भूख मिटाकर मोटापा भगाने वाला प्रोटीन

डॉ. विपुल कीर्ति शर्मा

पेट में गुड़गुड़ाहट जैसी आवाज़ का एहसास भूख लगने का सीधा संकेत है। शरीर को भूख (hunger) तब लगती है जब शरीर में पोषक तत्वों की, विशेषत: रक्त शर्करा (blood sugar) की, कमी होती है। जैसे ही भोजन का समय होता है मस्तिष्क भूख का संदेश देता है जिसके फलस्वरूप आमाशय द्वारा उत्पन्न हार्मोन ग्रेलीन हमारे पेट और आंतों की मांसपेशियों में संकुचन पैदा करने लगता है और हमें भूख लगने लगती है। ग्रेलीन को भूख हॉर्मोन (हंगर हॉर्मोन – hunger hormone) भी कहते हैं। दूसरी ओर, पेट भरने पर लेप्टिन और कोलेसिस्टोकाइनिन (CCK) जैसे हॉर्मोन भूख को कम करने का काम करते हैं। लेप्टिन हमारे शरीर के वसा ऊतकों में बनता है और बताता है कि शरीर को पर्याप्त ऊर्जा वाला भोजन मिल गया है, जबकि कोलेसिस्टोकाइनिन छोटी आंत से निकलता है और पेट भर जाने का संकेत देता है, जिससे हमें तृप्ति का एहसास होता है। 

हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम ने भूख मिटाने के लिए मस्तिष्क में छिपे हुए एक ‘स्विच’ का पता लगाया है। इसका नाम है मेलानोकॉर्टिन-4 रिसेप्टर (जीन MC4R)। शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि MRAP2 नामक एक प्रोटीन (protein) भूख को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन भूख रिसेप्टर MC4R को कोशिका की सतह पर पहुंचाने में मदद करता है। वहां यह ‘खाना बंद करो’ के मज़बूत संकेत देता है। वैज्ञानिकों को लगता है कि MRAP2 प्रोटीन द्वारा नियंत्रित यह स्विच – MC4R – मोटापे (obesity) से लड़ने, उसे कम करने और वज़न नियंत्रण में सुधार के लिए नए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

मेलानोकॉर्टिन-4 रिसेप्टर

मेलानोकोर्टिन-4 (MC4R) रिसेप्टर एक महत्वपूर्ण रिसेप्टर है। यह पेप्टाइड-स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (peptide hormone) द्वारा सक्रिय होता है। MC4R रिसेप्टर मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस (hypothalamus) में पाया जाता है और भूख, तृप्ति, तथा ऊर्जा चयापचय क्रिया को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भूख को कम करता है जिससे मोटापा घटता है। यह ऊर्जा संतुलन (energy balance) भी बनाए रखता है।

MC4R के जीन में यदि उत्परिवर्तन (gene mutation) हो जाए तो भूख अधिक लगती है जिससे भोजन सेवन को नियंत्रित करने और वज़न कम करने में कठिनाई होती है। परिणामत: मोटापा बढ़ जाता है। मोटापे के इस कारण के लिए वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालांकि भविष्य में इस रिसेप्टर को लक्षित करने वाली नई औषधियां (medicines) विकसित की जा सकती हैं।

सेटमेलानोटाइड

वैज्ञानिक शोध से ज्ञात हुआ है कि सेटमेलानोटाइड (setmelanotide) नामक दवा लेप्टिन-मेलानोकॉर्टिन मार्ग (leptin-melanocortin pathway) में कुछ विशिष्ट आनुवंशिक विकारों या उत्परिवर्तनों के कारण होने वाले गंभीर आनुवंशिक मोटापे (genetic obesity) का उपचार करती है। यह मेलानोकॉर्टिन-4 रिसेप्टर को उत्तेजित करने का काम करती है, जो मस्तिष्क में भूख नियंत्रण से सम्बंधित होता है। यह दवा भूख को कम करती है, पेट भरा हुआ महसूस कराती है और शरीर द्वारा कैलोरी जलाने की दर भी बढ़ा सकती है, जिससे वज़न घटाने में मदद मिलती है। 

MRAP2 एक जीन है जो MC4R रिसेप्टर के सहायक प्रोटीन को एनकोड करता है, जो MC4R रिसेप्टर सिग्नलिंग को नियंत्रित करता है।

वैज्ञानिकों की टीम ने आधुनिक फ्लोरेसेंट माइक्रोस्कोपी (fluorescent microscopy) और सिंगल सेल इमेजिंग तकनीक का उपयोग करते हुए पाया है कि प्रोटीन MRAP2 कोशिकाओं के भीतर मस्तिष्क-रिसेप्टर MC4R के मौलिक स्थान और व्यवहार को बदल देता है। फ्लोरेसेंट माइक्रोस्कोपी और कॉन्फोकल इमेजिंग (confocal imaging) ने दर्शाया है कि MRAP2, MC4R को कोशिका की सतह तक पहुंचाने के लिए आवश्यक है, जहां यह भूख को दबाने या कम करने वाले संकेतों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रसारित कर सकता है। उपरोक्त शोध के निष्कर्ष हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

रिसेप्टर के कार्य करने के तरीके की समझ उन चिकित्सकीय रणनीतियों (therapeutic strategies) की ओर इंगित करती है जो MRAP2 की नकल या उसका नियमन करती हैं और मोटापे तथा सम्बंधित चयापचय विकारों (metabolic disorders) से निपटने की क्षमता रखती हैं। उपरोक्त शोध के निष्कर्ष भविष्य में विभिन्न दृष्टिकोणों और विविध प्रयोगात्मक विधियों द्वारा, चिकित्सकीय प्रासंगिकता वाले भूख नियमन के महत्वपूर्ण नए शारीरिक और पैथोफिज़ियोलॉजिकल (pathophysiological) पहलुओं की बेहतर समझ विकसित करने में मददगार होंगे। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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