चांद पर दोबारा उतरने की कवायद – प्रदीप

आर्टेमिस मिशन के ज़रिए नासा इंसानों को एक बार फिर चांद पर उतारने की योजना बना रहा है। हाल ही में अपोलो-11 चंद्र लैंडिंग की 53वीं वर्षगांठ के अवसर पर नासा के एक्सप्लोरेशन सिस्टम डेवलपमेंट मिशन निदेशालय के सह-प्रशासक जिम फ्री ने बताया है कि आर्टेमिस-I मेगा मून रॉकेट जल्द ही लांच किया जा सकता है। आर्टेमिस-I एक मानव रहित मिशन होगा। यह मिशन आर्टेमिस कार्यक्रम के प्रारंभिक परीक्षण के तौर पर चांद पर जाएगा और फिर वापस धरती पर लौट आएगा। आर्टेमिस मिशन के ज़रिए नासा 2025 तक इंसानों को एक बार फिर चांद पर उतारने के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहता है। इस मिशन के तहत एक महिला भी चांद पर जाएगी, जो चांद पर जाने वाली विश्व की पहली महिला बनेगी।

आर्टेमिस मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा। नासा का कहना है कि भले ही यह मिशन चांद से शुरू होगा पर यह निकट भविष्य के मंगल अभियानों के लिए भी वरदान सिद्ध होगा क्योंकि चांद पर जाना, मंगल पर पहुंचने से पहले आने वाला एक बेहद अहम पड़ाव है। दरअसल, नासा चांद को मंगल पर जाने के लिए एक लांच पैड की तरह इस्तेमाल करना चाहता है।

रणनीतिक और सामरिक महत्व के चलते चांद पर जाने की होड़ एक नए सिरे से शुरू हो चुकी है। जो भी देश चांद पर सबसे पहले कब्जा करेगा उसका अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दबदबा बढ़ेगा। चंद्रमा की दुर्लभ खनिज संपदा, खासकर हीलियम-3, ने भी इसे सबका चहेता बना दिया है। अमेरिका के अलावा रूस, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत भी 2022-23 में अपने चंद्र अन्वेषण यान भेजने वाले हैं। यही नहीं, कई निजी कंपनियां चांद पर सामान व उपकरण पहुंचाने और प्रयोगों को गति देने के उद्देश्य से सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों के ठेके हासिल करने की कतार में खड़ी हैं।

भारत के चंद्रयान-2 मिशन के विफल होने के बाद, भारत 2023 की पहली तिमाही में चंद्रयान-3 मिशन के तहत दोबारा लैंडर और रोवर चांद पर भेजने की योजना बना रहा है। चंद्रयान-2 मिशन के सबक के आधार पर चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी की गई है। चंद्रयान-2 के दौरान लांच किए गए ऑर्बाइटर का उपयोग भी किया जाएगा।

चांद पर जाने की तैयारी में विभिन्न देशों की सरकारी और निजी स्पेस एजेंसियां पूरे दमखम के साथ जुटी हैं। दक्षिणी कोरिया अगले महीने अपना पहला ‘कोरिया पाथफाइंडर ल्यूनर ऑर्बाइटर मिशन’ भेजेगा। यह ऑर्बाइटर चंद्रमा की भौगोलिक और रासायनिक संरचना का अध्ययन करेगा। इसी साल रूस भी अपने लैंडर लूना-25 को चांद की सतह पर उतारने की तैयारियों में जुटा हुआ है। गौरतलब है कि पिछले 45 वर्षों में यह चांद की ओर रूस का पहला मिशन होगा। इनके अलावा जापान भी अगले साल अप्रैल में चांद पर अपना स्मार्ट लैंडर उतारने की तैयारी कर रहा है। दुनिया भर के देशों में चांद को लेकर एक होड़-सी लगी दिखती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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