वर्तमान समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है पर्यावरण को बचाते हुए ऊर्जा की अपूरणीय मांग को पूरा करना, जो कि मानव जाति के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पेट्रोलियम, कोयला, गैस आदि जैसे जीवाश्म ईंधनों पर बहुत अधिक निर्भर है, लेकिन ये तेज़ी से चुक रहे हैं। स्पष्ट है कि ये संसाधन हमेशा उपलब्ध नहीं रहने वाले, और ये हमारे ग्रह को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे सभी देशों में एक गंभीर बहस छिड़ गई है कि पर्यावरण दिन-ब-दिन बदहाल हो रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे भावी पीढ़ी के लिए अनुपयुक्त होती जा रही है। अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए हमें ऊर्जा संकट से उबरना होगा, और इसके लिए नए एवं बेहतर ऊर्जा स्रोतों की खोज करना अत्यंत आवश्यक है। हाल के दिनों में, शोधकर्ताओं का ध्यान ऊर्जा के एक स्वच्छ और टिकाऊ नवीकरणीय स्रोत विकसित करने पर केंद्रित हुआ है। इस सम्बंध में, हाइड्रोजन एक संभावित उम्मीदवार की तरह उभरी है जो स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करके बढ़ती जलवायु चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। देखें तो यह विचार क्रिन्यावित करने में बहुत सरल और आसान-सा लगता है। लेकिन, एक सुस्थापित जीवाश्म ईंधन आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था से हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था में तबदीली इतना सीधा-सहज मामला नहीं है। इसके लिए समग्र रूप से वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों और समाज के बीच सहज और निर्बाध सहयोग की दरकार है। साथ ही ऐसी कई चुनौतियां हैं, जिनसे हाइड्रोजन का व्यावसायीकरण करने से पहले निपटना होगा। इसलिए, यह समझना ज़रूरी है कि यह नई ‘रामबाण दवा’ किस तरह हमारी समस्याओं को हल करने का दावा करती है और आगे के मार्ग में किस तरह की चुनौतियां हैं। आगे बढ़ने से पहले, हाइड्रोजन के बारे में संक्षेप में जान लेते हैं।
हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है, जो द्रव्यमान के हिसाब से सभी सामान्य पदार्थों का 74 प्रतिशत है। तात्विक हाइड्रोजन गैसीय H2 के रूप में हो सकती है, और यह गैर-विषाक्त एवं निहायत हल्की होती है। ब्रह्मांड का सबसे प्रचुर तत्व होने के बावजूद मुक्त हाइड्रोजन गैस पृथ्वी के वायुमंडल में बहुत दुर्लभ है क्योंकि यह अत्यधिक क्रियाशील होती है और हल्की होने के कारण आसानी से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से निकल जाती है। इसलिए, हम वायुमंडल से सीधे हाइड्रोजन प्राप्त करने के बारे में नहीं सोच सकते। फिर, इसका सबसे आम स्रोत पानी है जो सभी जीवित प्राणियों में भी मौजूद है। दूसरे शब्दों में कहें तो, हाइड्रोजन हम सभी में मौजूद है!
कई वैज्ञानिकों एवं समृद्धजनों ने हाइड्रोजन को कार्बन आधारित ईंधन के आकर्षक और आशाजनक विकल्प के रूप में सुझाया है। यह सुझाव निम्नलिखित तथ्यों से उपजा है:
- हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है।
- हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल बिजली, ऊष्मा और पानी का उत्पादन करते हैं एवं बहुत ही कम कार्बन फुटप्रिंट छोड़ते हैं।
- आणविक हाइड्रोजन के ऑक्सीजन के साथ दहन से ऊष्मा उत्पन्न होती है और इसका एकमात्र उपोत्पाद पानी होता है। दूसरी ओर, जीवाश्म ईंधन का दहन कई हानिकारक प्रदूषक और भारी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड पैदा करता है।
- उल्लेखनीय है कि कई वाहन निर्माता कंपनियों ने यह दर्शाया है कि हाइड्रोजन का उपयोग सीधे अंत:दहन इंजन में किया जा सकता है। इसलिए, परिवहन उद्योग अब वाहनों के लिए हाइड्रोजन आधारित ईंधन में भारी निवेश कर रहे हैं।
अलबत्ता, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसा पहली बार नहीं है जब हाइड्रोजन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। किसी ज़माने में, ‘टाउन गैस’ नामक मिश्रण का महत्वपूर्ण घटक हाइड्रोजन थी, इसका उपयोग खाना पकाने और घरों एवं सड़कों को रोशन करने के ईंधन के रूप में व्यापक तौर पर किया जाता था। बाद में, टाउन गैस की जगह तेज़ी से प्राकृतिक गैस और तेल जैसे जीवाश्म ईंधनों ने ले ली। विद्युत के आने से टाउन गैस का महत्व और भी कम हो गया। कहा गया कि बिजली स्वच्छ ऊर्जा है।
समस्याएं
क्रांतिकारी ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का महत्व काफी बढ़ा दिया गया है, और यह माना जा रहा है कि यह जल्द ही पेट्रोलियम जैसे पारंपरिक ईंधन की जगह ले लेगी और दुनिया की ऊर्जा एवं पर्यावरण सम्बंधी समस्याओं का समाधान करेगी। दुर्भाग्य से, हमें यह मानना होगा कि इसे साकार करना इतना आसान नहीं है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था स्थापित करने की तीन मुख्य चुनौतियां हैं: हाइड्रोजन का स्वच्छ उत्पादन, कुशल और रिसाव रोधी भंडारण और सुरक्षित परिवहन।
