कॉफी के स्वाद निराले – डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन

कॉफी शब्द कहां से आया? कॉफी इथियोपिया से आई थी, जहां के लोग इसे कहवा कहते थे। स्वर्गीय डॉ. के. टी. अचया ने वर्ष 1998 में ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से प्रकाशित अपनी पुस्तक ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड में लिखा है कि कॉफी के बीज अरब व्यापारियों द्वारा कुलीन वर्ग के उपयोग के लिए भारत लाए गए थे। अरबी लोगों ने दक्षिण भारत और श्रीलंका में कॉफी के बागान लगाए। और सूफी बाबा बुदान ने कर्नाटक के चिकमगलुर के पास कॉफी के पौधे उगाए।

1830 की शुरुआत में, शुरुआती ब्रिटिश आगंतुकों ने दो प्रकार की कॉफी के कॉफी बागान लगाए – अच्छी ऊंची जगहों पर कॉफी अरेबिका के, और निचले इलाकों में कॉफी रोबस्टा के बागान। (चूंकि युरोप में कहवे का कारोबार अरब व्यापारी करते थे इसलिए अरेबिका नाम पड़ा; और रोबस्टा, क्योंकि पश्चिम अफ्रीका की यह किस्म रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी है)। जैसा कि मैंने कॉफी पर अपने पूर्व लेखों में लिखा था, कॉफी एक स्वास्थ्यवर्धक पेय है, खासकर जब इसे गर्म दूध के साथ मिला कर पीया जाता है। कई अमेरिकी लोग बिना दूध वाली (ब्लैक) कॉफी पीते हैं।

तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर के कॉफी के शौकीन बाशिंदे अपनी कॉफी को कुंभकोणम डिग्री कॉफी कहते हैं। उनका दावा है कि उसके स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है। वे आगे कहते हैं कि यह कॉफी विशुद्ध अरेबिका कॉफी है और इसमें चिकरी पाउडर नहीं मिला होता है, जो आम तौर पर डिपार्टमेंटल स्टोर या कॉफी शॉप पर मिलने वाले कॉफी पाउडर या कॉफी के बीजों में होता है। इसी तरह, सिकंदराबाद की जिस कॉफी शॉप से मैं कॉफी खरीदता हूं वहां शुद्ध अरेबिका कॉफी पावडर के साथ-साथ चिकरी मिश्रित अरेबिका कॉफी पीने वालों के लिए चिकरी मिश्रित कॉफी पावडर भी मिलता है।

लेकिन चिकरी है क्या? यह भी कॉफी की एक किस्म है, और भारत चिकरी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। हमारे देश में यह सुदूर पूर्वी राज्यों (असम, मेघालय, सिक्किम) में उगाई जाती है। वहीं कुछ लोगों का ऐसा दावा है कि पोषण के मामले में चिकरी अरेबिका से बेहतर हो सकती है, क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा कम होती है। कैफीन एक अणु है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है, हालांकि इस सम्बंध में अब तक कोई निर्णायक प्रमाण नहीं मिले हैं।

आंध्र प्रदेश अराकू घाटी के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली अपनी विशेष कॉफी के लिए प्रसिद्ध है। अराकू कॉफी के बारे में दावा है कि यह न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उपलब्ध सबसे अच्छी कॉफी है। यह शुद्ध अरेबिका कॉफी है। बहुत अच्छी किस्म की अरेबिका तमिलनाडु की शेवरॉय पहाड़ियों और कर्नाटक के मंजराबाद किले के आसपास के इलाकों में भी उगाई जाती है। भारत भर के बड़े शहरों में कई युवा स्टारबक्स की कॉफी खरीदते हैं और पीते हैं, और कैफे कॉफी डे (सीसीडी) से भी। स्टारबक्स सिर्फ शुद्ध अरेबिका कॉफी का उपयोग करता है, जबकि सीसीडी के बारे में स्पष्ट नहीं है कि वे शुद्ध अरेबिका का उपयोग करते हैं या मिश्रण का।

कॉफी की इन विभिन्न प्रमुख किस्मों को लेकर इतना शोर क्यों है? जवाब इतालवी आनुवंशिकीविद डॉ. मिशेल मॉर्गन्टे द्वारा किए गए हालिया आनुवंशिकी अध्ययन (नेचर कम्युनिकेशंस जनवरी 2024) से मिलता है जो बताता है कि कॉफी की कई कृष्य किस्में बेहतर स्वाद दे सकती हैं। दी हिंदू ने हाल में संक्षेप में अपने विज्ञान पृष्ठ पर यह बात बताई है और बीबीसी न्यूज़ के अनुसार कॉफी अरेबिका में आनुवंशिक परिवर्तन बेहतर महक दे सकते हैं। तो वक्त आ गया है कि भारतीय आनुवंशिकीविद भारतीय कॉफियों के जीन्स अनुक्रमित करके देखें। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://th-i.thgim.com/public/incoming/qdekwe/article67854036.ece/alternates/LANDSCAPE_1200/IMG_iStock-1177900338_2_1_GBB9H0BK.jpg

प्रातिक्रिया दे