बदलता मौसम और ऊंचाइयों की ओर बढ़ते जंगल

रती के बदलते हालात का एक नया और चौंकाने वाला संकेत सामने आया है — दुनिया भर के जंगल अब धीरे-धीरे पहाड़ों पर ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पहले ही अनुमान लगाया था कि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान (global warming) बढ़ेगा, पेड़ ठंडे इलाकों की ओर खिसकेंगे। लेकिन अब साफ दिख रहा है कि यह परिवर्तन सिर्फ ध्रुवों की दिशा में नहीं, बल्कि पहाड़ों के ऊपरी हिस्सों की ओर (tree-line shift) भी हो रहा है।

बायोजियोसाइंसेज़ पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में 1984 से 2017 तक के पश्चिमी कनाडा से लेकर पनामा तक 115 पर्वत-शिखरों के उपग्रह डैटा (satellite data) का विश्लेषण किया गया है। वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ कि जंगलों का सबसे तेज़ ऊर्ध्वगामी (ऊपर की ओर) विस्तार ठंडे उत्तरी क्षेत्रों में नहीं, बल्कि मेक्सिको और मध्य अमेरिका के उष्णकटिबंधीय पहाड़ों में दिखा। यहां पेड़ों की ऊपरी सीमा, जिसे ट्री-लाइन कहा जाता है, हर साल कई मीटर ऊपर जा रही है।

यह खोज इस आम धारणा को चुनौती देती है कि वैश्विक ऊष्मीकरण (climate change impact) का असर सबसे ज़्यादा ध्रुवीय इलाकों में होता है। जबकि जैव विविधता और नाज़ुक पारिस्थितिक तंत्रों से भरपूर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र अब इस परिवर्तन की सबसे तेज़ गति दिखा रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि हर बदलाव को सीधे जलवायु परिवर्तन से जोड़ना उचित नहीं है। अध्ययन में उन पहाड़ों को शामिल नहीं किया गया था जहां मानव गतिविधियां जैसे खेती, चराई या वृक्ष कटाई का असर था।

एक समस्या ट्री-लाइन की परिभाषा को लेकर है। कुछ वैज्ञानिक इसे तापमान आधारित सीमा (temperature threshold) मानते हैं यानी जहां तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाने पर पेड़ नहीं उग पाते। वहीं, कुछ इसे भौतिक सीमा के रूप में देखते हैं यानी वह ऊंचाई जहां पेड़ों की वृद्धि रुक जाती है।

अब तक ज़्यादातर ऐसे अध्ययन उत्तरी अमेरिका और युरोप तक सीमित थे। उदाहरण के लिए, आल्प्स पर्वत में शोध से पता चला था कि औद्योगिक युग से अब तक तापमान में लगभग 3 डिग्री सेल्सियस वृद्धि के कारण ट्री-लाइन ऊपर खिसकी है। लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में यह रुझान स्पष्ट नहीं था। इसी कारण मैक्सिको के वैज्ञानिक डैनियल जिमेनेज़-गार्सिया और टाउनसेंड पीटरसन ने 15 ज्वालामुखी पर्वतों पर पुन: अध्ययन किया और पाया कि वहां सिर्फ तीन दशकों में ट्री-लाइन लगभग 500 मीटर ऊपर चली गई है। यही खोज आगे चलकर पूरे अमेरिका महाद्वीप में व्यापक अध्ययन का आधार बनी।

इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने लैंडसैट उपग्रहों (Landsat images) से प्राप्त 40 वर्षों की तस्वीरों का विश्लेषण किया। और तो और पीटरसन ने खुद घूम-घूमकर ट्री-लाइन की सीमाएं चिन्हित कीं। इस लंबी मेहनत से अब तक का सबसे व्यापक वैश्विक डैटा रिकॉर्ड तैयार हुआ।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तरीका पूर्णत: त्रुटिहीन तो नहीं है, परंतु बड़े पैमाने के रुझान समझने में बेहद कारगर है। कुछ मामलों में तो पेड़ पुराने चारागाहों या छोड़े गए इलाकों पर फिर से लौट रहे हैं, पर कुल मिलाकर जंगलों के ऊपर बढ़ने का रुझान स्पष्ट और व्यापक (forest expansion) है।

एक सवाल है कि उष्णकटिबंधीय जंगल इतनी तेज़ी से ऊपर क्यों बढ़ रहे हैं? वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका एक कारण पानी की उपलब्धता है। ध्रुवों के ऊंचे इलाके अपेक्षाकृत सूखे रहते हैं जबकि भूमध्य रेखा के आसपास ऊंचे पहाड़ी इलाके आम तौर पर अधिक वर्षा और नमी वाले होते हैं। इसलिए तापमान में थोड़ी-सी भी वृद्धि हो तो यहां पेड़ अधिक ऊंचाई तक जीवित रह पाते हैं।

अब शोधकर्ता 1870 के दशक की पुरानी तस्वीरों की तुलना आधुनिक उपग्रह चित्रों (historical vs modern images) से कर रहे हैं, ताकि पता चल सके कि यह बदलाव कितनी तेज़ी और कितनी दूर-दूर तक हुआ है। शुरुआती नतीजे दिखाते हैं कि पुराने और नए डैटा में समानता है यानी जंगलों का ऊपर की ओर बढ़ना लगातार तेज़ हो रहा है।

भविष्य में टीम की कोशिश है कि कृत्रिम बुद्धि की मदद से दुनिया भर में इन परिवर्तनों को स्वचालित रूप से पहचाना जा सके (AI monitoring)। यह बदलाव समझना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि जैसे-जैसे जंगल ऊपर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे पहाड़ों की ऊंचाइयों पर रहने वाले नाज़ुक और ठंड पसंद पौधों व अन्य जीवों के लिए जगह कम होती जा रही है, इकोसिस्टम बदल (ecosystem change) रही है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/content/article/forests-are-migrating-mountain-peaks

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