एक ग्रह को तारे में समाते देखा गया

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक दुर्लभ और रोमांचक खगोलीय घटना (rare astronomical event) देखी है। उन्होंने पहली बार एक विशाल ग्रह (giant exoplanet) को खुद अपने तारे में समाते देखा है। आम तौर पर माना जाता है कि जब कोई तारा बूढ़ा होता है, तब वह फैलकर एक लाल दानव (red giant) में बदल जाता है और अपने पास के ग्रहों को निगल लेता है। लेकिन यहां ग्रह को खुद-ब-खुद तारे में छलांग लगाते देखा गया है। यह ग्रहों के खत्म होने का एक बिलकुल नया तरीका है।

दरअसल 2023 में वैज्ञानिकों ने हमसे 12,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक तारे (distant star system) में अचानक तेज़ चमक देखी थी। उनका अनुमान था कि तारा अपने जीवन के आखिरी दौर में पहुंच गया है, लाल दानव बन रहा है और इस प्रक्रिया में उसने पास के किसी ग्रह को निगल लिया है।

लेकिन वर्तमान घटना में नासा के JWST से मिली नई जानकारी ने यह साफ किया है कि वह तारा बहुत छोटा और युवा है, इसलिए वह लाल दानव तो नहीं बना होगा। तो फिर यह तेज़ चमक कैसी?

वैज्ञानिकों का दावा है कि बृहस्पति जितना बड़ा ग्रह पहले से ही अपने तारे के बेहद पास चक्कर लगा रहा था – उतना ही करीब जितना बुध सूर्य के करीब है। लाखों वर्षों तक तारे का गुरुत्वाकर्षण (stellar gravity pull) ग्रह को धीरे-धीरे खींचता रहा, जैसे चंद्रमा पृथ्वी पर ज्वार लाता है। इस लगातार खिंचाव से ग्रह के अंदर घर्षण हुआ, उसकी ऊर्जा खत्म होने लगी और उसका रास्ता तारे की ओर मुड़ता चला गया।

अंतत:, वह ग्रह तारे के बहुत नज़दीक पहुंच गया। उसने तारे के बाहरी वायुमंडल को छू लिया, जहां उसे भारी खिंचाव का सामना करना पड़ा और उसकी रही-सही ऊर्जा भी खत्म हो गई। फिर हुई उसकी नाटकीय मौत – वह तारे से टकरा गया और उस टक्कर से अंतरिक्ष में बहुत ज़्यादा ऊर्जा, गैस और धूल (cosmic dust and gas explosion) फैल गई। यही था वो चमकदार धमाका जिसे खगोलविदों ने देखा था।

वैज्ञानिक इस घटना को “ग्रह की खुदकुशी” (planetary suicide) कह रहे हैं – क्योंकि यहां ग्रह धीरे-धीरे खुद ही तारे में समाता चला गया। इस तरह किसी ग्रह के अंत होने की प्रक्रिया (planetary destruction process) को पहली बार इतने साफ रूप में देखा गया है।

हालांकि JWST द्वारा प्राप्त यह जानकारी अभी शुरुआती है और इसके हर पहलू की पुष्टि के लिए और अध्ययन करने की ज़रूरत है। साथ ही, यह भी संभव है कि तारे की जो चमक हमें दिख रही है, उसका कारण यह भी हो सकता है पहले अंतरतारकीय धूल (interstellar dust interference) की वजह से वह धुंधला नज़र आ रहा हो। भविष्य में JWST की पूरी इन्फ्रारेड तरंगदैर्घ्य में किए जाने वाले अवलोकनों से तारे के आसपास धूल के गुबार की स्थिति के बारे में और जानकारी मिल सकती है।

यह खोज कुछ बड़े सवाल उठाती है: क्या ग्रह अक्सर इस तरह खत्म होते हैं? क्या हम पहले ऐसी घटनाएं देखने से चूके हैं? नई शक्तिशाली दूरबीनों (next generation telescopes) से इनके जवाब मिलने की उम्मीद है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zneqgmu/full/_20250411_on_planet_swallowed-1744400351507.jpg

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