प्लूटो करोड़ों धूमकेतुओं के मेल से बना है

कुछ वर्षों पहले प्लूटो को ग्रहों की जमात से इसलिए अलग कर दिया गया था कि वह इतना बड़ा नहीं है कि अपने आसपास के क्षेत्र को साफ कर सके। अब वैज्ञानिकों ने यह विचार व्यक्त किया है कि संभवत: प्लूटो का निर्माण भी अन्य ग्रहों के समान नहीं हुआ है बल्कि वह तो करोड़ों धूमकेतुओं के एक साथ जुड़ जाने के परिणामस्वरूप बना है।

सौर मंडल के सारे ग्रह प्रारंभिक (आद्य) सूर्य के आसपास फैली तश्तरी के पदार्थ के संघनन से बने हैं। होता यह है कि इस तेज़ी से घूमती तश्तरी में से पदार्थ के लोंदे बनने लगते हैं और ग्रह का रूप ले लेते हैं। पहले माना जाता था कि प्लूटो का निर्माण भी इसी तरह हुआ है। मगर साउथवेस्टर्न रिसर्च इंस्टीट्यूट के भूगर्भ-रसायनविद क्रिस्टोफर ग्लाइन और उनके साथियों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ था प्लूटो और धूमकेतु 67पी/चुर्नीकोव-गोरासिमेंको के बीच इतनी अधिक रासायनिक समानता है। इसी प्रकार से प्लूटो के स्पुतनिक प्लेनेशिया नामक ग्लेशियर में धूमकेतु 67पी के समान ही नाइट्रोजन की प्रचुरता है। जहां पृथ्वी के वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन है, वहीं प्लूटो के वायुमंडल में 98 प्रतिशत। वास्तव में देखा जाए, तो पृथ्वी पर पानी एक चालक शक्ति है वहीं प्लूटो पर यह भूमिका नाइट्रोजन निभाती है। 67पी/चुर्नीकोव-गोरासिमेंको धूमकेतु के बारे में हमारे पास इतनी विस्तृत जानकारी इसलिए है क्योंकि युरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक खोजी अंतरिक्ष यान 2014 में वहां उतरा था।

साउथवेस्टर्न रिसर्च इंस्टीट्यूट के खगोल शास्त्रियों ने प्लूटो के रासायिनक विश्लेषण के आधार पर यह संभावना जताई है। दरअसल वर्ष 2015 में नासा का न्यू होराइज़न मिशन प्लूटो के नज़दीक से गुज़रा था। तब उसने प्लूटो पर सूर्यास्त का भव्य नज़ारा देखा था और उसके पदार्थ का रासायनिक संघटन देखने की कोशिश की थी। इसके अलावा युरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रोज़ेटा मिशन ने भी इसका रासायनिक संघटन समझने का प्रयास किया था। प्लूटो के एक ग्लेशियर (स्पूतनिक प्लेनिशिया) पर नाइट्रोजन की अत्यधिक सांद्रता दर्शाती है कि इसकी उत्पत्ति धूमकेतु से हुई है।

साउथवेस्टर्न रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने उस पारंपरिक विचार पर भी गौर किया जिसके अनुसार प्लूटो का निर्माण आदिम सौर नेबुला में उपस्थित बर्फ से हुआ था। मगर इस सिद्धांत के आधार पर नाइट्रोजन की प्रचुरता की व्याख्या नहीं की जा सकती।

तो हमारे पास प्लूटो की उत्पत्ति को लेकर आज दो मॉडल हैं। ज़ाहिर है, चाहे प्लूटो को ग्रहों की जमात में से अलग कर दिया गया है, किंतु वह उतना ही दिलचस्प बना हुआ है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।

फोटो क्रेडिट : NASA

 

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