स्वायत्त जानलेवा रोबोट न बनाने की शपथ

कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में कार्यरत कई सारे अग्रणी वैज्ञानिकों ने शपथ ली है कि वे ऐसे रोबोट-अस्त्र बनाने के काम में भागीदार नहीं होंगे जो बगैर किसी मानवीय निरीक्षण के स्वयं ही किसी व्यक्ति को पहचानकर मार सकते हैं। शपथ लेने वालों में गूगल डीपमाइंड के सह-संस्थापक और स्पेसएक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समेत 2400 वैज्ञानिक शामिल हैं।

इस शपथ का मुख्य मकसद सैन्य कंपनियों और राष्ट्रों को लीथल ऑटोनॉमस वेपन्स सिस्टम (जानलेवा स्वायत्त अस्त्र प्रणाली) बनाने से रोकना है। संक्षेप में इन्हें लॉस भी कहते हैं। ये ऐसे रोबोट होते हैं जो लोगों को पहचानकर उन पर आक्रमण कर सकते हैं, इन पर किसी इन्सान का निरीक्षण-नियंत्रण नहीं होता।

हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों और उनके संगठनों का कहना है कि जीवन-मृत्यु के फैसले कृत्रिम बुद्धि से संचालित मशीनों पर छोड़ने में कई खतरे हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसे हथियारों की टेक्नॉलॉजी पर प्रतिबंध की मांग की है जो जनसंहार के हथियारों की नई पीढ़ी बनाने में काम आ सकती है।

इस शपथ पर हस्ताक्षर अभियान का संचालन बोस्टन की एक संस्था दी फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट कर रहा है। शपथ में सरकारों से आव्हान किया गया है कि वे जानलेवा रोबोट के विकास को गैर-कानूनी घोषित करें। यदि सरकारे ऐसा नहीं करती हैं तो हस्ताक्षरकर्ता वैज्ञानिक जानलेवा स्वायत्त शस्त्रों के विकास में सहभागी नहीं बनेंगे।

इस संदर्भ में मॉन्ट्रियल इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग एल्गोरिदम के योशुआ बेंजिओ का कहना है कि इस हस्ताक्षर अभियान के ज़रिए जनमत बनाने की कोशिश हो रही है ताकि ऐसे क्रियाकलापों में लगी कंपनियां और संगठन शर्मिंदा हों। उनका कहना है कि यह रणनीति बारूदी सुरंगों के मामले में काफी कारगर रही है हालांकि यूएस जैसे प्रमुख देशों ने उस मामले में हस्ताक्षर नहीं किए थे।

अधुनातन कंप्यूटर टेक्नॉलॉजी से लैस रोबोट शत्रु के इलाके में उड़ान भर सकते हैं, ज़मीन पर चहलकदमी कर सकते हैं और समुद्र के नीचे निगरानी कर सकते हैं। पायलट रहित वायुयान की टेक्नॉलॉजी विकास के अंतिम चरण में है। धीरे-धीरे इन रोबोटों को इस तरह विकसित किया जा रहा है कि ये बगैर मानवीय नियंत्रण के स्वयं ही निर्णय लेकर क्रियांवित कर सकेंगे। कई शोधकर्ताओं को यह अनैतिक लगता है कि मशीनों को यह फैसला करने का अधिकार दे दिया जाए कि कौन जीएगा और कौन मरेगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : Metro Parent

 

 

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