चक्रेश जैन

वर्ष 2008 में डॉ. जयंत नार्लीकर का इंदौर आना हुआ था। तब विज्ञान संचारक चक्रेश जैन ने ‘विज्ञान कथा’ विषय पर उनके साथ भेंटवार्ता की थी। प्रस्तुत है उनकी यह भेंटवार्ता…
सवाल: विज्ञान कथाएं लिखने की प्रेरणा किससे मिली?
जवाब: देखिए, प्रेरणा मुझे अपने गुरू फ्रेड हॉयल से मिली है। उन्होंने बहुत अच्छी विज्ञान कथाएं (science fiction stories) लिखी हैं। उनकी पहचान एक विख्यात वैज्ञानिक (renowned scientist) के रूप में भी है। मैंने सोचा कि यदि एक वैज्ञानिक विज्ञान कथाएं लिखे तो वह लोगों को विज्ञान की वास्तविकताओं के बारे में काफी अच्छी तरह से बता सकता है।
सवाल: आपकी पहली विज्ञान कथा कौन-सी है?
जवाब: मेरी पहली विज्ञान कथा ‘कृष्ण विवर’ (ब्लैक होल) (Black Hole fiction) थी। यह मैंने मराठी में लिखी है। मुम्बई की मराठी विज्ञान परिषद ने एक कथा प्रतियोगिता आयोजित की थी। इसमें मैंने अपनी विज्ञान कथा भेज दी। मैं यह नहीं चाहता था कि आयोजकों पर मेरी लोकप्रियता का प्रभाव पड़े। इसलिए मैंने एक नकली नाम नारायण विनायक जगताप चुना। शायद वे मेरी हैंडराइटिंग से परिचित होंगे, ऐसा सोचकर मैंने अपनी पत्नी से कहा कि वे इस कहानी को अपनी हैंडराइटिंग में लिखें। हुआ यह कि उस विज्ञान कथा को पहला पुरस्कार मिला। आयोजकों ने नारायण विनायक जगताप को पत्र लिखा कि आपको पुरस्कार के लिए चुना गया है। परिषद के अधिवेशन में आप आमंत्रित हैं, लेकिन आपको टीए-डीए नहीं दिया जाएगा। उसके बाद मैंने सोचा कि मैं अपने नाम से ही लिखूं।
मुम्बई से किर्लोस्कर नाम की एक पत्रिका निकलती है। तब उसके संपादक श्री मुकुन्दराव किर्लोस्कर थे। उन्होंने कहा कि आप हमारी पत्रिका के लिए विज्ञान कथाएं लिखिए, तब मैंने पहली विज्ञान कथा लिखी।
सवाल: ऐसी कोई घटना जिसने आपको विज्ञान कथा लिखने के लिए प्रेरित किया हो?
जवाब: मेरी अधिकांश विज्ञान कथाएं, हम जो कुछ देखते या अनुभव करते हैं, उन विषयों पर हैं। जैसे भोपाल में गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) हुई या कोई अभिनव कम्प्यूटर (innovative computer technology) मिल गया तो उसका प्रभाव मन पर पड़ा और ऐसा लगा कि उसे कथा के रूप में पाठकों के सामने प्रस्तुत किया जाए।

सवाल: आपकी विज्ञान कथाओं की थीम क्या है?
जवाब: मेरी कहानियों की कोई एक विशेष थीम नहीं है। मैं भविष्य की ओर देखता हूं। विज्ञान का रूप आगे चलकर क्या होगा, उस रूप को लिखता हूं (future science trends)।
सवाल: आप कितनी विज्ञान कथाएं लिख चुके हैं?
जवाब: मैंने 25 से अधिक विज्ञान कथाएं और उपन्यास (science novels) लिखे हैं। हिंदी उपन्यास आगंतुक नाम से प्रकाशित हुआ है। इसकी मुख्य थीम है कि पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन (life on other planets) हो सकता है। मेरा अंग्रेज़ी में एक उपन्यास (The Return of Vaman) दी रिटर्न आफ वामन नाम से है। इसमें पृथ्वी पर पहले भी कोई अति विकसित संस्कृति (advanced civilization) होने और उसके विनाश के कारणों की चर्चा की गई है।
सवाल: विज्ञान कथाओं का उद्देश्य क्या है?
जवाब: देखिए, विज्ञान कथा लिखने के कई उद्देश्य हैं। पहला, स्वान्त: सुखाय (creative satisfaction) है। लिखने से एक तरह का सुकून मिलता है। दूसरा, समाज में विद्यमान अंधविश्वासों को विज्ञान कथाओं के माध्यम से दूर किया जा सकता है। तीसरा, भावी विज्ञान के स्वरूप (visionary science writing) के बारे में लोगों को बताया जा सकता है।
सवाल: क्या विज्ञान कथाओं से अनुसंधान की नई दिशा या प्रेरणा मिलती है?
