सूरजमुखी के पराबैंगनी रंगों की दोहरी भूमिका

र्मियों के अंत में खेतों में सूरजमुखी खिले दिखते हैं। लंबे तने के शीर्ष पर लगे सूरजमुखी के फूल लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं – चटख पीले रंग की पंखुड़ियां और बीच में कत्थई रंग का गोला। लेकिन पराबैंगनी प्रकाश को देखने में सक्षम मधुमक्खियों व अन्य  परागणकर्ताओं को सूरजमुखी का फूल बीच में गहरे रंग का और किनारों पर हल्के रंग का दिखता है जैसे चांदमारी का निशाना (बुल्स आई) हो।

हाल ही में ईलाइफ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक इस बुल्स आई में पाए जाने वाले यौगिक न सिर्फ परागणकर्ताओं को आकर्षित करते हैं, बल्कि पानी के ह्रास को भी नियंत्रित करते हैं और सूरजमुखी को अपने वातावरण में अनुकूलित होने में मदद करते हैं। शोधकर्ताओं को बुल्स आई के आकार के लिए ज़िम्मेदार एक एकल परिवर्तित जीन क्षेत्र भी मिला है।

ये निष्कर्ष शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद कर सकते हैं कि सूरजमुखी और कुछ अन्य फूल बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण अक्सर पड़ने वाले सूखे से कैसे निपटते हैं।

सूरजमुखी (हेलिएंथस प्रजातियां) कठिन आवास स्थानों के प्रति अनुकूलित होने में माहिर हैं। इस वंश के पौधे अत्यधिक दुर्गम परिस्थितियों, जैसे गर्म, शुष्क रेगिस्तान और खारे दलदल में रह सकते हैं। युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के पादप आनुवंशिकीविद मार्को टोडेस्को जैव विकास और जेनेटिक्स की दृष्टि से समझना चाहते थे कि ये ऐसा कैसे करते हैं।

शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका के दूरस्थ स्थानों से लाकर युनिवर्सिटी में उगाए गए 1900 से अधिक सूरजमुखी पौधों का अध्ययन किया। अध्ययन का उद्देश्य फूलों के रंग जैसे विभिन्न लक्षणों को देखना था ताकि उनका आनुवंशिक आधार खोजा जा सके।

शोधकर्ताओं द्वारा सूरजमुखी की पराबैंगनी तस्वीरें लेने पर पता चला कि हरेक सूरजमुखी के फूल के लिए बुल्स आई का आकार बहुत अलग था – फूल के बीच में छोटे से घेरे से लेकर पूरी पंखुड़ियों पर बड़े घेरे तक बने थे। ये भिन्नता न केवल अलग-अलग प्रजातियों में थी बल्कि एक ही प्रजाति के फूलों के बीच भी थी, जिससे लगता है कि इसका कोई वैकासिक महत्व होगा।

अन्य प्रजातियों के फूल परागणकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए इसी तरह के पैटर्न का उपयोग करते हैं, इसलिए शोधकर्ता देखना चाहते थे कि क्या सूरजमुखी के मामले में भी ऐसा ही है। जैसी कि उम्मीद थी, परागणकर्ता छोटे या बड़े बुल्स आई वाले फूलों की तुलना में मध्यम आकार की बुल्स आई वाले फूलों पर 20-30 प्रतिशत बार अधिक आए। सवाल उठा कि यदि मध्यम आकार परागणकर्ताओं के लिए सबसे आकर्षक है तो फिर इन फूलों में बुल्स आई के इतने भिन्न आकार क्यों दिखते हैं? शोधकर्ताओं का अनुमान था कि बुल्स आई का कोई अन्य कार्य भी होगा जिसके चलते आकार में इतनी विविधता है।

इस संभावना की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका वाले सूरजमुखी (हेलिएन्थस एन्नस) के विभिन्न आकार की बुल्स आई का भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से मानचित्र बनाया। जैसी कि उम्मीद थी उन्हें विविधता में एक स्पष्ट भौगोलिक पैटर्न दिखाई दिया।

पहले तो शोधकर्ताओं को लगा था कि बुल्स आई, जिसमें पराबैंगनी सोखने वाले रंजक होते हैं, सूरजमुखी को अतिरिक्त सौर विकिरण से बचाती होगी। लेकिन सूरजमुखी के मूल भौगोलिक क्षेत्र में पराबैंगनी किरणों की तीव्रता और बुल्स आई के औसत आकार के बीच कोई सम्बंध नहीं दिखा।

फिर शोधकर्ताओं को लगा कि शायद तापमान का इससे सम्बंध होगा। पूर्व अध्ययनों ने बताया गया था कि सूरजमुखी के फूल ऊष्मा को अवशोषित करने के लिए सूरज की तरफ रुख करते हैं, जो उन्हें तेज़ी से बढ़ने और परागणकर्ताओं को आकर्षित करने में मदद करता है। इसलिए शोधकर्ताओं का विचार था कि बड़ी बुल्स आई फूलों को ऊष्मा देने में मदद करती होगी ताकि परागणकर्ता भी आकर्षित हों और वृद्धि भी तेज़ी से हो। लेकिन जब शोधकर्ताओं ने विभिन्न आकार के बुल्स आई वाले फूलों से आने वाली गर्मी की मात्रा की तुलना की तो उन्हें इसमें दिन में किसी भी समय कोई अंतर नहीं दिखा।

अंत में, उन्होंने देखा कि बड़े बुल्स आई वाले सूरजमुखी शुष्क इलाकों से लाए गए थे, जबकि छोटी बुल्स आई वाले सूरजमुखी नम इलाकों से लाए गए थे। इस आधार पर शोधकर्ताओं का विचार था कि बुल्सआई के आकार का सम्बंध नमी रोधन से होगा। इस परिकल्पना की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने फूलों से पंखुड़ियों को अलग किया और अलग-अलग आकार की बुल्स आई वाले फूलों को सूखने में लगने वाला समय का मापन किया।

उन्होंने पाया कि बहुत शुष्क स्थानों से लाए गए फूलों की बहुत बड़ी बुल्स आई थी, और बड़ी बुल्स आई वाले पौधों ने बहुत धीमी दर से पानी खोया। और यदि स्थानीय जलवायु नम और गर्म दोनों है तो छोटे पैटर्न अधिक वाष्पोत्सर्जन होने देते हैं जो फूलों को बहुत गर्म होने से बचाता है। यानी ये पैटर्न दोहरी भूमिका निभाते हैं – परागणकर्ताओं को आकर्षित करना और सही मात्रा में नमी बनाए रखना।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने देखा कि इस विविधता के लिए कौन-से जीन ज़िम्मेदार हैं। सूरजमुखी की दो प्रजातियों एच. एन्नस और एच. पेटियोलारिस के जीनोम का अध्ययन किया गया। अकेले एच. एन्नस में एक जीन में बहुरूपता मिली जो फूलों के पैटर्न में 62 प्रतिशत विविधता के लिए ज़िम्मेदार थी। एच. पेटियोलारिस में स्पष्ट परिणाम नहीं दिखे।

अन्य शोधकर्ताओं का कहना है कि ये निष्कर्ष अन्य फूलों पर भी लागू हो सकते हैं। और इस तरह के अध्ययन यह समझने में मदद कर सकते हैं कि पौधे जलवायु परिवर्तन के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया दे सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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