
एम्बर (amber)(राल) पेड़ों से रिसने वाला एक तरह का तरल (resin) पदार्थ है जो रिसने के बाद ठोस हो जाता है। इसमें प्राय: कीट, पेड़-पौधों के अवशेष, फूल-पत्तियां आदि फंसकर अश्मीभूत (fossilized) हो जाते हैं। और एक हालिया अध्ययन बताता है कि यह अपने में न सिर्फ सजीवों की जानकारी बल्कि अतीत में आई सुनामियों (tsunami records in amber) की निशानियां भी कैद कर सकता है।
जापान के होक्काइडो के पास समुद्र की प्राचीन चट्टानों (ancient rocks) में एक एम्बर मिला है। ऐसा लगता है कि यह पानी के अंदर ही सख्त होता गया (amber formation under sea) और अपने भीतर लाखों साल का इतिहास दर्ज करता गया।
भूमि पर तो एम्बर हवा के संपर्क की वजह से जल्दी सख्त (resin hardening) हो जाता है। लेकिन पानी में अधिक समय तक नरम-लचीला बना रहता है। इसी वजह से पानी के तेज़ थपेड़ों के निशान (underwater fossilization) इसमें दर्ज हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने जब इस एम्बर को पराबैंगनी रोशनी (UV Analysis) में देखा, तो इसके अंदर ऐसी आकृतियां दिखाई दीं (wave pattern in fossils) जो आग की लपटों और गेंद व तकिया जैसी थीं, और तेज़ लहरों का संकेत होती हैं।
चट्टानों के पास अश्मीभूत वनस्पतियों के टुकड़े और बहकर आई लकड़ियों के टुकड़े भी मिले हैं, जिससे लगता है कि लौटती सुनामी की ज़ोरदार लहरों के कारण तटवर्ती जंगल का मलबा(tsunami debris) बहकर समुद्र (costal forest fossil) में आ गया था। पास की तलछट की जांच करने पर मालूम हुआ कि ऐसा कई बार हुआ था और करीब 20 लाख वर्षों की अवधि में इस इलाके में कई बार सुनामी (paleotsunami evidence) आई थी।
यह खोज इसलिए खास है क्योंकि तटों पर अतीत में आई सुनामी के सबूत मिलना(ancient disaster records) मुश्किल होते हैं। हवा और लहरें उनके निशान मिटा देती हैं, और सुनामी से हुई क्षति आम तूफानों (tsunami vs storm) जैसी ही लगती है। लेकिन अब लगता है कि एम्बर इनका गवाह (amber as historical archive) बन सकता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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