स्वच्छ उत्पादन
जैसा कि पहले बताया गया है, पृथ्वी पर तात्विक हाइड्रोजन बहुत अधिक मात्रा में मौजूद नहीं है। इसे पानी से प्राप्त करना आसान नहीं है, और महंगा भी है। बेशक ऐसा लगता है हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन की भूमिका निभा सकता है, लेकिन वास्तव में यह ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत नहीं बल्कि ऊर्जा का वाहक है। इसका उत्पादन कुछ अन्य स्रोतों से करना होगा और उसके बाद ही इसकी रासायनिक ऊर्जा का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकेगा। वर्तमान में, अधिकांश हाइड्रोजन का उत्पादन जीवाश्म ईंधनों से ही होता है, जो परोक्ष रूप से कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाता है। अगर हम मौजूदा मांग को देखें, मसलन सिर्फ परिवहन के लिए ही देखें, तो इसकी आपूर्ति के लिए बहुत अधिक मात्रा में हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी। और हाइड्रोजन उत्पादन के मौजूदा संसाधनों से इस मांग की आपूर्ति करना बेहद मुश्किल है। इसलिए, यदि हम हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था पर आना चाहते हैं तो हमें हाइड्रोजन उत्पादन के लिए अधिक टिकाऊ, गैर-प्रदूषणकारी और कम लागत वाली विधियों की दरकार है। इस संदर्भ में स्वच्छ ऊर्जा के इस स्रोत के उत्पादन के लिए कार्यक्षम सामग्री व विधियां विकसित करने के कई प्रयास किए जा रहे हैं।
सुरक्षित भंडारण
दूसरी महत्वपूर्ण चुनौती है हाइड्रोजन के लिए सुरक्षित भंडारण व्यवस्था बनाना ताकि औद्योगिक, घरेलू और परिवहन के लिए पर्याप्त ईंधन उपलब्ध हो सके। गौरतलब है कि समान मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आयतन के हिसाब से गैसोलीन की तुलना में हाइड्रोजन 3000 गुना अधिक लगती है, यानी आयतन के हिसाब से इसका ऊर्जा घनत्व कमतर है। इसका मतलब है कि इसका उपयोग करने के लिए इसके भंडारण हेतु विशाल टैंकों की आवश्यकता होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए हम समझ सकते हैं कि हाइड्रोजन टैंक कारों जैसे छोटे वाहनों के लिए मुनासिब नहीं हो सकते हैं, और इन छोटे वाहनों की कॉम्पैक्ट डिज़ाइन में टैंकों को फिट करना बहुत मुश्किल है। इसके अलावा, हाइड्रोजन की एक खासियत यह है कि वह कई धातुओं में से रिस जाती है। इसलिए धातु-आधारित मौजूदा ईंधन तंत्रों (टैंक, पाइप, चैम्बर वगैरह) को ठीक से इन्सुलेट करना होगा। उचित प्रौद्योगिकी के बिना हाइड्रोजन का भंडारण हाइड्रोजन रिसाव का कारण बन सकता है, जिससे न केवल ईंधन ज़ाया होगा बल्कि सुरक्षा सम्बंधी गंभीर खतरे भी पैदा हो सकते हैं क्योंकि हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील और विस्फोटक गैस है। कुल मिलाकर, वाहनों के लिए हाइड्रोजन का भंडारण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। वैसे, भंडारण को लेकर कई प्रस्ताव हैं ताकि उसका ऊर्जा घनत्व बढ़ाया जा सके – चाहे गैस के रूप में या अन्य तत्वों के साथ जोड़कर।
सुरक्षित परिवहन
भंडारण की तरह ही हाइड्रोजन का परिवहन भी तकनीकी रूप से पेचीदा है, और इसके भंडारण के विभिन्न चरणों में हाइड्रोजन के प्रबंधन की अपनी अलग-अलग सुरक्षा चुनौतियां हैं। वर्तमान में, हाइड्रोजन की आपूर्ति मुख्यत: स्टील सिलेंडर में संपीड़ित गैस, या टैंक में तरल हाइड्रोजन के रूप में की जाती है। इस तरह से आपूर्ति करना किफायती नहीं है, और यह अंतिम उपयोगकर्ताओं की जेब पर भारी पड़ता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, वह दिन अभी दूर है जब हम अपनी कारों में पेट्रोल-डीज़ल की तरह हाइड्रोजन भरवा सकेंगे। जब तक हाइड्रोजन के सुरक्षित और निरंतर परिवहन के लिए उचित बुनियादी ढांचा नहीं बनेगा, तब तक हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन आम आदमी को लुभा नहीं पाएंगे। अलबत्ता, यदि भंडारण का मुद्दा सुलझ गया, तो परिवहन सम्बंधी समस्याएं भी धीरे-धीरे कम हो सकेंगी।
स्वच्छ भविष्य का वरदान यानी हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में उपयोग करने के फायदे और चुनौतियां हमने इस लेख में देखीं। लेकिन, आदर्श बदलाव लाने के लिए विभिन्न हितधारकों का समन्वित प्रयास आवश्यक है। लोगों के बीच हाइड्रोजन के फायदों को प्रचारित कर इसे लोकप्रिय बनाया जा सकता है, और एक व्यापक वर्ग से भागीदारी का आग्रह किया जा सकता है।
कई देशों ने वास्तव में इन समस्याओं पर काम करना शुरू कर दिया है। सरकारों, उद्योग व शिक्षा जगत को एकजुट होकर काम करना होगा ताकि इस कठिन परिस्थिति का उपयोग स्वच्छ एवं हरित हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था पर स्थानांतरित होने के अवसर के रूप में हो सके। हाइड्रोजन में पूरे ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत है, लेकिन इसकी कई वैज्ञानिक और तकनीकी बाधाओं को दूर करना होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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