बढ़ी आबादी ने किया विशाल जीवों का सफाया

करीबन दो हज़ार साल पहले मानव जितने बड़े लीमर और विशाल एलिफेंट-बर्ड मेडागास्कर में विचरते थे। इसके एक हज़ार साल बाद ये यहां से लगभग विलुप्त हो गए थे। अब एक ताज़ा अध्ययन बताता है कि इस सामूहिक विलुप्ति का समय मेडागास्कर में मानव आबादी में उछाल के साथ मेल खाता है, जब मनुष्यों के दो छोटे समूह आपस में घुले-मिले और पूरे द्वीप पर फैल गए।

वर्ष 2007 में शोधकर्ताओं के एक दल ने मलागासी लोगों की वंशावली समझने के लिए मेडागास्कर आनुवंशिकी और नृवंशविज्ञान प्रोजेक्ट शुरू किया था। यद्यपि मेडागास्कर द्वीप अफ्रीका के पूर्वी तट से मात्र 425 किलोमीटर दूर स्थित है, लेकिन वहां बोली जीने वाली मलागासी भाषा 7000 किलोमीटर दूर तक हिंद महासागर क्षेत्र में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनेशियन भाषाओं के समान है। ऑस्ट्रोनेशियन भाषा समूह में मलय, सुडानी, जावानी तथा फिलिपिनो भाषाएं शामिल हैं। अलबत्ता, लंबे समय से यह एक रहस्य रहा है कि कौन लोग, कब और कैसे मेडागास्कर पहुंचे? और इन आगंतुकों ने कैसे बड़े पैमाने पर जीवों के विलुप्तिकरण को प्रभावित किया।

यह समझने के लिए मेडागास्कर आनुवंशिकी और नृवंशविज्ञान परियोजना के तहत शोधकर्ताओं ने 2007 से 2014 के बीच द्वीप के 257 गांवों से लोगों के लार के नमूने, संगीत, भाषा और अन्य समाज वैज्ञानिक डैटा एकत्र किया। 2017 में शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि आधुनिक मलागासी लोग पूर्वी अफ्रीका के बंटू-भाषी लोगों और दक्षिण-पूर्व एशिया में दक्षिणी बोर्नियो के ऑस्ट्रोनेशियन-भाषी लोगों से सबसे अधिक निकट से सम्बंधित हैं।

हालिया अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लार का आनुवंशिक विश्लेषण किया और कंप्यूटर मॉडल की मदद से मलागासी वंशावली तैयार की और अनुमान लगाया कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी आबादी कैसे बदली।

शोधकर्ताओं ने पाया कि आधुनिक मलागासी आबादी सिर्फ चंद हज़ार एशियाई लोगों की वंशज है, जिन्होंने लगभग 2000 साल पहले अन्य समूहों के साथ घुलना-मिलना बंद कर दिया था।

हालांकि यह रहस्य तो अब भी है कि एशियाई लोग वास्तव में मेडागास्कर कब पहुंचे? लेकिन ये लोग 1000 साल पहले तक मेडागास्कर में फैल चुके थे। करंट बायोलॉजी में शोधकर्ता बताते हैं कि इस आगंतुक आबादी ने यहां की लगभग इतनी ही बड़ी अफ्रीकी आबादी के साथ घुलना-मिलना शुरू किया था, और लगभग 1000 साल पहले विशाल जीवों के विलुप्तिकरण के समय इनकी आबादी बढ़ने लगी थी।

पुरातात्विक प्रमाण बताते हैं कि मेडागास्कर की आबादी में विस्फोट के साथ लोगों की जीवनशैली भी बदली थी। पहले, मनुष्य वन्यजीवों के साथ रहते थे और शिकार वगैरह करते थे। लेकिन इस समय वे बड़ी बस्तियां बनाने लगे थे, धान उगाने लगे थे, और मवेशी चराने लगे थे।

इन सभी के आधार पर शोधकर्ताओं को लगता है कि जनसंख्या वृद्धि, जीवनशैली में परिवर्तन और गर्म व शुष्क जलवायु के मिले-जुले प्रभाव ने संभवतः विशाल जीवों का सफाया शुरू कर दिया था।

अन्य शोधकर्ता मानव आबादी में बढ़त और जीवों के विलुप्तिकरण के समय से तो सहमत हैं लेकिन उनका मानना है कि जीवों के विलुप्तिकरण में बदलती जलवायु की भूमिका इतनी अधिक नहीं रही। इसके अलावा वर्तमान आबादी के डैटा की मदद से इतिहास के बारे में कुछ कहने की अपनी सीमाएं हैं। यदि कब्रगाहों में से प्राचीन लोगों के डीएनए खोज कर उनका विश्लेषण किया जाता तो लोगों के मेडागस्कर पहुंचने और उनके स्थानीय लोगों से घुलने-मिलने के समय के बारे में कुछ पुख्ता तौर पर कहा जा सकता था।

बहरहाल, मेडागास्कर में विशाल जीवों के विलुप्तिकरण में मनुष्यों की भूमिका को समझना वर्तमान समय में ज़रूरी है, विशेष रूप से जब आज हाथी और गैंडे जैसे जीव खतरे में हैं। वास्तविक कारणों को जानकर हम इन जीवों के संरक्षण के बेहतर प्रयास कर सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adf6564/full/_20221104_on_madagascar_elephant_bird.jpg

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