नींद क्यों ज़रूरी है? – डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन

ब मेरे जैसे अति-बुज़ुर्ग बच्चे हुआ करते थे तब हमें रात 8 बजे तक सो जाना पड़ता था। फिर सुबह 4 बजे उठकर मंजन करना, नहाना, फिर बचा-खुचा होमवर्क पूरा करना, नाश्ता करना और टिफिन बॉक्स लेकर स्कूल के लिए निकल जाना होता था।

स्कूल और खेलने के बाद हम शाम 6 बजे तक घर वापस आ जाते थे। वापिस आकर अपना होमवर्क करते, रेडियो सुनते, अखबार पढ़ते, रात का खाना खाते और रात 8 बजे तक बिस्तर पर गिरते और सो जाते। लेकिन अफसोस कि आजकल चीज़ें बदल गई हैं।

आईआईटी या आईआईएम जैसे पेशेवर संस्थानों में दाखिला पाने की चाह रखने वाले विद्यार्थियों के लिए सेवा निवृत्त प्रोफेसरों द्वारा चलाई जा रही कोचिंग क्लासेस (जो अल्सुबह – आम तौर पर सुबह 4 या 5 बजे) शुरू होती हैं, के चलते नींद का समय कम हो गया है जबकि यह उनके लिए ज़रूरी है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन ने सिफारिश की है कि 6-12 साल के बच्चों को रोज़ाना 9-12 घंटे की नींद लेनी चाहिए। और 13-18 साल के किशोरों के लिए रोज़ाना 8-10 घंटे की नींद ज़रूरी है।

लेकिन हम देख रहे हैं कि आजकल के बच्चों को इतनी नींद नहीं मिल रही है, क्योंकि वे पूरे दिन कक्षाओं में रहते हैं। और तो और, उनके ‘प्रशिक्षक’ भी पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, जो आम तौर पर 40-70 साल के होते हैं, और स्वस्थ जीवन के लिए उन्हें सात घंटे की नींद की ज़रूरत है।

हाल ही में डॉ. जे. एलन हॉब्सन ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक समीक्षा का आकर्षक शीर्षक दिया है: ‘नींद दिमाग की, दिमाग के द्वारा, दिमाग के लिए होती है’ (Sleep is of the brain, by the brain and for the brain)। इसमें वे बताते हैं कि हमारी नींद के दो चरण होते हैं। एक जिसे रैपिड आई मूवमेंट (REM) कहा जाता है, और दूसरा गैर-REM कहलाता है। REM नींद कुल नींद के लगभग 20 प्रतिशत समय होती है और इसमें सपने आते हैं, जबकि गैर- REM नींद कुल नींद के लगभग 80 प्रतिशत समय होती है और इसे सुदृढ़ता लाने, याददाश्त को मज़बूत करने और नई चीजें सीखने के लिए जाना जाता है।

पोषण और नींद

यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट मेडिसिन प्लस बताती है कि पोषण का सम्बंध स्वस्थ और संतुलित आहार लेने से है। भोजन और पेय आपको स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करते हैं। पोषण सम्बंधी इन बातों को समझने से आपके लिए भोजन के बेहतर विकल्प चुनना आसान हो सकता है।

यूएस का स्लीप फाउंडेशन बताता है कि आहार और पोषण आपकी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं, और कुछ फल और पेय आपके लिए आवश्यक नींद लेने को मुश्किल बना सकते हैं। कैल्शियम, विटामिन A, C, D, E और K जैसे प्रमुख पोषक तत्वों की कमी के कारण नींद की समस्या हो सकती है।

रात के भोजन में उच्च ग्लायसेमिक सूचकांक वाले कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन (जैसे, पॉलिश किया हुआ चावल या मैदा. शकर), शराब या तम्बाकू के सेवन से व्यक्ति उनींदा बन सकता है। यह बार-बार जगाकर आवश्यक नींद की अवधि कम कर सकता है।

स्लीप फाउंडेशन आगे बताता है कि हमें मेडिटेरेनियन आहार अपनाना चाहिए, जिसमें वनस्पति आधारित खाद्य, वसारहित मांस, अंडे और उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ शामिल हैं। ऐसा आहार न केवल व्यक्ति के हृदय की सेहत में सुधार करता है बल्कि नींद की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।

खुशी की यह बात है कि अधिकांश भारतीय भोजन मेडिटेरेनियन आहार का ही थोड़ा बदला हुआ रूप है। और हमें यह सलाह भी दी जाती है कि अच्छी नींद लेने के लिए पर्याप्त भोजन करना चाहिए। तो आइए हम कामना करते हैं कि सभी को स्वस्थ और ‘अच्छी’ नींद आए। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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