वॉम्बेट की घनाकार विष्ठा

नाकार चीज़ें हमें आकर्षक लग सकती हैं लेकिन प्रकृति में घनाकार चीज़ें बहुत कम पाई जाती हैं। लिहाज़ा यदि कोई जंतु घनाकार विष्ठा त्यागे तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर उसकी विष्ठा घनाकार क्यों है। इसकी व्याख्या के लिए पहले एक टीम को इगनोबल पुरस्कार मिल चुका है लेकिन वह व्याख्या गलत पाई गई थी।

वॉम्बेट एक झबरीले शरीर वाला मार्सूपियल है जो घनाकार विष्ठा त्यागता है। मार्सूपियल उन स्तनधारी प्राणियों को कहते हैं जो अल्प-विकसित शिशु को जन्म देते हैं और उनका शेष विकास शरीर के बाहर एक थैली में होता है। कंगारू सबसे जाना-माना मार्सूपियल है। हाल ही में, जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के बायोमेकेनिक्स शोधकर्ता डेविड हू ने स्पष्ट किया है कि वॉम्बेट की घनाकार विष्ठा के लिए उसका गुदा द्वार नहीं बल्कि आंत की रचना ज़िम्मेदार होती है। और संभवत: 10 मीटर लंबी आंत का अंतिम 17 प्रतिशत हिस्सा ही विष्ठा को घनाकार बनाने में भूमिका निभाता है।

वॉम्बेट (वोम्बेटस अरसीनस), ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों और युकेलिप्टस के जंगलों में रहते हैं। ये रात में चरते हैं और दिन का समय भूमिगत सुरंगों में बिताते हैं। 35 किलोग्राम तक के वज़न वाले ये वॉम्बेट अपना इलाका बनाते हैं, और इस इलाके की निशानदेही उनकी विष्ठा से होती है।

दरअसल, पूर्व में एक्सीडेंट में मारे गए वॉम्बेट की आंत का अध्ययन कर वैज्ञानिक यह तो पता लगा चुके थे कि उनकी आंत की दीवार में उस जगह दो खांचे होते हैं जहां आंत अधिक लचीली होती है।

वर्तमान अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दो और वॉम्बेट की आंतों का अध्ययन किया। इसमें उन्होंने आंत की मांसपेशियों और ऊतक की परतों का अध्ययन कर विभिन्न स्थानों पर आंत की मोटाई और कठोरता पता की। फिर उन्होंने एक ऐसा 2-डी गणितीय मॉडल बनाया जो दर्शाता था कि पाचन के साथ आंत के ये हिस्से किस तरह फैलते-सिकुड़ते हैं। सॉफ्ट मैटर नामक पत्रिका में शोधकर्ताओं ने बताया है कि आंत कई दिनों तक सिकुड़ती-फैलती रहती है। इस संकुचन के चलते मल को निचोड़ा जाता है और आंत की दीवारें उसमें से पोषक तत्व और पानी सोख लेती हैं। दरअसल, वॉम्बैट की आंतें पानी व पोषक तत्वों को सोखने में सिद्धहस्त होती हैं। यहां विष्ठा में से अधिकांश पानी सोख लिया जाता है। विष्ठा का सूखापन उसके आकार को बनाए रखने में मददगार होता है।

आंत के कठोर हिस्से तने हुए रबर बैंड की तरह कार्य करते हैं – ये नर्म हिस्सों की तुलना में तेज़ी से सिकुड़ते हैं। आंत के नर्म हिस्से धीरे-धीरे सिकुड़ते हैं और घनाकार विष्ठा के किनारों को सपाट करते हैं। अन्य स्तनधारियों में, आंत की मांसपेशियों का फैलना-सिकुड़ना हर जगह समान रूप से होता है। लेकिन वॉम्बेट की खांचेदार आंत और उसका असमान रूप से फैलना-सिकुड़ना विष्ठा को घनाकार बना देता है।

एक सवाल अभी भी है कि वॉम्बेट की घनाकार विष्ठा क्यों विकसित हुई। हू का अनुमान है कि चूंकि वॉम्बेट चट्टानों पर चढ़ते हैं और विष्ठा से अपना इलाका चिन्हित करते हैं, इसलिए यदि विष्ठा घनाकार होगी तो उसके ढलान से लुढ़कने की संभावना कम होगी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि आंतों के इस तंत्र से इंजीनियरों को कीमती या संवेदनशील सामग्रियों को आकार देने के लिए बेहतर डिज़ाइन बनाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह जानकारी चिड़ियाघर में रखे गए वॉम्बेट के बेहतर पालन करने में मदद कर सकती है। कभी-कभी चिड़ियाघर के वॉम्बेट का मल जंगली वॉम्बेट की तुलना में कम घनाकार होता है, और विष्ठा जितनी अधिक घनाकार है वॉम्बेट उतना ही स्वस्थ है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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