दर्द निवारण के दुष्प्रभावों से मुक्ति की राह

डॉ. विपुल कीर्ति शर्मा

चोट लगने अथवा संक्रमण (infection) की स्थिति में शरीर स्वयं उसका उपचार (healing process) करता है। चोट लगने या संक्रमण होने पर शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) सक्रिय हो जाता है। प्रभावित स्थान पर तमाम प्रतिरक्षा कोशिकाएं पहुंचने लगती हैं। उस स्थान की रक्त नलिकाएं थोड़ी ज़्यादा पारगम्य हो जाती हैं। वहां उनसे रिसकर द्रव भरने लगता है और साथ में श्वेत रक्त कोशिकाएं भी। इसे इन्फ्लेमेशन या शोथ कहते हैं। सूजन इसका एक गोचर असर होता है। कुल मिलाकर शोथ और उसके साथ आई सूजन शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।

अर्थात शोथ और सूजन चोट को ठीक करने का स्वाभाविक इलाज है। हम इस चोट का इलाज करने के लिए प्रायः आइबुप्रोफेन (Ibuprofen) या अन्य दर्द निवारक गोलियां लेते हैं। ये गोलियां दर्द निवारण तो करती हैं किंतु साथ ही शोथ भी खत्म कर देती हैं। लेकिन शोथ तो शरीर में इलाज की अपनी व्यवस्था है। यानी शोथ को  खत्म करना इलाज में हस्तक्षेप माना जाएगा। अतः अब वैज्ञानिकों ने शरीर के स्वाभाविक उपचार के साथ छेड़छाड़ न करते हुए (अर्थात शोथ को कम किए बगैर) दर्द निवारण (pain management) का एक तरीका खोज लिया है।

हाल ही में प्रकाशित एक नए शोध (scientific study) ने कोशिकाओं की सतह पर एक ऐसे रिसेप्टर (ग्राही) (receptor discovery) की पहचान की है जो शोथ में हस्तक्षेप किए बिना केवल दर्द को समाप्त कर चोट को शीघ्र ठीक होने में अधिक मदद करता है। इसे ‘दर्द स्विच’ (pain switch) कह सकते हैं। 

वेदना की अनुभूति

हमारे शरीर में चोट ग्रस्त कोशिकाओं से निकले प्रोस्टाग्लैंडिन (prostaglandin) नामक रसायन से हमें वेदना की अनुभूति होती है। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय (New York University Pain Research Center) पेन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने दर्द के मुख्य कारक प्रोस्टाग्लैंडिन से जुड़ने वाले ऐसे रिसेप्टर की पहचान की है जो दर्द के प्रति संवेदनशील है लेकिन शोथ के प्रति नहीं। वर्तमान में आम तौर पर माना जाता रहा है कि शोथ और दर्द साथ-साथ चलते हैं। लेकिन नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications study) में प्रकाशित शोध निष्कर्ष बताते हैं कि इन दो प्रक्रियाओं को अलग-अलग संभाला जा सकता है और केवल दर्द को रोककर और शोथ को बढ़ने देने से उपचार में मदद मिल सकती है।

दर्द निवारक दवाएं

गैर-स्टेरॉइड दर्द निवारक तथा शोथरोधी दवाएं (Non-Steroid Anti-inflammatory Drugs – NSAID), दुनिया में सबसे अधिक ली जाने वाली दवाओं में से हैं, जिनकी अनुमानित 30 अरब खुराकें अकेले अमेरिका में ली जाती हैं। भारत के बारे में निश्चित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इनमें से कई दवाइयां बिना डॉक्टरी पर्चे के भी उपलब्ध होती हैं। इनका उपयोग लंबे समय तक होता है। इससे शरीर को गंभीर समस्याएं होती हैं, जिनमें पेट के अस्तर (stomach damage) को नुकसान, रक्तस्राव में वृद्धि और हृदय, गुर्दे और यकृत से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं।

