एक अनुपस्थित रोग की दवा

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1980 में ऐलान कर दिया था कि दुनिया से चेचक का सफाया हो चुका है। चेचक से आखरी मरीज़ की मृत्यु 1978 में हुई थी। और अब एक आश्चर्यजनक आदेश के तहत चेचक के लिए एक नहीं बल्कि दो दवाइयों को मंज़ूरी मिली है। यह मंज़ूरी यूएस खाद्य व औषधि प्रशासन ने पिछले माह दी है।

आखिर एक ऐसी बीमारी के लिए दोदो दवाइयों को मंज़ूरी क्यों दी गई है, जिसका सफाया 40 साल पहले हो चुका है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। जैसे एक कारण तो यह बताया जा रहा है कि हालांकि चेचक रोग का सफाया हो चुका है किंतु चेचक पैदा करने वाले वायरस का सफाया नहीं हुआ है। चेचक उन्मूलन के बाद इसके वायरस के नमूने दो जगहों पर संभालकर रख दिए गए थे। एक स्थान था यूएस में अटलांटा स्थित रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र और दूसरा स्थान था रूस में नोवोसिबिर्स्क स्थित वेक्टर नामक केंद्र। यहां इस वायरस को अनुसंधान की दृष्टि से सहेजकर रखा गया है। हाल ही में पता चला था कि यूएस के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में भी इस वायरस के नमूने रखे हुए हैं।

विश्व स्वास्थ्य सभा में इन वायरसों को नष्ट करने का मुद्दा कई बार उठा है और तारीखें भी तय की गई हैं किंतु हर बार विशेषज्ञ तारीखों को आगे बढ़वाते रहे हैं। विशेषज्ञों का तर्क है कि हो सकता है कि चेचक का वायरस मनुष्यों से रुखसत होने के बाद प्रकृति में मौजूद हो और किसी समय फिर से सिर उठाए। इसलिए इन नमूनों को रखना ज़रूरी है ताकि ज़रूरत पड़ने पर दवा या टीका बनाया जा सके। एक आशंका यह भी व्यक्त की गई है कि हो सकता है कि ममियों में या दफन कर दी गई लाशों में या बर्फ में दबे शवों में यह वायरस छिपा बैठा हो। फिर एक आशंका यह भी है कि इस वायरस का इस्तेमाल कोई आतंकी संगठन कर सकता है। ऐसा हुआ तो हमारे पास इनका नमूना होना चाहिए। और तो और, यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि कोई प्रयोगशाला इस वायरस का नए सिरे से निर्माण कर ले और वह जानबूझकर या गलती से पर्यावरण में फैल जाए।

कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि एक ऐसे वायरस के खिलाफ दवा बनाना और ऐसी दवा के भंडार रखना मानवता के लिए अनिवार्य है जिसका सफाया चार दशक पूर्व किया जा चुका है। जब हमारे पास कई ऐसी बीमारियों के लिए दवाइयां नहीं हैं जो फिलहाल मौजूद हैं, तो यह तर्क आसानी से गले नहीं उतरता। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : The Independent

प्रातिक्रिया दे