गोली से हमला करने जैसे कई अतिरंजित जांच की हैं। लेकिन हाल ही में अब तक की सबसे साहसी आतिशबाज़ी का प्रदर्शन किया गया है। इस खोजी यान ने क्षुद्रग्रह की सतह पर एक छोटा गड्ढा बनाने के लिए विस्फोटक गिराया है।

मिशन से जुड़ी टीम ने अभी तक विस्फोट की पुष्टि नहीं की है। यदि यह कामयाब रहा तो यह क्षुद्रग्रह की कुछ अंदरुनी परतों को उजागर करेगा जिसको खोजी यान उतरने के बाद एकत्रित करेगा। यह कार्यवाही 5 अप्रैल, 2019 को अंजाम दी गई। खोजी यान ने क्षुद्रग्रह की सतह से 500 मीटर ऊपर पहुंचकर एक विस्फोटक गिराया गया। फिर थोड़ा ऊपर जाने के बाद एक उपकरण की मदद से कैमरा भी गिराया गया।

सगामिहारा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एंड एस्ट्रोनॉटिकल साइंस (आईएसएएस) के इंजीनियर ओसामु मोरी के अनुसार विस्फोटक गिराने वाला प्रयोग थोड़ा अलग था। रीयूगू के कमज़ोर गुरुत्वाकर्षण के कारण बम को सतह तक पहुंचने में लगभग 40 मिनट लगे। इसी बीच अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह के पीछे एक सुरक्षित क्षेत्र में पहुंच गया। इस तरह विस्फोट के कारण यान को नुकसान नहीं पहुंचा। एक कैमरा अभी भी लक्षित जगह के ऊपर स्थित है जो तस्वीरें मुख्य यान को भेजेगा जिनसे पुष्टि की जा सकेगी कि विस्फोट से कितना बड़ा गड्ढा बना है। इस प्रयोग से खगोलविदों को क्षुद्रग्रह की सतह के नीचे की सामग्री का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा जिससे सौर मंडल के शुरुआती समय की जानकारी मिल सकती है।

आने वाले हफ्तों में खोजी यान थोड़ी ऊंचाई से गड्ढे की तस्वीरें लेगा। इसके बाद यान को आगे की जांच के लिए गड्ढे में उतारकर नमूना एकत्र किया जाएगा। यह रियूगू से एकत्र किया गया दूसरा नमूना होगा। इससे पहले यान ने एक गोली से हमला करके थोड़ा मलबा एकत्रित किया था।

हयाबुसा-2 वर्ष 2014 के अंत में पृथ्वी से रवाना होकर जून 2018 में रियूगू पहुंचा। सितंबर और अक्टूबर में दो अलग-अलग चरणों में, इसने सतह पर तीन छोटी-छोटी जांच कीं। हयाबुसा का 2019 के अंत से पहले पृथ्वी पर वापस लौटना निर्धारित है। एक साल बाद, फिर से एक प्रवेश कैप्सूल प्रयोगशाला में अध्ययन हेतु नमूने लेगा।

अंतरिक्ष एजेंसियां पहले भी ऐसे प्रयोग कर चुकी हैं। 2005 में, नासा के डीप इम्पैक्ट मिशन ने टेम्पल 1 नामक धूमकेतु पर उच्च गति पर एक टक्कर करवाई थी। चांद की सतह पर टक्कर करवाई गई हैं और उनके प्रभावों का अध्ययन किया गया है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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