मनोहर पवार

जीवों में अपनी सुरक्षा के लिए कई प्रकार के व्यवहार (animal defense mechanisms) देखे जाते हैं। यह परिस्थिति और खतरे के प्रकार (predator threat) पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का व्यवहार अपनाना उन्हें अपने प्रतिद्वंदी से सुरक्षा दे सकता है। कई बार सुरक्षा के लिए नकलपट्टी (animal camouflage) का सहारा लिया जाता है जिसमें जीव किसी अन्य जीव, पत्ती, पेड़ की छाल या लकड़ी जैसा रूप धर लेते हैं। या कुछ जीवों में यह व्यवहार सुरक्षात्मक आवरण (protective covering) के रूप में हो सकता है; वे अपने शरीर को एक आवरण या खोल से ढंक लेते हैं, जैसे तितलियां ककून (butterfly cocoon) बनाकर। वहीं, कुछ जीवों द्वारा अपने शरीर से कुछ ऐसे रसायनों का स्राव किया जाता है, जो उनके परिवेश में घुल-मिल जाएं और शिकारी जीवों से उनकी रक्षा हो सके।
लेकिन कभी-कभी सुरक्षा से ज़्यादा प्रतिद्वंदी को चेतावनी (warning display) देना भी एक कारगर तरीका हो सकता है। इसमें मुख्यत: अपने प्रतिद्वंदी से अपने क्षेत्र की रक्षा करना या अपने आप को अधिक शक्तिशाली दिखाना हो सकता है।
मौत का स्वांग (playing dead) करना भी रक्षात्मक व्यवहार का एक रूप है, जिसमें कोई जीव मृत अवस्था की तरह जड़ हो जाता है ताकि शिकारी को चकमा देकर उससे बचा जा सके।
मृत्यु का स्वांग की यह रणनीति जंतुओं के विभिन्न समूहों में देखी गई है, जिनमें स्तनधारी (mammals), पक्षी (birds), मछलियां (fish) शामिल हैं। खरगोशों, सरीसृप (reptiles), उभयचर (amphibians) और आर्थोपोड (arthropods) में यह व्यवहार (थेनेटोसिस – thanatosis) लंबे समय से ज्ञात है। कुछ भारतीय सांपों, जैसे लाइकोडॉन औलिकस, जेनोक्रोफिस पिस्केटर, कोलोग्नाथस रेडियाटस और लाइकोडॉन कैपुसिनस में भी मृत होने का व्यवहार देखा गया है।
खतरा होने पर मरने का स्वांग करना एक अच्छा सुरक्षा उपाय (anti-predator strategy) हो सकता है। लेकिन कई मामलों में यह भी देखा गया है कि शिकार होने वाले जीवों के अलावा शिकारी जीव भी इस रणनीति को अपनाते हैं ताकि अपना शिकार आसानी से पकड़ सकें। हाल के वर्षों में कुछ सांपो (snakes) में यह व्यवहार देखा गया है।

भेड़िया सांप (wolf snake – लाइकोडॉन औलिकस) कोल्यूब्रिडी कुल (Colubridae family) का सदस्य है। इसका नाम संभवत: इसके दांतों (fangs) के कारण पड़ा है। यह सांप अपने आसपास खतरा होने पर शरीर को कुंडलित कर लेता है और मरे समान हो जाता है। इस स्थिति में हिलाने-डुलाने पर भी यह कोई विरोध या हरकत नहीं करता।
एक अध्ययन (snake behavior study) के दौरान जब यह देखने की कोशिश की गई कि मृत समान जड़ स्थिति में यदि इसे अकेला छोड़ दिया जाए तो वह कितने समय तक जड़ बना रहता है। देखा गया कि वह अपने इस व्यवहार में पहले परिवेश को भांपता है; यदि परिस्थिति सामान्य होते दिखती है तो लगभग दो से तीन मिनट बाद वह अपने सिर को मूल स्थिति में वापस ले आता है और जीवित दिखने लगता है।
यह सांप शिकारी जीवों (snake predators) या मनुष्यों से सामना होने पर तो यह रणनीति अपनाता ही है, जिसमें शिकारी इसे मरा हुआ समझकर छोड़ देता है। लेकिन कई बार भेड़िया सांप ऐसा करके शिकार को धोखे (hunting strategy) से पकड़ने का काम भी करता है। मरा जानकर शिकार इसके पास आ सकते हैं, और ऐसे में शिकार को पकड़ने में कम मेहनत और ऊर्जा खर्च होती है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/e/ee/Opossum2.jpg
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