नाभिकीय रसायन शास्त्री डारलीन हॉफमैन का निधन

डारलीन हॉफमैन (1926–2025)

डारलीन हॉफमैन एक नाभिकीय रसायन शास्त्री (nuclear chemist) थीं जिनके कार्य ने तत्वों की आवर्त सारणी को विस्तार दिया और सबसे भारी तत्वों और परमाणु विखंडन (heavy elements research) की हमारी समझ को आगे बढ़ाया। 4 दिसंबर 2025 के दिन 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

पहले माना जाता था कि युरेनियम (परमाणु भार 238) प्रकृति में पाया जाने वाली सबसे भारी तत्व है। उन सारे तत्वों को रसायन शास्त्री ट्रांसयुरेनियम तत्व (trans uranium elements) कहते हैं जिनकी परमाणु संख्या युरेनियम (92) से अधिक हो। ये सभी अत्यंत अस्थिर होते हैं और रेडियोसक्रिय होते हैं। लेकिन हॉफमैन द्वारा प्लूटोनियम (परमाणु भार 244, परमाणु संख्या 94) की खोज ने इस धारणा को बदल डाला। इसके अलावा उनके शोध कार्य से हमें नाभिकीय विखंडन को समझने में मदद मिली, कैंसर के उपचार में तरक्की हुई और सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि उनके शोध की बदौलत परमाणु कचरा प्रबंधन (nuclear waste management) के बेहतर प्रोटोकॉल विकसित हुए।

उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह मानी जाती है कि उन्होंने परमाणु संख्या 106 वाले तत्व (जिसे आगे चलकर सीबोर्गीयम कहा गया) की खोज (seaborgium discovery) को सत्यापित किया था। 

1951 में नाभिकीय रसायन शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने के बाद 1971 में हॉफमैन ने कैलिफोर्निया की माउंटेन पास खदान से प्राप्त चट्टानों के नमूने के विश्लेषण के दौरान प्लूटोनियम-244 की खोज की थी। इससे पहले वैज्ञानिकों का मत था कि युरेनियम से भारी तत्वों का संश्लेषण तेज़ रफ्तार कणों की टक्कर से कृत्रिम रूप से ही करना होता है (synthetic elements)।

आगे बढ़कर हॉफमैन ने फर्मियम-257 (परमाणु संख्या 100) खोजा और यह भी दर्शाया कि इस तत्व को बराबर भार के खंडों में तोड़ा जा सकता है। उस समय यह एक अनपेक्षित परिणाम था क्योंकि विखंडन से एक बड़ा और एक छोटा टुकड़ा ही बनता है। उनकी इस खोज ने नाभिकीय विखंडन (nuclear fission) को लेकर हमारी सोच को काफी प्रभावित किया था।

नाभिकीय रसायन शास्त्र में अपने अहम योगदान के अलावा, हॉफमैन विज्ञान में महिलाओं (women in science) की भागीदारी की सशक्त प्रवक्ता भी थीं। (स्रोत फीचर्स)    

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencehistory.org/wp-content/uploads/2023/04/bio-hoffman.jpg

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