कोरोना वायरस के स्रोत पर गहराता रहस्य

विश्व भर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस के स्रोत की पहचान करने के लिए वैज्ञानिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। आनुवंशिक विश्लेषण के आधार पर चीनी वैज्ञानिकों ने चींटी खाने वाले पैंगोलिन को इसका प्रमुख संदिग्ध बताया था। अन्य तीन पैंगोलिन कोरोना वायरस के जीनोम के अध्ययन के बाद वैज्ञानिक इसे अभी भी एक दावेदार के रूप में देखते हैं, लेकिन गुत्थी अभी पूरी तरह सुलझी नहीं है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह 2002 में सिवेट (मुश्कबिलाव) से कोरोना वायरस मनुष्यों में आया था उसी तरह इस रोगजनक ने किसी जीव से ही मनुष्यों में प्रवेश किया होगा। फिलहाल चाइनीज़ सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सहित चीन की तीन प्रमुख टीमें इसकी उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। 

पैंगोलिन पर संदेह करने के कुछ खास कारण हैं। चीन में पैंगोलिन के मांस  की काफी मांग है और शल्क का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। हालांकि चीन में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध है फिर भी इसकी तस्करी आम बात है। शोधकर्ताओं के अनुसार तस्करी किए गए पैंगोलिन से प्राप्त कोरोना वायरस, आनुवंशिक रूप से लोगों में मिले कोरोना वायरस के नमूनों से 99 प्रतिशत मेल खाता है। लेकिन यह परिणाम पूरे जीनोम पर आधारित नहीं है। यह जीनोम के एक विशिष्ट हिस्से से सम्बंधित है जिसे रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) कहा जाता है। पूरे जीनोम के स्तर पर मनुष्यों और पैंगोलिन से प्राप्त वायरस का डीएनए 90.3 प्रतिशत ही मेल खाता है।    

आरबीडी कोरोना वायरस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वायरस को कोशिका में प्रवेश करने की क्षमता देता है। अन्य शोधकर्ताओं के अनुसार दो वायरसों के आरबीडी में 99 प्रतिशत समानता होने के बाद भी उन्हें एक-दूसरे से सम्बंधित नहीं माना जा सकता है। विभिन्न अध्ययनों में 85.5 प्रतिशत से 92.4 प्रतिशत समानता पाई गई है।

मैकमास्टर युनिवर्सिटी, कनाडा में अध्ययनरत अरिंजय बैनर्जी के अनुसार पूर्व में सार्स वायरस का 99.8 प्रतिशत जीनोम सिवेट बिल्ली के जीनोम से मेल खाता पाया गया था, जिसके चलते सिवेट को इसका स्रोत माना गया था।

अभी तक मनुष्यों से प्राप्त कोरोना वायरस सर्वाधिक (96 प्रतिशत) चमगादड़ों से प्राप्त कोरोना वायरस से मेल खाता है। लेकिन इन दो वायरसों में आरबीडी साइट्स का अंतर पाया गया है। इससे यह पता चलता है कि चमगादड़ों से यह कोरोना वायरस सीधा मनुष्यों में नहीं बल्कि किसी मध्यवर्ती जीव से मनुष्यों में प्रवेश किया है।

कुछ अन्य अध्ययन मामले को और अधिक रहस्यमयी बना रहे हैं। यदि यह वायरस पैंगोलिन से आया है तो फिर जिस देश से इसको तस्करी करके लाया गया है वहां इसके संक्रमण की कोई रिपोर्ट क्यों नहीं है? लेकिन एक चिंता यह व्यक्त की गई है कि पैंगोलिन को वायरस का स्रोत मानकर लोग इसे मारने न लगें जैसा सार्स प्रकोप के समय सिवेट के साथ हुआ था।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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