कॉफी पर संकट: जंगली प्रजातियां विलुप्त होने को हैं

ई लोगों का प्रिय पेय पदार्थ कॉफी अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। वैसे तो दुनिया भर में कॉफी की 124 प्रजातियां पाई जाती हैं किंतु जो कॉफी हमारे घरों में पहुंचती है, वह मात्र दो प्रजातियों से प्राप्त होती है। इनमें से एक है कॉफी अरेबिका जिसका बाज़ार में बोलबाला है और यह कुल कॉफी उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत का आधार है। दूसरी प्रजाति कॉफी केनीफोरा शेष उत्पादन का आधार है। इसे रोबस्टा भी कहते हैं।

कॉफी की शेष समस्त प्रजातियां जंगली हैं और इनके फल बहुत रोमिल होते हैं, बीज बड़े-बड़े होते हैं और इनमें कैफीन नहीं होता। मगर इन जंगली प्रजातियों में ऐसे जेनेटिक गुण पाए जाते हैं जो इन्हें विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने में मदद करते हैं। और आज जब कृष्य कॉफी पर संकट मंडरा रहा है तो शायद ये जंगली प्रजातियां हमारी मदद कर सकती हैं।

तो जंगली कॉफी के भौगोलिक विस्तार और उनकी सेहत का आकलन करना एक महत्वपूर्ण काम है। इसी दृष्टि से क्यू स्थित रॉयल बॉटेनिकल गार्डन के आरोन डेविड और उनके साथियों ने कॉफी का एक विश्वव्यापी आकलन किया। सबसे पहले उन्होंने जंगली प्रजातियों के 5000 उपलब्ध रिकॉर्डस को खंगाला। इसके बाद इन शोधकर्ताओं ने अफ्रीका, मेडागास्कर और हिंद महासागर के टापुओं में जा-जाकर आंकड़े एकत्रित किए।

प्रत्येक प्रजाति का भौगोलिक स्थान चिंहित करने के बाद उन्होंने अंदाज़ लगाया कि कौन-सी प्रजातियां जोखिम में हैं। इसके लिए उनका आधार यह था कि उस प्रजाति के पौधों की आबादी कितनी है और उसके प्राकृतवास की हालत क्या है। साइंस एडवांसेस में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि कम से कम 60 प्रतिशत प्रजातियां जोखिम में है और कुछ तो शायद विलुप्त भी हो चुकी हैं। तुलना के लिए यह देख सकते हैं कि सारी पादप प्रजातियों में से मात्र 22 प्रतिशत जोखिम में हैं।

एक अन्य अध्ययन में डेविस ने अरेबिका प्रजाति का अध्ययन किया, जिसे वैश्विक विश्लेषण में सामान्यत: कम जोखिमग्रस्त माना जाता है। डेविस की टीम ने दूर-संवेदन से प्राप्त जलवायु परिवर्तन के आंकड़ों को जोड़कर कंप्यूटर पर विश्लेषण किया तो पता चला कि शायद 2080 तक जलवायु परिवर्तन इस प्रजाति को आधा समाप्त कर देगा। यह अध्ययन ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

अब विचार चल रहा है कि कॉफी को इस संकट से कैसे बचाया जाए। एक सुझाव यह है कि कॉफी की विभिन्न प्रजातियों के बीजों को बीज संग्रह में रखा जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि शीतलीकरण के बाद कॉफी के बीज उगते नहीं हैं। तो एक ही तरीका रह जाता है कि कॉफी के बीजों के हर साल उगाया जाए और अगले साल के लिए बीज एकत्रित करके रखे जाएं। मगर वह बहुत महंगा है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.ecowatch.com/wild-coffee-extinction-2626258235.html

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