दुनिया का सबसे ऊष्मा प्रतिरोधी पदार्थ – डॉ. दीपक कोहली

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पदार्थ की पहचान कर ली है जो लगभग 4000 डिग्री सेल्सियस के तापमान को सहन कर सकता है। यह खोज बेहद तेज़ हाइपरसोनिक अंतरिक्ष वाहनों के लिए बेहतर ऊष्मा प्रतिरोधी कवच बनाने का रास्ता खोल सकती है। ब्रिटेन के इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं ने खोज की है कि हैफिनयम कार्बाइड का गलनांक अब तक दर्ज किसी भी पदार्थ के गलनांक से ज़्यादा है।

टैंटेलम कार्बाइड और हैफ्नियम कार्बाइड रीफ्रैक्ट्री सिरेमिक्स हैं। इसका अर्थ यह है कि ये असाधारण रूप से ऊष्मा के प्रतिरोधी हैं। अत्यधिक ऊष्मा को सहन कर सकने की इनकी क्षमता का अर्थ यह है कि इनका इस्तेमाल तेज़ गति के वाहनों में ऊष्मीय सुरक्षा प्रणाली में और परमाणु रिएक्टर के बेहद गर्म वातावरण में र्इंधन के आवरण के रूप में किया जा सकता है।

इन दोनों के गलनांक के परीक्षण प्रयोगशाला में करने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध नहीं थी। ऐसे परीक्षण से यह देखा जा सकता है कि यह कितने अधिक गर्म वातावरण में काम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इन दोनों यौगिकों की गर्मी सहन कर सकने की क्षमता के परीक्षण के लिए लेज़र का इस्तेमाल करके तीक्ष्ण गर्मी पैदा करने वाली एक नई प्रौद्योगिकी विकसित की है।

उन्होंने पाया कि यदि इन दोनों यौगिकों को मिश्रित कर दिया जाए तो उनका गलनांक 3905 डिग्री सेल्सियस था, लेकिन दोनों यौगिकों को अलग-अलग गर्म किए जाने पर उनके गलनांक अब तक ज्ञात पदार्थों के गलनांक से ज़्यादा पाए गए। टैंटेलम कार्बाइड 3768 डिग्री सेल्सियस पर पिघल गया जबकि हैफ्नियम कार्बाइड का गलनांक 3958 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। यह निष्कर्ष नई पीढ़ी के हाइपरसोनिक वाहनों, यानी अब तक के सबसे तेज़ रफ्तार अंतरिक्ष यानों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। (स्रोत फीचर्स)

 नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.imperial.ac.uk/news/image/mainnews2012/36544.jpg

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