आंत और दिमाग की हॉटलाइन

वैज्ञानिकों के दो समूहों ने खोज की है कि हमारी आंतों का सीधा कनेक्शन दिमाग से होता है और यह कनेक्शन तंत्रिकाओं के ज़रिए होता है।

यह तो पहले से ही पता था कि हमारी आंतों के अंदरुनी अस्तर में कई कोशिकाएं होती हैं जो समय-समय पर रक्त वाहिनियों में हारमोन्स छोड़ती हैं। ये हारमोन्स दिमाग में पहुंचकर आंतों का हाल बयां कर देते हैं। दिमाग को पता चल जाता है कि पेट भर गया है या भूखा है। मगर हारमोन्स के ज़रिए दिमाग तक यह संदेश पहुंचाने में लगभग 10 मिनट का समय लगता है। मगर नए अध्ययन दर्शा रहे हैं कि आंतों का दिमाग से वार्तालाप मात्र हारमोन्स के भरोसे नहीं है। इसमें तंत्रिकाओं की भी भूमिका है और आंतों से मस्तिष्क को संदेश विद्युतीय रूप से भी पहुंचाए जाते हैं। और तंत्रिका द्वारा संप्रेषण में चंद सेकंड का ही समय लगता है।

आंतों और मस्तिष्क के बीच तंत्रिका संप्रेषण की खोज की दिशा में पहला कदम यह था कि डरहम विश्वविद्यालय के डिएगो बोहोरक्वेज़ ने इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन में पाया कि आंतों के अस्तर में उपस्थित हारमोन पैदा करने वाली कोशिकाओं में पैरों जैसे उभार हैं। ये उभार तंत्रिका कोशिकाओं के उन उभारों जैसे थे जो दो तंत्रिकाओं के बीच संपर्क बनाने में मददगार होते हैं। बोहोरक्वेज़ ने सोचा कि शायद ये उभार तंत्रिका संदेशों के आवागमन में मदद करते होंगे।

उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ चूहों की आंतों में एक चमकने वाला वायरस इंजेक्ट कर दिया। यह वायरस तंत्रिकाओं के संपर्क बिंदुओं (सायनेप्स) के माध्यम से फैलता है। साइंस नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित पर्चे में बताया गया है कि जल्दी ही हारमोन बनाने वाली उक्त कोशिकाओं में चमक पैदा हुई और यह चमक उनके आसपास की कोशिकाओं में भी फैली। ये आसपास की कोशिकाएं वेगस नामक तंत्रिका की कोशिकाएं थीं। मतलब यह हुआ कि हारमोन बनाने वाली कोशिकाएं संदेशों को तंत्रिकाओं के ज़रिए भी आगे बढ़ाती हैं।

जब एक तश्तरी में प्रयोग किए गए तो देखा गया कि हारमोन बनाने वाली कोशिकाओं के उभार वेगस तंत्रिका के साथ जुड़ जाते हैं और सायनेप्स बना लेते हैं। यदि तंत्रिकाओं के माध्यम से संवाद चल रहा है, तो आपके दिमाग को पेट भरने की सूचना काफी जल्दी मिल जानी चाहिए। अब वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि मोटापे जैसी समस्याओं से निपटने में इस जानकारी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।

इसी से सम्बंधित एक और शोध पत्र में बताया गया है कि जब आंतों की तंत्रिकाओं को लेज़र से उत्तेजित किया गया तो चूहों में सुखानुभूति पैदा हुई। लेज़र किरणों ने चूहों में मूड सुधारने वाले रसायन भी पैदा किए। अब देखना यह है कि इन परिणामों का चिकित्सा के क्षेत्र में क्या उपयोग किया जा सकता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.loyolamedicine.org/sites/default/files/blog/fb-1200×630-brain-gut.jpg

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