मानसून की हरित ऊर्जा क्षमता

डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन, सुशील चंदानी

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ने लगती है और तपन अपने चरम पर पहुंचने लगती है, तो विचार आता है कि बारिश कब आएगी। 100 से अधिक सालों से मौसम केंद्रों और वर्षामापी यंत्रों द्वारा एकत्रित डैटा से पता चलता है कि भारत में बारिश का मौसम 1 जून को केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून (southwest monsoon in India) के आगमन के साथ शुरू होता है; अलबत्ता, मानसून आने का समय एक हफ्ते आगे-पीछे भी खिसक सकता है। पिछले कुछ वर्षों में मौसम विभाग की भविष्यवाणियां (Indian monsoon forecast accuracy) ज़्यादा सटीक हुई हैं।

हिंद महासागर के ऊपर से बहकर आने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएं, साथ ही अरब सागर के ऊपर से बहकर पूर्वी अफ्रीका से आने वाली तेज़ हवाएं (सोमाली जेट स्ट्रीम) (Somali Jet Stream and monsoon) हमारे यहां बारिश लाती हैं, और हमें ठंडक का एहसास देकर तरोताज़ा करती हैं, हमारा मूड अच्छा करती हैं।

वर्तमान संदर्भ मे देखें तो ये हवाएं अपने साथ नवीकरणीय ऊर्जा दोहन (renewable energy potential in India) की संभावना भी लेकर आती हैं। जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता ने जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा पर हमारी निर्भरता को कम करने की तत्काल आवश्यकता को स्पष्ट कर दिया है (climate change and fossil fuel dependency in India)। यहां भारत की स्थिति बहुत विकट है। वर्तमान में हमारी लगभग 75 प्रतिशत बिजली कोयले से बनती है। और हमारी महत्वाकांक्षा है कि हम कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली (हरित) ऊर्जा (green energy goals India) को अपनाएंगे। इस महत्वाकांक्षी सोच के एक हिस्से के तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का लक्ष्य 2032 तक 121 गीगावाट क्षमता के अतिरिक्त पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना (wind energy target 2032 India) है। वर्तमान में हम 45 गीगावाट पवन ऊर्जा बना पाते हैं।

जीवाश्म ईंधन चालित बिजली संयंत्रों से हम कभी भी बिजली बना सकते हैं; न दिन-रात के बारे में सोचना पड़ता है, न मौसम के बारे में। लेकिन नवीकरणीय स्रोतों (जैसे पवन ऊर्जा) (wind power vs fossil fuel India) के मामले में ऐसा नहीं है, और इसीलिए इनका क्षमता से कम उपयोग होता है। इसलिए इस मामले में यह पूर्वानुमान लगाना और भी महत्वपूर्ण होता है कि हवाएं कब चलेंगी ताकि तब पवन ऊर्जा संयंत्रों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।

नवीकरणीय ऊर्जा संयत्रों का लक्ष्य है कि कम से कम जीवाश्म ईंधन जलाकर स्थापित ग्रिड से अधिकतम बिजली पैदा (maximize renewable energy grid India) की जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मौसम सम्बंधी पूर्वानुमान, खासकर क्षेत्रवार पूर्वानुमान आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान राज्य में अक्टूबर से दिसंबर तक बहुत कम हवाएं चलती हैं।

मानसूनी हवाएं जलवायु की मज़बूत चालक (monsoon winds climate driver India) हैं। जिस तरह बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, उसी तरह इसका भी पूर्वानुमान किया जा सकता है कि ठंडी तेज़ मानसूनी हवाएं कब चलेंगी, और इनका मॉडल तैयार किया जा सकता है।

शहरों में गर्मियों के दौरान अधिक बिजली की आवश्यकता होती है, जबकि इस समय कृषि के लिए बिजली की मांग कम होती है। मानसून के समय बनाई गई बिजली कृषि के लिए वरदान है, क्योंकि खरीफ की फसलों (जो जून में बोयी जाती हैं और अक्टूबर में काटी जाती हैं) में बिजली खपत ज़्यादा होती है, बनिस्बत जाड़ों में बोयी जाने वाली रबी की फसलों में। पश्चिमी घाट जैसे हवादार स्थानों पर एक पवन टर्बाइन जून से सितंबर के बीच अपनी वार्षिक बिजली उत्पादन क्षमता का 70 प्रतिशत उत्पादन (wind turbine electricity generation India) करता है।

हालांकि, इस मौसम में सतही हवाओं की गति काफी बदलती रहती है। और बिजली उत्पादन में कमी-बेशी करने में इस बदलाव का अनुमान लगाना बहुत उपयोगी है। इससे संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल (सूक्ष्म स्तर पर) और सटीक हुए हैं; ये मॉडल चंद सैकड़ा मीटर, एक किलोमीटर से लेकर बड़े इलाके तक के लिए मौसम का पूर्वानुमान (numerical weather prediction India) देते हैं। ऐसे मॉडलों का उपयोग करके चेन्नई स्थित राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान ने भारत का पवन एटलस (India Wind Atlas) विकसित किया है, जो भविष्य में पवन फार्म स्थापित करने की योजना बनाने के लिए एक बहुत ही उपयोगी साधन है।

इसमें एआई क्या मदद कर सकता है? रडार और उपग्रह तस्वीरों से प्राप्त हाई-डेंसिटी डैटा की मात्रा (और गुणवत्ता)तेज़ी से बढ़ी एवं सुधरी (AI in weather forecasting India) है। गूगल के MetNet3 (Google MetNet3 India use case) जैसी तकनीक का उपयोग अपेक्षाकृत कम संख्या में मौजूद मौसम स्टेशनों से प्राप्त पवन गति, तापमान आदि के डैटा के साथ रडार और उपग्रह से प्राप्त डैटा को एकीकृत करने के लिए किया जा रहा है। ऐसा करने से मॉडल दो मौसम स्टेशनों के बीच के क्षेत्रों में हवा की गति का पूर्वानुमान दे पाते हैं; प्रत्यक्ष मापित थोड़े से डैटा से सटीक सूचना देने वाला पवन गति नक्शा मिल जाता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://th-i.thgim.com/public/incoming/tlo1c4/article69425768.ece/alternates/LANDSCAPE_1200/IMG_FILES-INDIA-ENERGY-E_2_1_D2E033RE.jpg

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