चमगादड़ 6.5 करोड़ वर्ष से वायरसों को गच्चा दे रहे हैं

भी तक सार्स-कोव-2 वायरस लगभग 1.5 करोड़ लोगों को बीमार कर चुका है लेकिन चमगादड़ों का ऐसे वायरसों के साथ जीने का काफी पुराना इतिहास रहा है। चमगादड़ परिवार की छह प्रजातियों के हालिया अनुक्रमित जीनोम से पता चला है कि वे पिछले 6.5 करोड़ वर्षों से वायरस को बड़ी चालाकी से गच्चा दे रहे हैं।

गौरतलब है कि विश्व में चमगादड़ों की 1400 से अधिक प्रजातियां हैं। ये 2 ग्राम से लेकर 1 कि.ग्रा. से भी अधिक वज़न के होते हैं। कुछ तो 41 वर्ष की उम्र तक जीते हैं जो उनके आकार के हिसाब से काफी अधिक है। इनमें कोरोनावायरस सहित सभी प्रकार के वायरस बिना किसी कुप्रभाव के पाए जाते हैं। चमगादड़ों के इस रहस्य की खोज करने के लिए वर्ष 2017 में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने बैट 1k परियोजना की शुरुआत की थी। इस परियोजना के तहत चमगादड़ों की समस्त प्रजातियों के जीनोम का अनुक्रमण करने का लक्ष्य है। नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक छह जीनोम का अध्ययन पूरा हो गया है। 

शोधकर्ताओं द्वारा इन नव अनुक्रमित जीनोम की तुलना 42 विभिन्न स्तनधारियों के जीनोम से की गई। उन्होंने पाया कि अनुमान के विपरीत चमगादड़ों के सबसे करीबी रिश्तेदार छछूंदर, लीमर या चूहे नहीं बल्कि इनके पूर्वज उन स्तनधारियों के भी पूर्वज हैं जो अंतत: घोड़े, पैंगोलिन, व्हेल और कुत्तों में विकसित हुए।

आगे विश्लेषण से पता चला है कि चमगादड़ कम से कम ऐसे 10 जीन्स को निष्क्रिय कर चुके हैं जो अन्य स्तनधारियों में संक्रमण के खिलाफ शोथ (इन्फ्लेमेशन) प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा उनमें वायरस-रोधी जीन्स की अतिरिक्त प्रतियां और परिवर्तित रूप भी पाए गए जो रोगों के प्रति उनकी उच्च सहनशीलता की व्याख्या करते हैं। इसके साथ ही चमगादड़ों के जीनोम में पूर्व-वायरल संक्रमण से प्राप्त डीएनए के टुकड़े पाए गए जो वायरस की प्रतिलिपियां बनते समय चमगादड़ के जीनोम में जुड़ गए होंगे। वायरल डीएनए के इन टुकड़ों के अध्ययन के आधार पर टीम का कहना है कि अन्य स्तनधारियों की तुलना में चमगादड़ों में अधिक वायरल संक्रमण हुए हैं। इससे चमगादड़ों में वायरल संक्रमण को सहन करने और अधिक कुशलता से जीवित रहने की क्षमता उजागर होती है।

यह विश्लेषण चमगादड़ों में शिकार करने के तरीके के रूप में प्रतिध्वनि की मदद से स्थान-निर्धारण (इकोलोकेशन) की वैकासिक उत्पत्ति का खुलासा करने में भी सहायक हो सकता है। अगले वर्ष तक बैट 1k परियोजना के तहत 27 अन्य जीनोम अनुक्रमित करने की योजना है जिनमें प्रत्येक प्रजाति के एक चमगादड़ को लिया जाएगा। इस परियोजना की सह-संस्थापक और युनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन की जीव विज्ञानी एमा टीलिंग इस परियोजना को जारी रखने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर रही हैं।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/article_main_large/public/bat_1280p.jpg?itok=JO6m6ZGy

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