शनि के उपग्रह पर ड्रोन भेजने की तैयारी में नासा – प्रदीप

बीते चार-पांच दशकों में शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन आकर्षण का केंद्र रहा है। टाइटन पृथ्वी के अलावा सौरमंडल का इकलौता ऐसा पिंड है, जिसकी सतह पर नहरों, सागरों आदि की उपस्थिति के ठोस प्रमाण मिले हैं। विज्ञानियों का मानना है कि एक समय हमारी पृथ्वी टाइटन की तरह ही थी। टाइटन के वायुमंडल में बादलों की मौजूदगी और तड़ित की घटनाएं पृथ्वी जैसे मौसम का वायदा करती हैं। इसलिए वहां सूक्ष्मजीवी जीवन की मौजूदगी की पूरी संभावना है।

पृथ्वी से बाहर जीवन की मौजूदगी की जिज्ञासा में दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां लंबे समय से टाइटन की ओर टकटकी लगाए बैठी हैं। इसी क्रम में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा टाइटन पर जीवन की संभावनाओं की पड़ताल के लिए ड्रैगनफ्लाई नामक ड्रोन भेजने की तैयारी में है। मिशन ड्रैगनफ्लाई को 2027 में लांच किया जाना है और 2034 में इसके टाइटन पर पहुंचने की उम्मीद है।

हाल ही में कॉर्नेल युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने टाइटन पर ड्रैगनफ्लाई की लैंडिंग साइट निर्धारित करने के लिए कैसिनी मिशन द्वारा ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया है ताकि ड्रैगनफ्लाई की लैंडिंग के लिए एक आदर्श स्थान चुना जा सके। अंतत: सेल्क क्रेटर के पास के साग्रीला टीले को चुना गया है।

दी प्लेनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के प्रधान लेखक ली बोनेफाय का कहना है कि ड्रैगनफ्लाई टाइटन की विषुवत रेखा के सूखे इलाके में उतरेगा जहां बहुत ही ठंडे और घने वायुमंडल वाले हाइड्रोकार्बन का संसार है। कई बार वहां तरल मीथेन की बारिश होती है। लेकिन कई जगह धरती के रेगिस्तानों जैसी हैं, जहां रेत के टीले हैं, छोटे पहाड़ हैं और इम्पैक्ट क्रेटर भी हैं। अभी तक बहुत सारी जानकारियां (जैसे सेल्क क्रेटर का आकार और ऊंचाई) अनुमान ही हैं इसलिए इस सम्बंध में 2034 से पहले ज़्यादा से ज़्यादा सटीक जानकारी जुटाने की ज़रूरत है।

तकरीबन 85 करोड़ डॉलर के इस मिशन के तहत ड्रोन की मदद से टाइटन की सतह से नमूने एकत्रित कर उसकी संरचना समझने की कोशिश होगी। नासा को कैसिनी मिशन के दौरान ऐसे संकेत मिले थे कि टाइटन पर कुछ ऐसे कार्बनिक पदार्थ मौजूद हैं, जिन्हें जीवन के लिए ज़रूरी माना जाता है। तरल पानी की मौजूदगी का भी दावा किया गया था। ड्रैगनफ्लाई छोटी-छोटी उड़ानें भरेगा और विभिन्न स्थानों पर उतर कर वहां से नमूने इकट्ठा करेगा। इसकी उड़ानें आठ किलोमीटर तक की होंगी और यह कुल 175 किलोमीटर की उड़ान भरेगा। यह दूरी मंगल पर समस्त रोवरों द्वारा मिलकर तय की गई दूरी से दोगुनी होगी। उम्मीद है कि ड्रैगनफ्लाई टाइटन के सघन वायुमंडल को भेदकर उसकी बहुतेरी गुत्थियों से पर्दा उठाने में मददगार साबित होगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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