मलभक्षी गुबरैले ने मांस खाना कैसे शुरू किया

गभग 3.7 करोड़ साल पूर्व अर्जेंटीना के पेटागोनिया क्षेत्र (Patagonia region) के घास के मैदान जीवन से समृद्ध थे। यहां मैदानों में घोड़े (prehistoric horses) और टेपर जैसे बड़े-बड़े शाकाहारी से लेकर नुकीले दांतों वाले मार्सुपियल प्राणि (marsupial animals) और पक्षी विचरते थे। लेकिन पैरों के नीचे एक अलग कहानी चल रही थी। गोबर (विष्ठा) खाने वाले छोटे गुबरैले धीरे-धीरे सड़े हुए मांस (rotting meat) का रुख कर रहे थे। क्यों?

कई दशकों तक वैज्ञानिकों का मानना था कि गुबरैलों ने लगभग 1,30,000 से 12,000 साल पहले ही मांस खाना शुरू किया था। यह भी माना जाता था कि जब दक्षिण अमेरिका के बड़े जीव जलवायु परिवर्तन (climate change) और मानव शिकार (human hunting) के कारण विलुप्त हो गए, तो विष्ठा की कमी से गुबरैलों को मजबूरन लाशों पर निर्भर होना पड़ा।

लेकिन कई वैज्ञानिकों का मानना था कि ऐसा बड़ा बदलाव इतनी जल्दी संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए कई एंज़ाइम (enzymes) और नई संवेदी क्षमताओं (sensory adaptations) की ज़रूरत होती है, जिन्हें विकसित होने में बहुत समय लगता है। हालिया अध्ययन (scientific study) ने कुछ नए तथ्य उजागर किए हैं जिनसे लगता है कि गुबरैलों ने मांस खाना तभी शुरू कर दिया था जब बड़े जंतु और उनकी विष्ठा प्रचुरता से उपलब्ध थी।

समस्या यह है कि गुबरैलों के जीवाश्म (fossils) बहुत कम मिलते हैं, इसलिए उनके अतीत के बारे में जानकारी सीमित थी। लेकिन उनकी एक चीज़ ज़रूर बची रही – ‘ब्रूड बॉल्स’, यानी मिट्टी के वे गोले जिन्हें वे अपने अंडों की सुरक्षा और नवजातों के भोजन के लिए बनाते हैं। यही अब उनके विकास की कहानी समझने की अहम कड़ी (evolutionary link) बन गए हैं।

अर्जेंटीना स्थित बर्नार्डिनो रिवादाविया नेचुरल साइंसेज़ म्यूज़ियम (Bernardino Rivadavia Natural Sciences Museum) की डॉ. लिलियाना कैंटिल के नेतृत्व में टीम ने अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे और इक्वाडोर से मिले लगभग 5 करोड़ साल पुराने 5000 से ज़्यादा अश्मीभूत ब्रूड बॉल्स का अध्ययन किया। पाया कि इनमें से कुछ ब्रूड बॉल्स की बनावट में एक खास तरह की संरचना थी। इनके अंदर एक छोटी-सी बाहर निकली मचान-सी (पर्च) (perch-like structure) थी। आज के गुबरैलों में यह संरचना सिर्फ उन्हीं प्रजातियों में पाई जाती है जो सड़े हुए मांस (carrion-feeding beetles) पर निर्भर रहते हैं। इनके लार्वा इस मचान पर बैठकर पास पड़े सड़े मांस को खाते हैं, न कि सीधे गोबर को।

पैलियोंटोलॉजी (paleontology study) में प्रकाशित नतीजों के अनुसार ये विशेष संरचनाएं लगभग 3.77 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्मों में मिलीं। इसका मतलब है कि कुछ गुबरैलों ने बड़े जीवों के विलुप्त होने से बहुत पहले ही मांस खाना शुरू कर दिया था: गुबरैलों के भोजन में बदलाव तभी हो गया था जब घास के मैदान और बड़े शाकाहारी जीव खूब फल-फूल रहे थे। शोध दल के अनुसार यह परिवर्तन प्रतिस्पर्धा (ecological competition) के कारण हुआ। जब बहुत-सी प्रजातियां गोबर पर निर्भर थीं, तो कुछ प्रजातियों ने मांसाहार का रास्ता अपना लिया।

यह खोज 2020 के एक जेनेटिक अध्ययन (genetic study) से मेल खाती है, जिसमें पाया गया था कि मांस खाने वाले गुबरैले लगभग 3.5 से 4 करोड़ साल पहले दक्षिण अमेरिका (South America evolution) में विकसित हुए थे। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zmw7ail/card-type9/_20251017_on_necro_beetle-1760738052193.jpg

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