कानों की सफाई के लिए कपास का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं

साफ-सफाई का ध्यान रखना शरीर के लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन एक महिला की कान साफ करने की दैनिक आदत ने उसकी खोपड़ी में जानलेवा संक्रमण पैदा कर दिया।

एक 37 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई महिला जैस्मिन को रोज़ रात को रूई के फोहे से अपने कान साफ करने की आदत थी। इसी आदत के चलते उसके बाएं कान से सुनने में काफी परेशानी होने लगी। शुरुआत में डॉक्टर को लगा कि कान में संक्रमण है जिसके लिए एंटीबायोटिक औषधि दी गई। लेकिन सुनने की समस्या बनी रही। कुछ ही दिनों बाद कानों को साफ करने के बाद रूई के फोहे में खून नज़र आने लगा।    

तब कान, नाक और गले के विशेषज्ञ ने सीटी स्कैन सुझाव दिया जिसमें एक भयावह स्थिति सामने आई। जैस्मिन को एक जीवाणु संक्रमण था जो उसके कान के पीछे उसकी खोपड़ी की हड्डी को खा रहा था। विशेषज्ञ ने सर्जरी का सुझाव दिया।

आखिरकार जैस्मिन के संक्रमित ऊतकों को हटाने और उसकी कर्ण नलिका को फिर से बनाने में 5 घंटे का समय लगा। चिकित्सकों ने बताया कि उसके कान में रूई के रेशे जमा हो गए थे और संक्रमित हो गए थे।

आम तौर पर लोग मानते हैं कि रूई से कान साफ करना सुरक्षित है लेकिन अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओटोलैंरिगोलॉजी के अनुसार अपने कानों में चीज़ों को डालने से बचना चाहिए। कान को रूई के फोहे से साफ करना वास्तव में एक गलत तरीका है। इससे कान साफ होने के बजाय मैल कान में और अंदर चला जाता है। रूई या कोई अन्य उपकरण कान में जलन पैदा कर सकते हैं, कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इसी वर्ष मार्च में, इंग्लैंड के एक व्यक्ति की कर्ण नलिका में भी रूई फंसने के बाद उसकी खोपड़ी में संक्रमण विकसित हो गया। सर्जरी के बाद जैस्मिन के संक्रमण का इलाज तो हो गया लेकिन उसकी सुनने की क्षमता सदा के लिए जाती रही। जैस्मिन अब रूई से कान साफ करने के खतरों से सभी को सचेत करती हैं। हमारा कान शरीर का एक नाज़ुक और संवेदनशील अंग हैं जिसकी देखभाल करना काफी आवश्यक है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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