
हाल ही में ट्रम्प सरकार ने परमाणु संयंत्रों के लिए चार नए आदेश जारी किए हैं (Trump nuclear policy changes)। कहा गया है कि ये प्रयास ऊर्जा की कमी से बचने और एआई डैटा केंद्रों (AI data centers power needs) के लिए बिजली आपूर्ति की दिशा में हैं। इन संशोधनों में सार्वजनिक भूमियों पर परमाणु संयंत्रों के निर्माण और अमेरिकी युरेनियम खनन (US uranium mining expansion) को बढ़ावा देने का प्रयास है। इसके अलावा, विकिरण की जोखिम सीमा को बदलने पर भी विचार करने को कहा गया है। यह सीमा परमाणु नियामक आयोग (NRC) द्वारा निर्धारित की गई थी।
विश्व भर में हुए अध्ययनों का निष्कर्ष है कि परमाणु संयंत्रों से उत्पन्न विकिरण का स्वास्थ्य पर कुप्रभाव होता (nuclear radiation health effects) है। शोध बताते हैं कि विकिरण के संपर्क से लोगों में कैंसर संभावना (radiation and cancer risk) बढ़ती है और विकिरण की मात्रा के साथ इसमें वृद्धि रैखिक होती है। अर्थात विकिरण की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है, जिससे कम विकिरण संपर्क सुरक्षित हो। विकिरण की अत्यल्प मात्रा भी हानिकारक होती है, और इसकी तीव्रता मात्रा के साथ बढ़ती जाती है। वैज्ञानिक इसे लीनियर नो-थ्रेशोल्ड, LNT मॉडल (linear no-threshold model) कहते हैं और यह वैज्ञानिक समुदाय में व्यापक रूप से स्वीकृत है। और एनआरसी द्वारा निर्धारित मानक भी इसी पर आधारित हैं जो विकिरण जोखिम को ‘यथासंभव कम से कम’ रखने पर ज़ोर देते हैं। इसके लिए परमाणु संयंत्र स्थापना को लेकर एनआरसी के कड़े नियम हैं।
यही नियम रिएक्टर समर्थकों को खटक रहे हैं क्योंकि ये नियम सख्त हैं तथा इनका पालन करना खर्चीला है। ट्रम्प सरकार का कहना है कि परमाणु सुरक्षा की निगरानी के लिए बनी एनआरसी नए रिएक्टरों को मंज़ूरी देने में बाधा बन गई है। इसलिए नए संयंत्र निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार एनआरसी को छोटा और पुनर्गठित करना चाहती है। संशोधन के बाद एनआरसी को नए रिएक्टरों के आवेदनों पर 18 महीनों के भीतर निर्णय देना होगा। और वर्तमान रिएक्टरों के संचालन को जारी रखने के आवेदनों पर 12 महीने के भीतर विचार करना होगा।
फिर, एलएनटी मॉडल के कई आलोचक भी हैं। वे कहते हैं कि परमाणु विकिरण और उससे होने वाली मौतों का जो हौवा मन में बैठा है (radiation myths vs facts) उसे दूर करने की ज़रूरत है। ऐसा वे कोशिकाओं और जानवरों पर किए शोध के आधार पर कह रहे हैं, जो बताते हैं कि एक निश्चित सीमा से कम विकिरण न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी है। इस विचार को हॉर्मेसिस (radiation hormesis theory) के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है कि कई पदार्थों की एक निश्चित मात्रा के बाद ही हानिकारक प्रभाव शुरू होते हैं, उससे कम मात्रा पर या तो असर नहीं होते हैं या लाभदायक भी हो सकते हैं। इतना ही नहीं इन नतीजों के आधार पर हॉर्मेसिस समर्थकों ने 2015 में एनआरसी से मांग की थी कि परमाणु श्रमिकों और जनता के लिए विकिरण संपर्क की स्वीकार्य मात्रा का स्तर बढ़ा दिया जाए। पर्याप्त सबूतों के अभाव में उनकी इस अपील को खारिज कर दिया गया था।
लेकिन अब ट्रम्प प्रशासन में कम सख्त विकिरण मानकों और हॉर्मेसिस विचार के हिमायती अधिकारी हैं (Trump administration radiation policy)। प्रशासन ने एनआरसी को 18 महीनों के भीतर नई ‘विज्ञान आधारित विकिरण सीमाएं’ अपनाने का आदेश दिया है और कहा है एनआरसी विशेष रूप से एलएनटी मॉडल पर पुनर्विचार करे। इसके अलावा, एनआरसी को कहा गया है कि वह नए मानक विकसित करने के लिए पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी और ऊर्जा एवं रक्षा विभागों (EPA DOE NRC collaboration) के साथ मिलकर काम करे।
इस फैसले से युरेनियम खनन उद्योग तथा परमाणु उद्योग में शामिल लोग खुश हैं और इस पहल की सराहना कर रहे हैं (nuclear industry response)। लेकिन अन्य लोग इन परिवर्तनों से चिंतित हैं। खासकर, विवादास्पद हॉर्मेसिस विचार पर चिंता व्यक्त की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रम्प का आदेश विश्व स्तरीय विकिरण सुरक्षा मानकों के विपरीत है (global radiation safety standards), और आर्थिक एवं व्यावसायिक हितों के लिए स्वास्थ्य सम्बंधी खतरों (health risks ignored for profit) की उपेक्षा करता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zvtbmij/full/_20250523_on_trump_nuclear_power-1748547813787.jpg