सूर्य के पड़ोसी तारे का पृथ्वी जैसा ग्रह मिला

हाल ही में खगोलविदों ने एक नए ग्रह की खोज की है। यह सूर्य के निकटतम तारे प्रॉक्सिमा सेंटोरी की परिक्रमा करने वाला तीसरा ग्रह है जिसे प्रॉक्सिमा सेंटोरी-डी नाम दिया गया है, और यहां तरल पानी का समंदर होने की संभावना है।

युनिवर्सिटी ऑफ पोर्तो के इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिज़िक्स एंड स्पेस साइंस के खगोलविद जोआओ फारिया और उनके साथियों ने प्रॉक्सिमा सेंटोरी तारे से आने वाले प्रकाश वर्णक्रम में सूक्ष्म विचलन को मापकर प्रॉक्सिमा सेंटोरी-डी का पता लगाया है – ग्रह का गुरुत्वाकर्षण परिक्रमा के दौरान सूर्य को अपनी ओर खींचता है। खगोलविदों ने एस्प्रेसो नामक एक अत्याधुनिक दूरबीन की मदद से यह ग्रह खोजा है। यह दूरबीन चिली की युरोपीय दक्षिणी वेधशाला में स्थापित है। ये नतीजे एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिज़िक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

‘डगमगाने’ की इस तकनीक में पृथ्वी की सीध में तारे की गति में बदलाव देखा जाता है; एस्प्रेसो 10 सेंटीमीटर प्रति सेकंड तक की डगमग भी पता लगा सकता है। फारिया बताते हैं कि प्रॉक्सिमा सेंटोरी पर ग्रह का कुल प्रभाव लगभग 40 सेंटीमीटर प्रति सेकंड तक है।

विचलन का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने दो वर्ष से कुछ अधिक समय तक प्रॉक्सिमा सेंटोरी के वर्णक्रम के 100 से अधिक अवलोकन किए। एस्प्रेसो को वेधशाला के एक विशेष कमरे में एक (भूमिगत) टंकी के अंदर रखा गया है ताकि इसका दाब और तापमान स्थिर रहे। इससे माप सुसंगत रहते हैं और दोहराए जा सकते हैं। एस्प्रेसो वर्णक्रम की तरंग दैर्ध्य को 10-5 ऑन्गस्ट्रॉम तक, यानी हाइड्रोजन परमाणु के व्यास के दस-हज़ारवें हिस्से तक सटीकता से माप सकता है।

तारे के स्पेक्ट्रम पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह ग्रह संभवत: पृथ्वी से छोटा है, लेकिन इसका द्रव्यमान हमारी पृथ्वी के द्रव्यमान के 26 प्रतिशत से कम नहीं है।

एस्प्रेसो को मुख्य रूप से बाह्य ग्रहों की खोज करने के साथ-साथ क्वासर जैसे अत्यंत उज्ज्वल दूरस्थ पिण्डों से आने वाले प्रकाश का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था।

खगोलविदों के लिए प्रॉक्सिमा सेंटोरी का एक विशेष महत्व है। हमारा नज़दीकी तारा होने के कारण इसके बारे में हमेशा बहुत उत्सुकता रही है। यह जानना रोमांचक है कि तीन छोटे ग्रह हमारे इस निकटतम पड़ोसी तारे की परिक्रमा कर रहे हैं। उनकी समीपता ही आगे अध्ययन का मुख्य कारण है – उनकी प्रकृति कैसी है और वे कैसे बने वगैरह। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://media.nature.com/lw800/magazine-assets/d41586-022-00400-3/d41586-022-00400-3_20120706.jpg

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