भूतिया आग को समझने में एक कदम और

ई बार ऐसी खबरें मिलती हैं कि किसी दलदली जगह (swamp area) पर रोशनियां नृत्य करती नज़र आती हैं। इनके बारे में लोक विश्वास है कि ये हड्डियों का नाच होता है या आत्माएं मुसाफिरों को भ्रमित करने या राह दिखाने के लिए रोशनी दिखाती हैं। अंग्रेज़ी में इसे विल-ओ-दी-विस्प (Will-o’-the-wisp) कहते हैं।

आम तौर पर वैज्ञानिक मानते आए हैं कि इन रोशनियों का स्रोत दलदल से निकलती मीथेन गैस (methane gas) होती है जो सतह पर ऑक्सीजन (oxygen) के संपर्क में आकर जल उठती है। दलदलों में सड़ता जैविक पदार्थ ही इस गैस का स्रोत होता है। लेकिन यह समझ से परे रहा था कि यह गैस आग कैसे पकड़ लेती है क्योंकि वहां न तो कोई चिंगारी होती है और न ही तापमान इतना अधिक होता है कि गैस जल उठे। अब शोधकर्ताओं (researchers) ने इसकी एक नई व्याख्या पेश की है।

प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेस (यूएस) (PNAS) में प्रकाशित एक शोध पत्र में स्टेनफर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) के रिचर्ड ज़ेयर (Richard Zare) और उनके सहकर्मियों ने बताया है कि यह दलदल से निकलने वाले सूक्ष्म बुलबुलों (microbubbles) का करिश्मा है। ये बुलबुले अत्यंत सूक्ष्म (साइज़ नैनोमीटर से लेकर माइक्रोमीटर) के होते हैं। ज़ेयर और उनके साथी ऐसे बुलबुलों का अध्ययन करते रहे हैं। उन्होंने पाया कि जब अलग-अलग साइज़ के बुलबुले हवा और पानी की संपर्क सतह पर आते हैं तो उनकी सतहों पर आवेश (electric charge) पैदा हो जाते हैं। होता यह है कि छोटे बुलबुलों पर ऋणावेश संग्रहित हो जाता है जबकि बड़े बुलबुले धनावेशित हो जाते हैं। यदि ये बुलबुले पास-पास आ जाएं तो उनके बीच विद्युत क्षेत्र बन जाता है और विद्युत प्रवाह (electric discharge) के कारण चिंगारी पैदा होती है।

ज़ेयर के मन में विचार आया कि कहीं यह विद्युत प्रवाह ही भूतिया रोशनी (ghost light) के लिए ज़िम्मेदार न हो। इस बात का पता लगाने के लिए उन्होंने एक मशीन (experimental setup) बनाई जिसमें एक नोज़ल थी जो पानी में डूबी थी। फिर उन्होंने इस नोज़ल से मीथेन और हवा के बुलबुले पानी में उड़ाए। हाई-स्पीड कैमरा (high-speed camera)  में नज़र आया कि इन बुलबुलों के टकराने पर हल्की रोशनी पैदा होती है।

टीम ने यह भी देखा कि रोशनी तब भी पैदा होती है जब मात्र हवा के बुलबुले बनाए गए थे। अर्थात सूक्ष्म रोशनी आवेशों के पृथक्करण (charge separation)  की वजह से पैदा होती है, न कि मीथेन के स्वत:स्फूर्त दहन (spontaneous combustion) के कारण। अलबत्ता, जब मीथेन भी मौजूद हो तो रोशनी तेज़ होती है और तापमान भी बढ़ता है।

वैसे तो अभी भी बात पूरी तरह स्पष्ट नहीं है लेकिन कई वैज्ञानिकों का मत है कि ऐसे बुलबुले तो धरती की शुरुआत (early Earth) में भी उपस्थित रहे होंगे, और संभव है कि इनकी परस्पर क्रिया से जीवन के रसायन (origin of life chemistry) बनने के लिए ज़रूरी रासायनिक क्रियाओं को ऊर्जा मिली हो। यह भी सोचा जा रहा है कि यह प्रक्रिया रासायनिक संश्लेषण का एक मार्ग उपलब्ध करा सकती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/5/5f/Will-o-the-wisp_and_snake_by_Hermann_Hendrich_1823.jpg/1024px-Will-o-the-wisp_and_snake_by_Hermann_Hendrich_1823.jpg

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