परमाणु की एक पुरानी गुत्थी सुलझी

भौतिकी की एक गुत्थी रही है जिसे भौतिक शास्त्री 1983 से जानते हैं। यह तो जानी-मानी बात है कि परमाणु में एक केंद्रक होता है जिसके अंदर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन नामक कण होते हैं और इलेक्ट्रॉन केंद्रक के आसपास चक्कर काटते हैं। गुत्थी यह रही है कि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का व्यवहार केंद्रक के अंदर और बाहर बहुत अलग-अलग होता है।

यह थोड़ी विचित्र बात है क्योंकि चाहे केंद्रक के अंदर हों या बाहर प्रोटॉन और न्य़ूट्रॉन तो वही रहते हैं। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन क्वार्क्स नामक कणों से बने होते हैं और इन कणों को साथ-साथ रखने का काम स्ट्रॉन्ग बल करते हैं। अवलोकन यह है कि जैसे ही क्वार्क्स केंद्रक के अंदर पहुंचते हैं, उनकी गति बहुत धीमी पड़ जाती है। क्वार्क्स की गति का निर्धारण मुख्य रूप से स्ट्रॉन्ग बल द्वारा होता है। दूसरी ओर, केंद्रक में न्यूट्रॉन व प्रोटॉन को साथ रखने का काम करने वाला बल अत्यंत दुर्बल होता है। तीसरा कोई बल होता नहीं जो क्वार्क्स को धीमा करे, लेकिन तथ्य यही है कि केंद्रक के अंदर क्वार्क्स की गति धीमी पड़ जाती है। भौतिकी समुदाय इसे ईएमसी प्रभाव कहता है। यह नाम उस समूह के नाम पर रखा गया है जिसने इसकी खोज की थी – युरोपियन म्युऑन कोलेबोरेशन। तो सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है।

केंद्रक में उपस्थित किन्हीं भी दो कणों को बांधकर रखने वाला बल करीब 80 लाख इलेक्ट्रॉन वोल्ट के बराबर होता है। दूसरी ओर न्यूट्रॉन या प्रोटॉन के अंदर क्वार्क्स को आपस में जोड़े रखने वाला बल 10,000 लाख इलेक्ट्रॉन वोल्ट के बराबर होता है। तो ऐसा तो नहीं हो सकता कि क्वार्क्स को आपस में बांधे रखने वाले इतने सशक्त बल को केंद्रक का हल्का-सा बल प्रभावित कर दे।

सापेक्षता का सिद्धांत कहता है कि किसी भी वस्तु के साइज़ पर उसकी गति का असर पड़ता है। यह असर कम गति से हलचल कर रही स्थूल वस्तुओं के संदर्भ में इतना कम होता है कि पता ही नहीं चलता। मगर क्वार्क्स के पैमाने पर यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। जैसे सोने के केंद्रक को देखें तो उसके अंदर उपस्थिति प्रोटॉन व न्यूट्रॉन स्वतंत्र प्रोटॉन व न्यूट्रॉन की अपेक्षा 20 प्रतिशत तक छोटे होते हैं।

इस ईएमसी प्रभाव की व्याख्या के लिए भौतिक शास्त्रियों ने तमाम मॉडल विकसित किए हैं मगर आज तक कोई भी मॉडल इस विसंगति की संतोषजनक व्याख्या नहीं कर सका है। अब एमआईटी के भौतिक शास्त्री ओर हेन और उनकी टीम ने इसकी एक व्याख्या प्रस्तुत की है। उनका कहना है कि अधिकांश परिस्थितियों में केंद्रक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक दूसरे पर व्याप्त नहीं होते। किंतु कभी-कभी वे एक-दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं। शोधकर्ताओें का कहना है कि किसी भी क्षण केंद्रक के 20 प्रतिशत प्रोटॉन/न्यूट्रॉन इस अवस्था में रहते हैं। ऐसा होने पर क्वार्क्स के बीच ऊर्जा का विशाल प्रवाह होता है और यह प्रवाह उनकी संरचना और व्यवहार को बदल देता है। यही ईएमसी प्रभाव का कारण है। टीम ने कुछ प्रयोग भी किए और उनके परिणाम उपरोक्त व्याख्या के अनुरूप ही मिले हैं। कुल मिलाकर हेन की टीम का मत है कि ईएमसी प्रभाव कुछ न्यूट्रॉन/प्रोटॉन की इस विशेष अवस्था का परिणाम है। (स्रोत फीचर्स)

 नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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