हमारे शरीर के लगभग सभी ऊतक प्रोस्टाग्लैंडिन्स (prostaglandins function) उत्पन्न करते हैं जो दर्द और बुखार का कारण बनते हैं। प्रोस्टाग्लैंडिन हार्मोन के समान यौगिकों (hormone-like compounds) का एक समूह है। यह समूह शोथ, दर्द और गर्भाशय संकुचन सहित कई शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित करता है। प्रोस्टाग्लैंडिन के ज़रिए दर्द की अनुभूति के रासायनिक संकेत मस्तिष्क (brain signaling) तक पहुंचते हैं और तदनुसार मस्तिष्क कार्य करता है। प्रोस्टाग्लैंडिन प्रभावित क्षेत्र में रक्त वाहिकाओं को फैलाते हैं, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और सूजन आती है। वे दर्द पैदा करने वाले रासायनिक संकेतों को भी सक्रिय करते हैं।

सूजन

शोथ का एक प्रकट लक्षण सूजन है, जिसे चिकित्सा की भाषा में एडिमा (edema) कहते हैं। यह शरीर के ऊतकों या किसी अंग में तरल पदार्थ का जमाव (fluid retention) है। तरल के इस जमाव से वह हिस्सा फूल जाता है। यह तरल चोटग्रस्त क्षेत्र में फैली हुई रक्त वाहिकाओं से रिसकर बाहर निकलता है और जमा हो जाता है। इसमें श्वेत रक्त कोशिकाएं (white blood cells), विशेषतः न्यूट्रोफिल्स तथा इम्युनोग्लोबुलिन (अर्थात एंटीबाडीज़ – (antibodies)) भरपूर मात्रा में होती हैं जो घाव की मरम्मत करने में सहायक होती हैं। 

शोथ चोट या संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली (immune response) की प्रतिक्रिया में वृद्धि करती है। यह चोटग्रस्त ऊतकों की मरम्मत के द्वारा सामान्य कार्यप्रणाली को दुरुस्त करती है और उसे बहाल करती है। इसके विपरीत, गैर-स्टेरॉइड दर्द निवारक दवाएं दर्द के साथ-साथ शोथ भी दूर करती हैं जिससे उपचार में देरी हो सकती है और दर्द से उबरने में भी देरी हो सकती है। अत: प्रोस्टाग्लैंडिन से उत्पन्न दर्द के इलाज के लिए एक बेहतर रणनीति यह होगी कि शोथ से मिलने वाली सुरक्षा (healing protection) को प्रभावित किए बिना केवल दर्द को चुनिंदा रूप से खत्म किया जाए।

एस्पिरिन (Aspirin) और अन्य गैर-स्टेरॉइड शोथ-रोधी दवाइयां प्रोस्टाग्लैंडिन बनाने वाले एंज़ाइमों को अवरुद्ध (enzyme inhibition) करके इसके निर्माण को रोक देती हैं, जिससे सूजन और दर्द कम हो जाता है।

श्वान कोशिकाएं

श्वान (Schwann) कोशिकाएं मस्तिष्क के बाहर परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system) में पाई जाती हैं और माइग्रेन (migraine pain) तथा अन्य प्रकार के दर्द का कारण होती हैं। फ्लोरेंस विश्वविद्यालय (University of Florence) के पियरेंजेलो गेपेटी ने श्वान कोशिकाओं में एक किस्म के प्रोस्टाग्लैंडिन (PGE2) पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे शोथ सम्बंधी दर्द (inflammatory pain) का एक मुख्य मध्यस्थ माना जाता है।

कोशिका झिल्लियों पर PGE2 (PGE2 receptors) के लिए चार अलग-अलग रिसेप्टर्स होते हैं। गेपेटी के पूर्व अध्ययनों ने PGE2 के लिए EP4 रिसेप्टर (EP4 receptor) को शोथ सम्बंधी दर्द उत्पन्न करने वाले मुख्य रिसेप्टर के रूप में इंगित किया है। हालांकि, नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications research) में, शोधकर्ताओं ने एकाधिक लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण अपनाया और पाया कि एक अलग रिसेप्टर (EP2) दर्द के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार था। श्वान कोशिकाओं में केवल EP2 रिसेप्टर को शांत करने के लिए स्थानीय रूप से दवाइयां देने पर चूहों में शोथ को प्रभावित किए बिना दर्द प्रतिक्रियाएं दूर हो गईं। इस प्रकार शोथ को दर्द से प्रभावी रूप से अलग कर दिया गया। यह शोध दर्द निवारण (pain relief research) के क्षेत्र में एक नई दिशा देता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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