
दांतों में प्लाक जमता है और आम तौर पर ठीक से मंजन करने से साफ हो जाता है। लेकिन यदि ठीक से साफ न हो यह मुसीबत और तकलीफों का सबब बन जाता है। लेकिन जीवाश्म विज्ञानियों, नृविज्ञानियों और पुरा मानव वैज्ञानिकों के लिए यह अतीत में झांकने की खिड़की है। दरअसल, दांत में प्लाक (ancient dental plaque) की परत के भीतर उस मनुष्य के खान-पान सम्बंधी जानकारी, बीमारी, व्यवहार, डीएनए (DNA from teeth) प्रोटीन आदि सम्बंधी जानकारी इकट्ठी होती जाती है। मृत्यु के बाद यदि दांत सुरक्षित रह जाते हैं तो वैज्ञानिक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, डीएनए विश्लेषण आदि की मदद से उस व्यक्ति से सम्बंधित जानकारी हासिल कर सकते हैं।
चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के शोधकर्ताओं के एक दल ने हाल ही के दो अध्ययनों में यही किया। दांतों में जमा प्लाक ने उन्हें यह निर्धारित करने में मदद की कि खुदाई में मिली खोपड़ी किस प्राचीन मानव की है (ancient skull discovery)।
चीन के हार्बिन के पास खुदाई में प्राचीन मानव की एक खोपड़ी लगभग साबुत हालत में मिली थी। इस बड़ी और भारी खोपड़ी में कपाल पर भौंह-रेखा मोटी और उभरी हुई थी। इसे वैज्ञानिकों ने ‘ड्रैगन मैन’ (Dragon Man) नाम दिया। ‘ड्रैगन मैन’ का काल निर्धारण कर वैज्ञानिकों ने यह तो मालूम कर लिया कि यह खोपड़ी करीब 1,46,000 साल पहले के किसी मानव की है। फिर, खोपड़ी का आकार-आकृति, उसके जीवित होने का समय, उसके मिलने का स्थान देखकर अनुमान लगाया कि यह खोपड़ी संभवत: किसी डेनिसोवन मनुष्य (Denisovan hominin) की होगी।
अब तक डेनिसोवन का कोई कंकाल पूरा साबुत हालात में नहीं मिला था। अब तक जिन भी अवशेषों की पुष्टि डेनिसोवन के रूप में की गई है वह उनकी हड्डियों के टुकड़ों से मिले डीएनए के आधार पर की गई है। और ऐसी ही जानकारियों के आधार पर वैज्ञानिकों ने उनकी कद-काठी (Denisovan genome, fossil DNA analysis) का अनुमान लगाया है।
इसलिए, ‘ड्रैगन मैन’ डेनिसोवन था या नहीं, इसकी पुष्टि डीएनए विश्लेषण से हो सकती थी। लेकिन वैज्ञानिकों को खोपड़ी की मोटी हड्डी और सलामत दांतों से अच्छा व अध्ययन योग्य हालत का डीएनए (ancient DNA extraction challenges) हाथ नहीं लगा।
तब, चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज़ की आनुवंशिकीविद किआओमेई फू (Qiaomei Fu) ने दांतों के प्लाक का रुख किया जो सख्त होकर कैलकुलस (dental calculus) बन गया था। वैसे दांतों के प्लाक में अच्छी हालात में डीएनए मिलना मुश्किल होता है लेकिन इसके सख्त होने के कारण इसके भीतर की सामग्री के ज़्यादा अच्छी हालात में सलामत रहने की संभावना रहती है। फू और उनकी टीम ने खोपड़ी में बची हुए एकमात्र दाढ़, जो कि काली पड़ चुकी थी, से प्लाक खुरच कर निकाला और इससे डीएनए सामग्री (DNA sample from calculus) हासिल की।
फिर, ज्ञात डेनिसोवन मनुष्य के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mitochondrial DNA) से ‘ड्रैगन मैन’ के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए की तुलना की तो पाया कि ड्रैगन मैन वाकई में डेनिसोवन है। इसके अलावा, ड्रैगन मैन के डीएनए की तुलना साइबेरिया (Siberia) के अन्य स्थलों पर मिले डेनिसोवन मनुष्यों के डीएनए से भी की। तो पता चला कि ड्रैगन मैन की खोपड़ी अपेक्षाकृत प्राचीन डेनिसोवन वंश की है, जो शुरुआती डेनिसोवन्स से सम्बंधित है। ये निष्कर्ष सेल पत्रिका (Cell journal) में रिपोर्ट किए गए हैं।
इन्हीं शोधकर्ताओं द्वारा साइंस (Science) में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में उन्होंने प्लाक से निकाले गए प्रोटीन नमूनों का विश्लेषण किया था। पाया कि ये नमूने तो तिब्बत से ताइवान (Tibet to Taiwan Denisovans) तक फैले डेनिसोवन मानवों की हड्डियों के प्रोटीन से मेल खा रहे थे।
दोनों अध्ययनों से यह तो स्पष्ट है कि ड्रैगन मैन एक डेनिसोवन मानव ही था। जिसका अब एक मूर्त चेहरा (Denisovan face reconstruction) उन्हें मिल गया है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने पहले भी उपलब्ध जानकारी के आधार पर डेनिसोवन के चेहरे के अनुमान लगाए थे लेकिन वे अनुमान सिर्फ दांतों या हड्डियों के छोटे-मोटे टुकड़ों के विश्लेषण पर आधारित थे। अब चेहरे के नैन-नक्श की जानकारी देने के लिए एक पूरी खोपड़ी है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://i0.wp.com/www.sciencenews.org/wp-content/uploads/2025/06/061725_BB_Denisovanskull_main_black.jpg