पेटेंट पूलिंग से दवाइयों तक गरीबों की पहुंच

हाल ही में अमेरिका के खाद्य व औषधि प्रशासन ने कोविड-19 के लिए दो अलग-अलग मुंह से दिए जाने वाले (ओरल) उपचारों को आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी है। इस निर्णय का मतलब यह है कि अब घर पर ही गोलियों से गंभीर कोविड-19 का उपचार संभव हो सकेगा। गौरतलब है कि इस ओरल उपचार को तैयार करने वाली दवा कंपनियों, फाइज़र और मर्क, ने जेनेरिक दवा निर्माताओं को कम-लागत के संस्करण बनाने की भी अनुमति दी है ताकि इनकी पहुंच गरीब देशों तक सुनिश्चित की जा सके।

इन दोनों उपचारों में 5 दिन तक दवाइयां लेनी होंगी। अमेरिकी सरकार ने इन दवाओं को फाइज़र से 530 डॉलर प्रति उपचार और मर्क से 712 डॉलर प्रति उपचार की दर पर खरीदा है। ज़ाहिर है कि यह अधिकांश देशों के लिए काफी महंगा है लेकिन दोनों ही कंपनियों के मेडिसिन पेटेंट पूल (एमपीपी) में शामिल होने से जेनेरिक दवा निर्माताओं को इस दवा के सस्ते संस्करण बनाने की अनुमति मिल गई है।

गौरतलब है कि एमपीपी की स्थापना 2010 में एक गैर-मुनाफा संस्था के रूप में इस उद्देश्य से की गई थी कि बड़ी दवा कंपनियों को जेनेरिक निर्माताओं को जेनेरिक संस्करण तैयार करने और कम दाम पर बेचने की अनुमति देने को तैयार किया जा सके। शुरुआत में यह विचार काफी बेतुका और अव्यावहारिक लगता था लेकिन वर्तमान में यह विचार काफी प्रभावी प्रतीत होता है। जेनेरिक निर्माताओं से उम्मीद है कि उनके द्वारा तैयार किए गए उपचार की लागत 20 डॉलर प्रति उपचार होगी जबकि व्यवस्था यह है कि फाइज़र और मर्क महंगी दवाओं को धनी देशों में बेचना जारी रखेंगी।

एमपीपी ने सबसे पहले एचआईवी के लिए एंटीरेट्रोवायरल औषधियों को कम आय वाले देशों के लिए सुलभ बनाने का काम किया और बाद में हेपेटाइटिस सी और टीबी की दवाइयों के लिए भी इसका विस्तार किया गया।

एमपीपी के संस्थापक और विशेषज्ञ सलाहकार समूह के सदस्य एलेन टी होएन ने बताया कि हालांकि वर्तमान में इस संदर्भ में जो समझौते हुए हैं, वे आदर्श नहीं हैं लेकिन इन्होंने दवाइयों की सुगम उपलब्धता के कुछ रास्ते तो खोले हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.acz9914/full/_20211229_on_qnacovid19antivirals_main.jpg

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