वानिकी का विवादास्पद प्रयोग

नों की कटाई जब चिंता का बड़ा विषय है, तब संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया के सबसे बड़े वानिकी प्रयोग को 22 अप्रैल को हरी झंडी मिल गई है। प्रयोग के तहत यह आकलन करने की कोशिश की जाएगी कि जैव विविधता का संरक्षण करते हुए लकड़ी के उत्पादन के सबसे अच्छे तरीके क्या हो सकते हैं। प्रयोग के लिए वनों की नियंत्रित कटाई करने की अनुमति भी मिलेगी।

परियोजना की शुरुआत करने वाले ओरेगन स्टेट युनिवर्सिटी (ओएसयू) के थॉमस डीलुका का कहना है कि जंगल ज़रूरी हैं लेकिन हमें लकड़ी की भी ज़रूरत है। तो लकड़ी उत्पादन के बेहतर तरीके खोजने होंगे और यह परियोजना हमें इसी काम में मदद करेगी।

दक्षिण-पश्चिमी ओरेगन में नव-निर्मित एलियट स्टेट रिसर्च फॉरेस्ट की लगभग 33,000 हैक्टर भूमि इस परियोजना के अधीन होगी। इसे 40 से अधिक भागों में बांटकर वैज्ञानिक कई वन-प्रबंधन रणनीतियों का परीक्षण करेंगे, जिनमें से कुछ में वनों की कटाई भी की जाएगी। इस परियोजना की सलाहकार समिति के सदस्यों में पर्यावरणविद, शिकारी, लकड़हारे और स्थानीय जनजातियों के लोग शामिल हैं।

दशकों से एलियट वन क्षेत्र विवादों में घिरा रहा है। यहां वनों की कटाई एक बड़ा व्यवसाय है। जंगल के एक हिस्से में महत्वपूर्ण और प्राचीन डगलस फर और अन्य वृक्ष हैं। जंगल के अन्य हिस्सों में 1930 के बाद से सक्रिय रूप से कटाई और इनकी जगह नए पौधे लगाने का काम हो रहा है। प्राचीन जंगलों में कई विलुप्तप्राय पक्षी रहते हैं। 2012 में, इनके संरक्षण के उद्देश्य से यहां वाणिज्यिक वन कटाई पर रोक लगा दी गई थी।

2018 में ओएसयू शोधकर्ताओं द्वारा यह परियोजना प्रस्तावित करने से पहले तक, ओरेगन राज्य ने वन संरक्षण के लिए कई बातें स्वीकार की थीं। लेकिन इस संपदा को शोध वन में बदलने का ओएसयू का प्रस्ताव छोटे स्तर पर वनों की कटाई फिर से शुरू कर देगा। योजना के मुताबिक एलियट वन में कटाई से होने वाली आमदनी प्रयोग का बुनियादी ढांचा बनाने और संचालन में मदद करेगी।

यूएस सहित दुनिया भर में दर्जनों शोध वन हैं। यहां वैज्ञानिक पारिस्थितिकी और मिट्टी से लेकर अम्लीय वर्षा और कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ते स्तर के प्रभावों का अध्ययन करते हैं। लेकिन एलियट शोध वन इनसे अलग और बड़ी परियोजना है। परियोजना के समर्थकों का कहना है कि यह वैज्ञानिकों को पहली बार इतने बड़े स्तर पर पारिस्थितिकी वानिकी का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करेगी।

परियोजना के अनुसार इसके अधीन जंगल के उस 40 प्रतिशत से अधिक हिस्से में जंगल की कटाई नहीं होगी, जहां पुराने वृक्ष हैं। बाकी हिस्से को 40 छोटे हिस्सों में बांटकर विभिन्न तरह के भूमि प्रबंधन के अध्ययन किए जांएगे। इनमें से कुछ हिस्सों में चुनिंदा पेड़ों की कटाई होगी। बाकी वन के आधे हिस्से को काट कर पूरा साफ किया जाएगा, जबकि बाकी आधे वन क्षेत्र का संरक्षण किया जाएगा। प्रत्येक तरह के प्रबंधन का प्रभाव समझने के लिए वैज्ञानिक जंगल में कार्बन के स्तर, नदी-नालों के स्वास्थ्य, और कीटों, पक्षियों और मछलियों में विविधता का आकलन करेंगे।

मंज़ूरी मिलने के बावजूद परियोजना को कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। 1930 से ही ओरेगन पब्लिक स्कूल एलियट वन से कटाई के माध्यम से कानूनन राजस्व लेता है। परियोजना को इसकी क्षतिपूर्ति करनी होगी।

अन्य बाधाएं भी हैं। इस परियोजना में वे जंगलों को कैसे नियंत्रित करेंगे, और जोखिमग्रस्त और लुप्तप्राय प्रजातियों का किस तरह प्रबंधन करेंगे इसकी एक विस्तृत योजना पहले ही तैयार करनी होगी। और इसके लिए यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस का अनुमोदन भी प्राप्त करना होगा।

ओएसयू के दल ने पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय जनजातियों, उद्योगों, पर्यावरणविदों और परियोजना समिति के अन्य सदस्यों के साथ बैठकें और बातचीत करके सहमति बनाने की कोशिश की है। लेकिन इस पर बहस पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। कई पर्यावरणविदों का अब भी सवाल है कि जलवायु संकट के दौर में कार्बन सोखने और संग्रहित करने वाले जंगलों का पूरी तरह सफाया करना कितना जायज़ है। सौ साल पहले की गलतियों को फिर एक बार नहीं दोहराया जाना चाहिए।

इसके अलावा काष्ठ उद्योग के साथ ओएसयू के सम्बंध भी संदेह के दायरे में हैं। जैसे 2019 में, ओएसयू के कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री ने अपने एक जंगल के 6.5 हैक्टर क्षेत्र में फैले पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी थी, जिसमें सैकड़ों साल पुराने वृक्ष लगे थे।

डीलुका मानते हैं कि अतीत में गलतियां हुई थीं लेकिन युनिवर्सिटी का अच्छा अकादमिक रिकॉर्ड है, वे एलियट वन में एक विश्व स्तरीय अनुसंधान सुविधा बनाना चाहते हैं। अगर हम काष्ठ संसाधनों की आपूर्ति के लिए वनों में कटाई करते हुए प्रजातियों को बचाए रखने के तरीके पता कर लेते हैं, तो यह बहुत प्रभावी होगा। बहरहाल, सब कुछ अंतिम प्रबंधन योजना पर निर्भर करेगा लेकिन तब तक तो सलाहकार समिति ने परियोजना को अस्थायी हरी झंडी दिखा दी है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.nature.com/articles/d41586-021-01256-9

प्रातिक्रिया दे