प्लास्टिक फिल्म: तेल शोधन का भविष्य

विभिन्न प्रकार के ईंधन और रासायनिक उत्पादों की रीढ़ मानी जाने वाली तेल रिफाइनरियां(Oil Refineries), आज भी वर्षों पुरानी पद्धति पर काम करती हैं। इसमें कच्चे तेल (Crude Oil)  का प्रभाजी आसवन करके उसके घटक अलग-अलग प्राप्त किए जाते हैं। ऊष्मा आधारित इस विधि में भारी मात्रा में ऊर्जा की खपत होती है और यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक (Environmental Pollution) है।

अब इसे बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बेहद पतली प्लास्टिक फिल्म (झिल्ली) (Membrane Technology) का उपयोग सुझाया गया है। इस झिल्ली की मदद से बहुत कम तापमान पर कच्चे तेल में से हल्के ईंधन घटक अलग किए जा सकते हैं। इससे तेल शोधन में ऊर्जा की खपत और प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है(Sustainable Refining)।

हालांकि प्लास्टिक की ये झिल्लियां वैसे ही काम करती हैं जैसे समुद्री पानी को पीने लायक बनाने वाले संयंत्रों (Desalination Membranes) में। फिर भी इस तकनीक को तेल उद्योग के अनुकूल बनाने में समस्याएं तो थीं। पूर्व में, कच्चे तेल के संपर्क में आने पर ये झिल्लियां फूल जाती थीं या खराब हो जाती थीं, जिससे इनके छानने की क्षमता कम हो जाती थी।

इस समस्या को दूर करने के लिए एमआईटी के वैज्ञानिकों ने झिल्ली में दो तरह के पॉलीमर का इस्तेमाल किया। एक में कांटेदार संरचना होती है जो तेल में भी झिल्ली की आकृति और उसके सूक्ष्म छिद्रों को टिकाए रखती है।

दूसरा, वैज्ञानिकों ने झिल्ली में ऐसे रासायनिक बंधों का इस्तेमाल किया जो तेल के साथ बेहतर काम करते हैं। इससे हल्के ईंधन अणु तो आसानी से पार हो जाते हैं, जबकि भारी अणु रोक दिए जाते हैं। नतीजतन, यह नई झिल्ली हल्के हाइड्रोकार्बन (Light Hydrocarbons) को छानने में पूर्व मॉडल्स से चार गुना ज़्यादा असरदार है।

एक और खास बात। साधारणत: पानी छानने की झिल्ली में दो तरह के मोनोमर को जोड़कर पोलीमर झिल्ली बनाई जाती है। इनमें से एक मोनोमर को पानी में और दूसरे को तेल में घोलकर जब आपस मिलाया जाता है तो मोनोमर तेल व पानी की संपर्क सतह पर क्रिया करके एक झिल्ली बना लेते हैं।

लेकिन पानी में घुलनशील मोनोमर तेल के पृथक्करण (Oil Separation)  में काम नहीं करते। वैज्ञानिकों ने दोनों मोनोमर को तेल में घोला और फिर उसमें पानी तथा एक उत्प्रेरक मिलाया। उत्प्रेरक ने पानी-तेल की संपर्क सतह पर दोनों मोनोमर से क्रिया करके एक उम्दा झिल्ली बना दी।

तेल रिफाइनरियां पुराने तरीके को तुरंत तो नहीं छोड़ेंगी, लेकिन यह नई तकनीक भविष्य में रिफाइनिंग (Future of Oil Refining) का मुख्य तरीका बन सकती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://unescoalfozanprize.org/wp-content/uploads/2025/06/environmental-pollution-factory-exterior.jpg

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