छरहरे बदन का जीन

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन का पता लगाया है जिसका उत्परिवर्तित रूप तो कैंसर का कारण बनता है लेकिन उसका सामान्य रूप व्यक्ति को अपने शरीर की ज़्यादा चर्बी को जलाकर छरहरा बने रहने में मदद करता है।

यह देखा गया है कि कुछ लोग खूब खाएं, जो मर्ज़ी खाएं, तो भी मोटे नहीं होते। आम तौर पर जब मोटापे की बात होती है तो ध्यान इस बात पर होता है कि व्यक्ति क्या व कितना खाता है। लेकिन सेल नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित नया शोध बताया है कि मोटापे और छरहरेपन का नियंत्रण जेनेटिक स्तर पर भी होता है।

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के जेनेटिक विज्ञानी जोसेफ पेनिंजर और उनके साथियों ने मोटापे के जेनेटिक आधार खोजने के प्रयास किए। इसके लिए उन्होंने एस्टोनिया के जीनोम सेंटर में उन लोगों की जीनोम सम्बंधी जानकारी को खंगाला जो सबसे दुबले-पतले बताए गए थे। इसमें से उन्होंने उन लोगों को छांटकर अलग कर दिया जिनके बारे में कहा गया था कि उनमें भूख न लगने (एनोरेक्सिया) या ऐसी किसी अन्य दिक्कत थी जिसकी वजह से वे दुबले रह जाते हैं।

शेष छरहरे लोगों में उन्होंने जेनेटिक समानता के चिंह खोजना शुरू किया। इस संदर्भ में एक खास जीन ने उनका ध्यान आकर्षित किया – एक एंज़ाइम एनाप्लास्टिक लिम्फोमा काइनेज़ यानी ALK का जीन। यह तो पहले से पता था कि डीएनए के इस खंड का उत्परिवर्तित रूप कैंसर से सम्बंधित है। लेकिन मज़ेदार बात यह थी कि किसी ने नहीं सोचा था कि इसका सामान्य रूप क्या काम करता है।

तो पेनिंजर और उनके साथियों ने उत्परिवर्तित फल मक्खी और उत्परिवर्तित चूहों का निर्माण किया। वे यह दर्शाना चाहते थे कि जो जीन मनुष्यों को छरहरा रखता है वह मक्खियों और चूहों में भी वैसा ही असर दिखाता है। देखा गया कि ALK जीन की उपस्थिति की वजह से ये उत्परिवर्तित मक्खियां और चूहे दुबले बने रहते हैं, हालांकि वे कम तो बिलकुल नहीं खाते।

शोधकर्ताओं का मत है कि ALKजीन मस्तिष्क पर क्रिया करता है जिसके असर से मस्तिष्क वसा कोशिकाओं को ज़्यादा वसा जलाने का निर्देश देता है। चूंकि यह जीन मक्खियों, चूहों और मनुष्यों, सबमें कारगर होता है, इसलिए ऐसा लगता है कि यह जैव विकास के इतिहास में बहुत समय से मौजूद रहा है। यह दुबलेपन के अनुसंधान में नया अध्याय जोड़ सकता है।

वर्तमान में भी ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं, जो कैंसरकारी ALK की क्रिया को बाधित करती हैं। यानी ALK को औषधियों के लिए एक उपयुक्त लक्ष्य माना जाता है। तो हो सकता है कि इसके आधार पर हमें छरहरे बने रहने के लिए गोली मिल जाए।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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