प्लास्टिक प्रदूषण संधि की चुनौतियां

दुनिया प्लास्टिक कचरे (plastic waste) में डूबती जा रही है। वर्ष 2000 के बाद निर्मित प्लास्टिक की मात्रा अब तक बनाए गए कुल प्लास्टिक की आधी से भी अधिक है, और 2050 तक इसकी मात्रा दुगनी होने की आशंका है। 10 प्रतिशत से भी कम प्लास्टिक का पुनर्चक्रण (plastic recycling) हो पाता है, जबकि ज़्यादातर प्लास्टिक एक बार उपयोग (single-use plastic) के बाद फेंक दिया जाता है। हर जगह तेज़ी से बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण (plastic pollution)  के परिणाम तो सर्वविदित हैं।

इस गंभीर संकट के बीच, आगामी अगस्त में संयुक्त राष्ट्र (UN plastic treaty) की एक अहम बैठक होने जा रही है। दुनिया भर के प्रतिनिधि इसमें प्लास्टिक प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एक वैश्विक संधि उकेरने की कोशिश करेंगे। लेकिन इस पर एकमत होना आसान नहीं है। कुछ देश – जैसे सऊदी अरब, ईरान, रूस और चीन चाहते हैं कि संधि सिर्फ प्लास्टिक की खपत और पुनर्चक्रण तक सीमित रहे, और वे प्लास्टिक उत्पादन (plastic production) या खतरनाक रसायनों (toxic chemicals) पर कोई नियंत्रण लगाने के खिलाफ हैं।

वैज्ञानिक शोध (scientific studies) से पता चलता है कि सिर्फ प्लास्टिक की खपत और पुनर्चक्रण तक सीमित रहना काफी नहीं है। हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित दो बड़े अध्ययनों ने स्थिति की गंभीरता को उजागर किया है।

पहले अध्ययन में, नेदरलैंड स्थित यूट्रेक्ट युनिवर्सिटी की सोफी टेन हिएटब्रिंक और उनकी टीम ने अटलांटिक महासागर के गहरे और दूर-दराज़ इलाकों से लिए गए हर सैंपल में नैनोप्लास्टिक कण (जो एक माइक्रोमीटर से भी छोटे होते हैं) (nanoplastics in ocean) पाए। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सिर्फ उत्तर अटलांटिक के ऊपरी हिस्से में ही करीब 2.7 करोड़ टन नैनोप्लास्टिक हो सकता है — जो सभी महासागरों में मौजूद प्लास्टिक के पूर्व में लगाए गए कुल अनुमान से भी अधिक है।

दूसरे अध्ययन में, नॉर्वे स्थित युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी की लॉरा मॉन्कलुस और उनकी टीम ने प्लास्टिक निर्माण और उपयोग से जुड़े 16,000 से ज़्यादा रसायनों की पहचान की, जिनमें से 4,200 से अधिक को ‘चिंताजनक रसायन’ (hazardous plastic chemicals) माना गया है — ये या तो इंसानों और जीवों के लिए ज़हरीले हैं या फिर प्रकृति में नष्ट (non-biodegradable) नहीं होते।

ये दोनों शोध इस बात पर ज़ोर देते हैं कि अगर हमें प्लास्टिक संकट (global plastic crisis) से सचमुच निपटना है, तो सिर्फ कचरा प्रबंधन नहीं, बल्कि प्लास्टिक के अंधाधुंध उत्पादन और खतरनाक रसायनों के उपयोग को भी रोकना होगा।

दुनिया के कई देश इस व्यापक दृष्टिकोण के पक्ष में हैं। भले ही पिछली बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के खत्म हुई थी, लेकिन 70 से अधिक देशों के एक उच्च महत्वाकांक्षी गठबंधन – जिसमें युरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं – ने एक सशक्त वैश्विक संधि (strong global plastics agreement) का समर्थन किया है। इस संधि में प्लास्टिक उत्पादन को घटाने और खतरनाक रसायनों पर नियंत्रण लगाने का आह्वान किया गया है।

हालांकि अमेरिका ने शुरू में प्लास्टिक उत्पादन पर नियंत्रण और खतरनाक रसायनों के उपयोग को रोकने जैसे कड़े उपायों का समर्थन किया था, लेकिन 2024 के अंत में बाइडेन सरकार ने अपने रुख से पीछे हटते हुए स्थिति को अस्पष्ट (US plastic policy reversal) बना दिया है।

इस बीच, कुछ देश और क्षेत्र वैश्विक सहमति से अलग काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, युरोपीय संघ ने 2019 में एक-बार उपयोग वाले प्लास्टिक पर कड़ा निर्देश (EU plastic directive) पारित किया था, जिसके तहत 2029 तक 90 प्रतिशत प्लास्टिक बोतलों का पुनर्चक्रण ज़रूरी होगा और इस साल से PET बोतलों में कम से कम 25 प्रतिशत पुनर्चक्रित प्लास्टिक इस्तेमाल करना होगा। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य ने भी एक-बार उपयोग वाले कुछ प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध (plastic ban in Australia) लगाया है।

हालांकि ये प्रयास अच्छे लगते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये काफी नहीं हैं। जो लोग कड़ी संधि के खिलाफ हैं, वे कहते हैं कि इससे नौकरियों और अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। लेकिन कठोर संधि के समर्थकों की नज़र में यह तर्क सही नहीं है। प्लास्टिक के उत्पादन पर प्रतिबंध से नए उद्योग और रोज़गार के अवसर (green jobs from plastic alternatives) भी बन सकते हैं। लेकिन इस तरह से किसी चीज़ पर सीधा प्रतिबंध लगाना उचित नहीं। यदि प्लास्टिक का विकल्प (eco-friendly plastic alternatives) बाज़ार में लाया जाए तो प्लास्टिक का उपयोग कम हो सकता है। फिर भी अभी ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों को ज़हरीला और प्रदूषित पर्यावरण झेलना पड़ेगा।

यदि जेनेवा वार्ता विफल रहती है तो कुछ वैज्ञानिक और नीति-निर्माता प्लान बी पर विचार कर रहे हैं – संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया से अलग एक सशक्त संधि, जिसे उच्च महत्वाकांक्षी गठबंधन (High Ambition Coalition treaty) के देश बना सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://akm-img-a-in.tosshub.com/businesstoday/images/story/202411/67373e8e42b32-plastic-waste-is-particularly-damaging-to-ecosystems–breaking-down-into-smaller-particles–includin-152856545-16×9.jpeg?size=948:533

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