
कीचड़ में सूक्ष्मजीवों का एक अद्भुत संसार छिपा होता है जिन्हें ‘कैबल बैक्टीरिया’ (cable bacteria) कहते हैं। ये बैक्टीरिया मिट्टी के भीतर ऐसे कैबल बनाते हैं जो विद्युत (electricity) संचारित कर सकते हैं। हाल ही में यह पता चला है कि ये बैक्टीरिया ये कैबल बनाते कैसे हैं।
गौरतलब है कि कैबल बैक्टीरिया झीलों, नदियों और समुद्रों के तलछट (sediment) में पाए जाते हैं। वे हाइड्रोजन सल्फाइड (hydrogen sulfide) गैस से इलेक्ट्रॉन लेते हैं। यह गैस मिट्टी की गहराई में होती है। फिर वे इन इलेक्ट्रॉन्स को ऑक्सीजन को हस्तांतरित कर देते हैं जो केवल सतह पर मिलती है। हाइड्रोजन सल्फाइड में इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर पर होते हैं जबकि ऑक्सीजन में उनका ऊर्जा स्तर कम होता है। अत: इस हस्तातंतरण में ऊर्जा मुक्त होती है जिसमें से कुछ का उपयोग बैक्टीरिया अपने कामकाज के लिए कर लेते हैं।
इलेक्ट्रॉन को यह दूरी पार करवाने के लिए ये बैक्टीरिया लंबी, धागे जैसी संरचनाएं (filament structures) बनाते हैं, जो नीचे की सल्फाइड गैस से इलेक्ट्रॉन लेकर ऊपर ऑक्सीजन तक पहुंचाती हैं। इस तरह मिट्टी के भीतर विद्युत धारा (electric current) बनती है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सिर्फ एक वर्ग मीटर कीचड़ में इन जैविक कैबल्स की कुल लंबाई 20,000 किलोमीटर तक हो सकती है। प्रत्येक तंतु लगभग 5 सेंटीमीटर लंबा होता है और उसमें लगभग 25,000 कोशिकाएं होती हैं। ये सब मिलकर एक सुपर-जीव (super-organism) के रूप में काम करती हैं, और इन सारे बैक्टीरिया की कोशिका झिल्ली एक ही होती है।
युनिवर्सिटी ऑफ एंटवर्प के फिलिप माइस्मन की टीम ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (electron microscope) और एक्स-रे इमेजिंग तकनीकों की मदद से देखा कि ये तार बेहद पतले रेशों (मोटाई मात्र 50 नैनोमीटर) (nanofibers) से बने होते हैं। प्रत्येक रेशा ‘चोटी’ के रूप में गूंथा होता है और वह भी बारीक नैनोरिबन के गुच्छों से बना होता है।
अध्ययन से पता चला कि ये बैक्टीरिया मिट्टी से निकल तत्व इकट्ठा करके उसे सल्फर-युक्त यौगिकों के साथ मिलाते हैं, जिससे पतली प्लेट जैसी संरचनाएं बनती हैं। ये प्लेटें जुड़कर रिबन बनाती हैं और फिर गुंथकर मज़बूत, लचीली विद्युत प्रवाहित करने वाली जैविक कैबल (bio-cable) तैयार करती हैं, ठीक वैसे ही जैसे इंसान तांबे के तार गूंथकर कैबल बनाते हैं। आश्चर्य की बात है कि कोई सूक्ष्मजीव इतनी जटिल संरचना बना सकता है।
ये कैबल मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) के समान कार्बन डाईऑक्साइड जैसी गैसों को कैद कर सकते हैं, ऊर्जा संचित कर सकते हैं। MOF सम्बंधी शोध के लिए इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिल चुका है। यह भी देखा गया कि इन तारों की विद्युत चालकता प्रयोगशाला में बने जैविक तारों से 100 गुना अधिक है।
ये न सिर्फ प्रभावी हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं, क्योंकि इन्हें बहुत कम धातु और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उम्मीद है कि इस खोज से ऐसे जैव-अनुकूल और लचीले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (flexible electronics) विकसित किए जा सकेंगे, जो जीवित ऊतकों के साथ सुरक्षित रूप से काम कर सकें। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.aed8005/full/_20251107_on_cable_bacteria-1762794885023.jpg