भारी-भरकम डायनासौर की चाल

सौरोपोड्स अब तक के ज्ञात सबसे बड़े डायनासौर में से हैं। ये आज से लगभग 20 करोड़ से 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर चहलकदमी करते थे। लेकिन सवाल यह था कि लगभग 70 टन वज़नी विशाल सौरोपोड्स की चाल कैसी रही होगी? क्या वे जिराफ की तरह चलते होंगे, अपने दोनों दाएं या दोनों बाएं पैर एक साथ उठाकर रखते हुए? या फिर हाथी की तरह चलते होंगे, पहले आगे वाला बस एक पैर उठाकर आगे रखा फिर उसके विपरीत पीछे वाला पैर?

लेकिन हालिया अध्ययन में पता चला है कि वे इनमें से किसी भी तरह से नहीं चलते थे बल्कि वे अपने आगे-पीछे के विपरीत पैरों को एक साथ उठाते हुए चलते थे, जिस तरह बीवर या हेजहॉग चलते हैं।

पूर्व अध्ययनों का निष्कर्ष था कि सौरोपोड्स जिराफ की चाल से चलते थे यानी दोनों दाएं या दोनों बाएं पैर एक साथ उठाकर चलते थे। लेकिन लिवरपूल जॉन मूर्स युनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी जेन्स लेलेंसैक को यह बात कुछ हजम नहीं हुई क्योंकि यदि इतना भारी-भरकम जीव अपना सारा वज़न एक तरफ डालते हुए चलेगा तो उसके गिरने की आशंका होगी जो जानलेवा होगा।

इसलिए लेलेंसैक और उनके साथियों ने सौरोपोड के अश्मीभूत पदचिंहों का अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने 1989 और 2018 में दक्षिण-पश्चिमी अर्कांसस में जिप्सम खदानों के पास मिले तीन पदमार्गों (पैरों के निशान से बने रास्ते) चुने, जिन पर से अकेला सौरोपोड गुज़रा था।

सबसे पहले उन्होंने प्रत्येक पदचिंह के बीच की दूरी को मापा और देखा कि ये निशान अगले पैर के हैं या पिछले के, दाएं पैर के हैं या बाएं पैर के। फिर शोधकर्ताओं ने गणना की कि पदमार्ग में पैरों की कौन-सी स्थितियां (लिंब फेज़) फिट होती हैं – यानी अगले और पिछले पैरों के ज़मीन पर पड़ने वाले समय के अंतराल नापे जो इस पदमार्ग में फिट बैठते हों। इस माप से प्रत्येक जानवर की चाल पता की जा सकती है: उदाहरण के लिए, 0 प्रतिशत लिंब फेज़ वाली चाल का अर्थ है कि वह जंतु एक ओर के आगे और पीछे के पैर एक साथ उठाता-रखता है।

सौरोपोड के धड़ की लंबाई या उसके कंधों से कूल्हों की बीच की दूरी को मापकर सौरोपोड के मॉडल शरीर पर लिंब फेज़ को दर्शाया जा सकता है। चलते समय किसी जानवर का धड़ बड़ा-छोटा तो नहीं होता।

शोधकर्ताओं ने गणना की कि सभी संभावित लिंब फेज़ में से कौन सा लिंब फेज़ धड़ की लंबाई से मेल खाता है। हरेक पदमार्ग के लिए उन्होंने पाया कि सौरोपोड पैरों की ‘विकर्ण जोड़ी’ पैटर्न में चलता था: हमेशा आगे का दायां और पीछे का बायां या आगे का बायां और पीछे दायां पैर ज़मीन पर रहता है और दूसरी जोड़ी के पैर एक साथ उठते हैं। शोधकर्ताओं ने ये निष्कर्ष करंट बायोलॉजी में प्रकाशित किए हैं।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने वर्तमान जानवरों जैसे कुत्तों, घोड़ों, ऊंटों, हाथियों और यहां तक कि रैकून द्वारा छोड़े पदचिन्हों पर अपने तरीके को जांचा। उनके सारे अनुमान सही निकले।

लगता है, पदमार्गों की मदद से बाकी डायनासौर की चाल पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है। इसके अलावा, सौरोपोड विविध तरह के थे उनके आकार भिन्न थे तो संभव है कि उनकी चाल भी अलग-अलग रही हो। शोधकर्ता इस बात सहमत हैं और अन्य सौरोपोड्स और डायनासौर की चाल का विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adb1775/abs/_20220301_on_fossilizedprint.jpg
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