स्मार्टफोन के उपयोग से खोपड़ी में परिवर्तन

हमारी खोपड़ी में एक परिवर्तन देखने को मिल रहा है और कई चिकित्सकों का मत है कि यह परिवर्तन कई घंटों तक गर्दन झुकाकर स्मार्टफोन के उपयोग की वजह से हो रहा है। वैसे तो कुछ लोगों में गर्दन के ऊपर खोपड़ी के निचले हिस्से की हड्डी थोड़ी उभरी होती है। इसे बाहरी पश्चकपाल गूमड़ कहते हैं। मगर हाल के कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सामान्य से ज़्यादा लोगों में, विशेष रूप से युवाओं में, यह गूमड़ कुछ ज़्यादा ही उभरने लगा है।

20 वर्षों से चिकित्सक रहे यूनिवर्सिटी ऑफ दी सनशाइन कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य वैज्ञानिक डेविड शाहर के अनुसार उनको पिछले एक दशक में इस तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। इसके कारण की स्पष्ट पहचान तो नहीं हो सकी है, लेकिन इस बात की संभावना है कि स्मार्ट उपकरणों को देखने के लिए असहज कोणों पर गर्दन को झुकाने से इस खोपड़ी के पिछले भाग की हड्डी बढ़ रही है। लंबे समय तक सर को झुकाकर रखने से गर्दन पर भारी तनाव पड़ता है। इसको कई बार ‘पढ़ाकू गर्दन’ (टेक्स्ट नेक) के नाम से भी जाना जाता है।

शाहर के  अनुसार पढ़ाकू गर्दन की वजह से गर्दन और खोपड़ी से जुड़ी मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है जिसके  जवाब में खोपड़ी के पिछले भाग (पश्चकपाल) की हड्डी बढ़ने लगती है। यह हड्डी सिर के वज़न को एक बड़े क्षेत्र में वितरित कर देती है।

वर्ष 2016 में शाहर और उनके सहयोगियों ने इस गूमड़ का अध्ययन करने के  लिए 18 से 30 वर्ष की आयु के 218 युवा रोगियों के रेडियोग्राफ देखे। एक सामान्य नियमित उभार 5 मि.मी. माना गया और 10 मि.मी. से बड़े उभार को बढ़ा हुआ माना गया।

कुल मिलाकर समूह के 41 प्रतिशत लोगों में उभार बढ़ा हुआ निकला और 10 प्रतिशत में उभार 20 मि.मी. से बड़ा पाया गया। सामान्य तौर पर, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह उभार अधिक देखा गया। सबसे बड़ा उभार एक पुरुष में 35.7 मि.मी. का था।

18 से 86 वर्ष के 1200 लोगों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि यह समस्या कम उम्र के लोगों में अधिक दिखती है। जहां पूरे समूह के 33 प्रतिशत लोगों में बढ़ा हुआ उभार देखा गया, वहीं 18-30 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में यह स्थिति 40 प्रतिशत से अधिक में पाई गई। यह परिणाम चिंताजनक है क्योंकि आम तौर पर इस तरह की विकृतियां उम्र के साथ बढ़ती हैं मगर हो रहा है उसका एकदम उल्टा।

शाहर का मानना है कि इस हड्डी की यह हालत बनी रहेगी हालांकि यह स्वास्थ्य की समस्या शायद न बने। बहरहाल, यदि आपको इसके कारण असुविधा हो रही है तो अपने उठने-बैठने के ढंग में परिवर्तन ज़रूरी होगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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