जवाब: हां मिल सकती है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेड हॉयल ने जो पहली विज्ञान कथा लिखी थी, उसमें उन्होंने कल्पना की थी कि अंतरिक्ष में वायु के विशाल मेघ (interstellar gas clouds) हैं, लेकिन तब लोगों को विश्वास नहीं हुआ था कि इस तरह के मेघ हो सकते हैं। बाद में माइक्रोवेव टेक्नॉलॉजी (microwave technology) से ऐसे मेघ दिखाई दिए। हो सकता है विज्ञान कथाओं से अनुसंधान को नई दिशा मिले। हालांकि, कोई नई कल्पना साइंटिफिक जर्नल में नहीं छप सकती, क्योंकि वह मनगढंत भी हो सकती है।
सवाल: बच्चों को परी कथाओं से संतुष्ट नहीं किया जा सकता। वे चांद-सितारों के जन्म-मरण, रोबोट आदि के बारे में जानना चाहते हैं। बच्चों के लिए किस तरह की विज्ञान कथाएं होनी चाहिए?
जवाब: दूरदर्शन पर कुछ वर्षों पहले स्टार ट्रैक नाम की विज्ञान कथा दिखाई गई थी। इसे सभी ने देखा, लेकिन बच्चों ने इसे बहुत पसंद किया। वे पूरे सप्ताह इस सीरियल का इंतज़ार करते थे। दरअसल, इस सीरियल में विभिन्न ग्रहों की रोमांचक यात्राओं की रोचक कहानी है। इन यात्राओं की कथाओं को कई विज्ञान लेखकों ने मिलकर लिखा है। इसमें अंतरिक्ष यान (spaceships), लेज़र (laser technology) आदि के प्रयोगों के बारे में दिखाया गया है। इससे वैज्ञानिक कल्पनाओं को बढ़ावा मिला। मुझे लगता है कि आधुनिक युग में बच्चों के लिए विज्ञान कथाएं होनी चाहिए, जो उनका दिल बहला सकें और साथ ही उन्हें विज्ञान की ओर आकर्षित भी कर सकें।
सवाल: आप यह सोचते हैं कि विज्ञान कथाएं लोगों में विज्ञान में रुचि पैदा करती हैं?
जवाब: मेरा अनुभव है कि पहले लोग विज्ञान कथाओं के बारे में यही सोचते थे कि वे केवल विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी (science and technology) हैं। उसमें मनोरंजन जैसी कोई चीज़ नहीं है। यदि अच्छी विज्ञान कथाएं लिखी जाएं तो इनसे लोगों के मन में विज्ञान के प्रति जो भय (fear of science) है, उसे दूर किया जा सकता है।
सवाल: विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के प्रयास हो रहे हैं। हमें इस दिशा में किस तरह के प्रयासों पर ज़ोर देना चाहिए?
जवाब: वास्तव में देखा जाए तो ये प्रयास अनेक दिशाओं में किए जा सकते हैं। टेलीविज़न, रेडियो आदि पर इस तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा सकते हैं। समाचार पत्रों में विज्ञान का एक पूरा पृष्ठ दिया जा सकता है, लोकप्रिय व्याख्यानों का आयोजन किया जा सकता है। रोज़मर्रा के वैज्ञानिक उपकरणों की जानकारी रोचक ढंग से दी जा सकती है। प्रदूषण, ऊर्जा संकट (energy crisis) के दुष्परिणामों की तस्वीर भी लोगों के बीच रखी जा सकती है। कुल मिलाकर विज्ञान के वास्तविक चेहरे से लोगों को अवगत कराया जा सकता है।
सवाल: अच्छी विज्ञान कथाओं की कसौटी क्या है?
जवाब: पहले यह बताता हूं कि क्या नहीं होना चाहिए। विज्ञान कथाएं ऐसी नहीं होनी चाहिए, जिसमें केवल परियों के जादू की चर्चा हो। उनमें भय और आतंक की घटनाओं का भी उल्लेख नहीं होना चाहिए। वास्तव में विज्ञान कथाएं (science fiction literature) ऐसी होनी चाहिए जो विज्ञान के नियमों (scientific principles) की जानकारी दें और भविष्य की ओर (futuristic vision) देख सकें। विज्ञान कथाओं के सकारात्मक पक्ष के बारे में यही कहा जा सकता है कि विज्ञान में हुई उन्नति से समाज पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसे कथा के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाए।
सवाल: हिंदी में विज्ञान कथाओं का अभाव क्यों है?
जवाब: मैं सोचता हूं, अधिकांश साहित्यकार ऐसे हैं जिन्होंने विज्ञान नहीं पढ़ा (lack of science background in authors) है। वे अत्यंत प्रभावशाली साहित्यकार भले हों, लेकिन विज्ञान सम्बंधी साहित्य को ज़रा डर से देखते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसी कोई नई बात है, जो साहित्य में नहीं बैठती। यह सोच धीरे-धीरे दूर होती जा रही है। यह मराठी का परिदृश्य है। हिंदी में भी यही स्थिति है। कुछ प्रतिष्ठित साहित्यकार जिनकी कलम में ताकत है, यदि वे वैज्ञानिकों से चर्चा करके विज्ञान की जानकारी लें और उसे कथा या उपन्यास के रूप में लिखें, तो निश्चित रूप से विज्ञान कथा साहित्य (Hindi science literature) समृद्ध होगा। मुझे ऐसा नहीं लगता कि विज्ञान कथाएं लिखने के लिए विज्ञान में पीएच.डी. होना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.nbtindia.gov.in/writereaddata/booksimages/899.jpg
https://m.media-amazon.com/images/I/31sE16Z+NmL.jpg